कौशल विकास के लिए राज्यों को 560 करोड़ की मदद

Oct 02, 2019

कौशल विकास के लिए राज्यों को 560 करोड़ की मदद

नई दिल्ली : जिला स्तर पर उद्योगों की जरूरत के हिसाब के कौशल विकास के प्रशिक्षण का ढांचा खड़ा करने के लिए केंद्र सरकार राज्यों को 560 करोड़ रुपये की मदद देगी। अगले पांच साल में कौशल विकास की रूपरेखा तय करने के लिए राज्यों के मंत्रियों के साथ बैठक के दौरान कौशल विकास मंत्री महेंद्रनाथ पांडेय ने यह घोषणा की। इस दौरान महेंद्रनाथ पांडेय ने काम के दौरान प्रशिक्षण (एप्रेंटिसशिप) के नियमों में बड़े पैमाने पर बदलाव और एप्रेटिसशिप की राशि में इजाफे की घोषणा की।

उद्योगों में युवाओं को काम के दौरान प्रशिक्षण को बढ़ावा देने के लिए एक से 16 अक्टूबर तक एप्रेंटिसशिप पखवाड़ा मनाया जा रहा है। सरकार एप्रेंटिसशिप को बढ़ावा देने के लिए उद्योगों को सहायता राशि देती है। उद्योगों को यह सहायता राशि प्रति युवा प्रति माह दी जाती है। सरकार ने अब एप्रेंटिसशिप की राशि बढ़ा दी है।

अब आठवीं तक पढ़े युवाओं को भी यदि कोई उद्योग काम पर रखता है, तो सरकार प्रति युवा पांच हजार रुपये प्रति माह की सहायता राशि देगी। इसी तरह से 10वीं पास युवा के लिए छह हजार रुपये प्रतिमाह, 12वीं पास युवा के लिए सात हजार रुपये प्रतिमाह टेक्नीशियन या डिप्लोमाधारी युवा के लिए सात हजार रुपये प्रतिमाह और बीए या एमए के युवा के लिए नौ हजार रुपये प्रतिमाह की सहायता राशि दी जाएगी। प्रतिमाह सहायता राशि के साथ-साथ एप्रेंटिसशिप की अवधि भी बढ़ा दी गई है। पहले केवल उद्योगों को दो साल तक सहायता राशि दी जाती थी, लेकिन अब इसे बढ़ाकर तीन साल कर दिया है। इसके साथ ही अब छह कामगारों के साथ काम करने वाली छोटी इकाइयों को भी युवाओं को एप्रेंटिसशिप पर रखने की अनुमति दे दी गई है। महेंद्रनाथ पांडेय ने कहा कि कोई भी युवा तीन साल तक किसी उद्योग में काम करने के बाद अपने पैरों पर खड़ा हो सकता है।

इसके साथ ही राज्यों के मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों और मिशन निदेशकों के साथ बैठक में अगले पांच साल के लिए देश में कौशल विकास की रूपरेखा तैयार करने के लिए गहन विचार विमर्श हुआ। महेंद्रनाथ पांडेय ने कहा कि जिला स्तर पर स्थानीय उद्योगों की मांग के हिसाब से कौशल विकास का ढांचा तैयार करने के लिए राज्यों की ओर से अहम सुझाव आए हैं। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना का मौजूदा कार्यकाल मार्च 2020 तक है। जल्द ही 2020 से 2025 तक पांच साल के लिए अगले चरण की योजना की रूपरेखा जारी की जाएगी।

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