5G रफ्तार मिलने में चंद महीने बाकी, जानिए कितनी बदल जाएगी हमारी नेट सर्फिंग की दुनिया

May 25, 2021
Source: https://www.zeebiz.com/

5G technology latest news : 5G तकनीक जल्‍द ही हमारी जिंदगी में दस्‍तक देने वाली है. दूरसंचार उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में 5जी नेटवर्क 3 महीने में लगाया जा सकता है. लेकिन, यह सीमित क्षेत्रों में ही होगा. उनके मुताबिक इस तकनीक को समर्थन के लिए ऑप्टिकल फाइबर ढांचा अभी पूरी तरह से तैयार नहीं है. इसलिए इस क्षेत्र में अभी और काम करने की जरूरत है.

5जी सेवाओं के नेटवर्क पर निर्णय लेना होगा
नोकिया इंडिया में मार्केटिंग और कॉरपोरेट अफेयर्स के प्रमुख अमित मारवाह का कहना है कि भारत को 5जी सेवाओं के नेटवर्क पर ठोस निर्णय लेना होगा. वह अगली पीढ़ी की तकनीक का फायदा लेने से चूक जाएगा. मारवाह ने कहा अगर हम जल्द 5जी शुरू नहीं करते हैं, तो संभवत: चूक जाएंगे. 5जी ऑपरेटरों के लिए पैसा बनाने को बिक्री चैनल नहीं है. यह देश और दुनिया में नए आर्थिक मूल्य के सृजन के लिए समय की जरूरत है.

Ultra HD Video calling
5G नेटवर्क से अल्ट्रा एचडी क्वालिटी की वीडियो कॉलिंग भी की जा सकेगी. साथ ही स्मार्ट डिवाइसेज में स्ट्रांग कनेक्टिविटी मिलेगी, जिससे आपकी जिंदगी और भी तेज हो जाएगी. इसे अभी चल रहे 4G LTE तकनीकी से भी तेज गति से चलने के लिए बिल्ट किया गया है. हालांकि, इसे स्मार्टफोन में इन्टरनेट की स्पीड को बढ़ाने को लेकर, इसके साथ फास्टर वायरलेस इन्टरनेट को सभी जगह सभी के लिए पहुंचाया जा सकता है.

देशी उपकरणों का हो इस्तेमाल
दूरसंचार निर्यात संवर्द्धन परिषद के चेयरमैन संदीप अग्रवाल ने इस बात पर जोर दिया कि 5जी में स्थानीय स्तर पर विनिर्मित उपकरणों का इस्तेमाल होना चाहिए. उन्होंने कहा कि सुरक्षा उद्देश्य से इसका नियंत्रण भारत के पास होना चाहिए.

खुद नहीं बना सकते पूरी तकनीक
दूरसंचार क्षेत्र कौशल परिषद के अरविंद बाली ने कहा कि देश समूची तकनीक खुद नहीं बना सकता. उसे दूसरों का समर्थन लेने की जरूरत होगी. उन्होंने कहा कि उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना भारत को आत्मनिर्भर बनाने तथा रोजगार के अवसरों के सृजन की दृष्टि से सही दिशा में एक कदम है.

5G नेटवर्क मुख्य तौर पर चार तरह की टेक्नोलॉजी Non-standalone 5G (NSA-5G), standalone 5G (SA-5G), Sub-6 GHz और mmWave पर काम करता है. किसी भी रीजन में इन चार टेक्नोलॉजी के जरिए से ही 5G नेटवर्क को यूजर्स के डिवाइस तक पहुंचाया जाता है.

Non-standalone 5G
इसे बेसिक 5G नेटवर्क बैंड कहा जाता है और शुरुआत में किसी भी रीजन में नेटवर्क सर्विस प्रोवाइडर्स इसी बैंड के आधार पर यूजर्स को 5G नेटवर्क उपलब्ध करवाते हैं. इसमें 4G LTE के लिए उपलब्ध इंफ्रास्ट्रक्चर को इस्तेमाल करके 5G नेटवर्क को डिप्लॉय किया जाता है. किसी भी रीजन में नेटवर्क की टेस्टिंग के लिए टेलिकॉम कंपनियां इसी स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल करती हैं.

 

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