'सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही की लाइव-स्ट्रीमिंग के लिए सक्रिय रूप से विचार किया जा रहा है': सीजेआई एनवी रमाना

May 15, 2021
Source: https://hindi.livelaw.in/

भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमाना ने गुरुवार को कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही को लाइव-स्ट्रीम करने के प्रस्ताव पर सक्रिय रूप से विचार कर रहे हैं।

सीजेआई रमाना ने ये टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट की वर्चुअल सुनवाई के लिए पत्रकारों के लिए मोबाइल सुविधा शुरू करने के लिए आयोजित एक वर्चुअल समारोह में की। सीजेआई रमाना ने कहा कि,

"सक्रिय रूप से कुछ न्यायालयों के लिए कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग पर विचार किया जा रहा है, लेकिन इसे शुरू करने से पहले सभी न्यायाधीशों से आम सहमति लेनी होगी।"

भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के नेतृत्व में तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने साल 2018 में स्वप्निल त्रिपाठी मामले में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई को लाइव- स्ट्रीमिंग करने के विचार को प्रमुख रूप से स्वीकार किया था। कोर्ट ने फैसले में कहा था कि लाइव-स्ट्रीमिंग से न्यायिक कार्यवाही की पारदर्शिता बढ़ेगी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के नियमों में आवश्यक संशोधन अभी तक लाइव-स्ट्रीमिंग के लिए तौर-तरीकों को लागू करने के लिए नहीं किए गए हैं।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ (जो कि स्वप्निल त्रिपाठी निर्णय देने वाली पीठ का हिस्सा थे) ने पिछले महीने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी लाइव-स्ट्रीमिंग के लिए नियमों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है। जस्टिस चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी के प्रमुख हैं। हाल के एक फैसले में जस्टिस चंद्रचूड़ ने लाइव-स्ट्रीमिंग की आवश्यकता पर जोर दिया। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने निर्वाचन आयोग बनाम एमआर विजय भास्कर मामले में कहा कि,

"जब तक अदालत की कार्यवाही का लाइव-स्ट्रीमिंग नहीं होता है और मौखिक कार्यवाही के रिकॉर्ड की अनुपस्थिति प्रणाली को बदस्तूर बनाती है।" कोर्ट ने निर्णय में यह भी कहा था कि स्वप्निल त्रिपाठी बनाम भारत के सर्वोच्च न्यायालय मामले में दिए गए निर्णय के तीन साल बीत चुके हैं। गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की कार्यवाही को वर्तमान में नियमित रूप से यूट्यूब (YouTube) पर लाइव किया जाता है। सीजेआई रमाना ने आज के समारोह में पत्रकारों के लिए मोबाइल सुविधा का शुभारंभ करते हुए न्यायिक कार्यवाही में पारदर्शिता और सार्वजनिक पहुंच के महत्व के बारे में बात की।

सीजेआई ने अपने भाषाण में कहा कि, " जब हमारे देश में न्यायिक प्रक्रिया की बात आती है तो पारदर्शिता एक समय-सम्मानित सिद्धांत है। मामलों की सुनवाई हमेशा सार्वजनिक न्यायालयों में होती है, जिसमें पहुंच केवल वकीलों और वादियों को ही नहीं बल्कि किसी विशेष मामले में आम जनता की भी होती है। पहले जो प्रतिबंध पहले लगाए गए, वे जगह को ध्यान में रखते हुए और सुरक्षा विचारों के कारण है।" सीजेआई ने अपने भाषाण में आगे कहा कि, "जनता तक यह पहुंच महत्वपूर्ण है, क्योंकि कोर्ट ऑफ लॉ और विशेष रूप से सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का इस देश में लोगों के जीवन पर असर पड़ता है। सूचना के प्रसार की प्रक्रिया में मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण है।"


 

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