पानी की कीमत प्‍यासा ही जानता है, इसेे बर्बाद न करें Aligarh news

Mar 25, 2021
Source: https://www.jagran.com/

अलीगढ़, जेएनएन : भूगर्भ जल का गिरता स्तर चिंता का विषय बना हुआ है। सरकारी विभाग भी इस ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करने का पुरजोर प्रयास कर रहे हैं। खासकर कृषि विभाग इस विषय को गंभीरता से ले रहा है। यही वजह है कि विभाग के सभी सोशल ग्रुप जल संचय की नसीहतों से भरे हुए हैं। वाट्सएप ग्रुप पर जल संकट के चलते होने वाली दुश्वारियों से किसानों को अवगत कराया जा रहा है। वर्चुअल मीटिंग में भी इन्हीं विषयों पर चर्चा होती हैं। बुधवार को भी कृषि अधिकारियों ने किसानों को जल संचय की सलाह दी।

कृषि अधिकारी रागिब अली ने कहा कि पानी हमारे जीवन का आधार है। पानी निश्शुल्क प्राकृतिक देन है। इसकी कीमत तो प्यासा ही जानता है। जबकि, इसी पानी को बर्बाद किया जा रहा है। आवश्यकता से अधिक पानी का उपयोग किसान कर रहे हैं। पानी ही नहीं प्रकृति को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है। हमारी हर जरूरत प्रकृति से ही पूरी होती हैं। पानी का संकट या अन्य किसी आपदा के निराकरण के लिए प्रकृति को सुदृढ़ बनाना होगा। इसीलिए जरूरी है कि प्रकृति की प्रत्येक इकाई हवा, पानी, पेड़-पौधे, नदी, तालाब, पहाड़, झरने, जीव-जंतु इत्यादि को ना मिटाएं। उप कृषि निदेशक डा. वीके सचान ने कहा कि प्रकृति में जिंदा रहने का हक जितना हमको है, उतना ही हक प्रकृति की हर इकाई को भी है। प्रकृति की प्रत्येक इकाई को इंसान की जरूरत के लिए ही बनाया गया है। इसका संरक्षण एवं संवर्धन भी करना चाहिए। दुनिया का भविष्य प्रकृति की समृद्धि पर ही निर्भर है। प्रकृति सलामत रहेगी तो हम भी सलामत रहेंगे। कृषि अधिकारियों ने किसानों को खेत तालाब योजना, खेत की मेड़ पर पौधे लगाने, सूक्ष्म सिंचाई आदि की जानकारी भी दी।

 

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