इलाहाबाद हाई कोर्ट ने महिला शिक्षकों को फिर दी बड़ी राहत, बेटे की गंभीर बीमारी पर भी हो सकता तबादला

Feb 10, 2021
Source: jagran.com

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अंतर जिला तबादले में प्राथमिक विद्यालयों की अध्यापिकाओं को फिर बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने कहा कि बच्चे की बीमारी अध्यापिका के अंतर जिला तबादले का वैध आधार है। इससे पूर्व सिर्फ पति और पत्नी की बीमारी के आधार पर ही तबादले की मांग की जा सकती थी। कोर्ट ने कहा कि बच्चे की बीमारी एक संवेदनशील मामला है। इस पर विचार न करके तबादला देने से इन्कार करना अनुचित है। कोर्ट ने अंतर जिला स्थानांतरण से इन्कार करने का 27 फरवरी 2020 का आदेश रद कर दिया है।

यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने प्रयागराज की अध्यापिका सईदा रुखसार मरियम रिजवी की याचिका पर दिया है। याची के अधिवक्ता नवीन शर्मा का कहना था कि याची का साढ़े पांच वर्ष का बेटा अस्थमा से पीड़ित है। उसकी बीमारी 80 प्रतिशत तक है। पति लखनऊ में बिजली विभाग में इंजीनियर हैं। याची ने बेटे की बीमारी का हवाला देकर अंतर जिला तबादले की मांग की थी। लेकिन, आवेदन बिना कोई कारण बताए निरस्त कर दिया गया। अधिवक्ता का कहना था कि स्थानांतरण संबंधी प्रत्यावेदन रद करते समय सेवा नियमावली और दो दिसंबर 2019 के शासनादेश का ध्यान नहीं रखा गया।

अधिवक्ता ने कुमकुम बनाम उत्तर प्रदेश राज्य में दिए फैसले का हवाला भी दिया। कोर्ट का कहना था कि अध्यापक सेवा नियमावली के नियम 8(2) (डी) का उद्देश्य महिला के हितों की रक्षा करना है, इसलिए उसे उस स्थान पर नियुक्ति दी जानी चाहिए उसका पति कार्यरत है। सेवा नियमावली में बच्चे की बीमारी का कोई जिक्र नहीं है। यह अक्षम व्यक्तियों का अधिकार अधिनियम 2016 में दिया गया है। दो दिसंबर 2019 का शासनादेश इसी अधिनियम के आधार पर जारी किया गया है।

हाई कोर्ट ने अंतर जिला स्थानांतरण से इनकार करने के 27 फरवरी 2020 के आदेश को रद करते हुए बेसिक शिक्षा परिषद प्रयागराज को एक माह के भीतर याची के स्थानांतरण की प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया है।

 

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