Allahabad High Court का महत्‍वपूर्ण आदेश, Covid मरीज के भर्ती होने पर मौत की कोई भी वजह हो, उसे कोविड ही माना जाएगा

Aug 01, 2022
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प्रयागराज, जागरण संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि एक बार कोविड-19 के तौर पर मरीज भर्ती हो जाने पर उसकी मौत का कारण कुछ भी हो, उसकी मौत किसी अन्य बीमारी से नहीं मानी जाएगी। फिर चाहे हृदय गति रुकने या किसी अन्य अंग के काम न करने के कारण हुई हो। मौत का कारण कोविड-19 को ही माना जाएगा।

30 दिन में कोविड पीडि़त आश्रितों को आर्थिक सहायता राशि देने का आदेश : यह आदेश कुसुम लता यादव और कई अन्य द्वारा दाखिल याचिकाओं को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान की खंडपीठ ने दिया। साथ ही राज्य के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे 30 दिन की अवधि के भीतर कोविड पीड़ितों के आश्रितों को अनुग्रह राशि का भुगतान करें। अगर एक माह में राशि का भुगतान नहीं किया गया तो नौ प्रतिशत ब्याज सहित भुगतान करना होगा। 

हाई कोर्ट ने कही महत्‍वपूर्ण बातें : हाई कोर्ट ने कहा कि कोविड -19 के कारण अस्पतालों में होने वाली मौतें पूरी तरह से प्रमाण की कसौटी पर खरी उतरती हैं। हृदय की विफलता या अन्य कारण का तर्क देकर कोविड को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। कोविड-19 एक संक्रमण है, जिसके कारण हार्ट, किडनी जैसे कोई भी अंग प्रभावित होने से व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है।

कोर्ट ने दिया 25 हजार रुपये भुगतान का आदेश : हाई कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि याचिका दायर करने वाले हरेक याचिकाकर्ता को 25 हजार रुपये का भुगतान किया जाए। कोर्ट ने दावों के अनुमति वाले याचिकाकर्ताओं के लिए यह आदेश दिया है। याचिकाकर्ताओं ने 1 जून, 2021 के सरकारी आदेश (शासनादेश) के खंड 12 को मुख्य रूप से चुनौती दी थी। यह दावों की अधिकतम सीमा को निर्धारित करने वाला बिंदु है। इस आदेश के तहत कोविड संक्रमित होने के 30 दिनों के भीतर मौत के मामलों में मुआवजे के भुगतान का आवेदन करने की बात कही गई थी। कोर्ट में इसी बिंदु को चुनौती दी गई और अब इस पर फैसला आया है।

मौत को 30 दिन के भीतर सीमित करने का तर्क उचित नहीं : याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि इस शासनादेश का उद्देश्य उस परिवार को मुआवजा देना है, जिसने कोविड के कारण पंचायत चुनाव के दौरान अपने परिवार के लिए रोजी-रोटी कमाने वाले को खो दिया। कोर्ट में याचिकाकर्ता ने कहा कि सरकारी अधिकारियों ने यह तो माना कि उनके पति की मौत कोविड के कारण हुई। लेकिन, शासनादेश के खंड 12 में निहित सीमा के भीतर मौत नहीं होने के कारण मुआवजे से वंचित किया जा रहा है। कोर्ट ने कहा कि सरकार की ओर से कोविड संक्रमण के 30 दिनों के भीतर मौत को सीमित करने का कोई उचित कारण नहीं है। कई ऐसे भी मामले सामने आए हैं, जहां कोविड संक्रमितों की मौत 30 दिनों के बाद हुई है। साथ ही यह भी तर्क दिया गया कि ऐसे मुद्दों की जांच के लिए सक्षम अधिकारी को अधिकार दिया जाना चाहिए। मौत के लिए 30 दिनों की समय सीमा पूरी तरह से तर्कहीन है।

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