'बार काउंसिल ऑफ इंडिया से संपर्क करें ': सुप्रीम कोर्ट ने गर्मियों के दौरान वकीलों के ड्रेस कोड में ढील देने की याचिका पर विचार करने से इनकार किया

Jul 26, 2022
Source: https://hindi.livelaw.in

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गर्मी के मौसम में वकीलों के लिए ड्रेस कोड में ढील देने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को अपनी शिकायत के संबंध में बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) से संपर्क करने के लिए कहा।

इसके बाद याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका वापस लेने का फैसला किया, जिसकी बेंच ने अनुमति दे दी।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट विकास सिंह ने कहा कि चूंकि सुप्रीम कोर्ट में एयर कंडिशन कॉरिडोर नहीं हैं, इसलिए बैक गाउन और कोट पहनना एक समस्या होगी, खासकर दिल्ली के मौसम में । उन्होंने बेंच को अवगत कराया कि सुप्रीम कोर्ट के वकील भी ड्रेस कोड की व्यावहारिकता को लेकर समान रूप से चिंतित हैं। 

बेंच ने याचिकाकर्ता से सवाल किया कि संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत याचिका पर कैसे विचार किया जा सकता है।

याचिकाकर्ता द्वारा याचिका वापस लेने की मांग के बाद अदालत ने स्पष्ट किया कि अगर बीसीआई उक्त अनुरोध पर कार्रवाई नहीं करता है तो याचिकाकर्ता फिर से शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए स्वतंत्र होगा।

न्यायालय एडवोकेट शैलेंद्र मणि त्रिपाठी द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में एडवोकेट को गर्मियों के महीनों में काले कोट और गाउन पहनने से छूट देने की मांग की गई थी। इस संबंध में वह चाहते थे कि न्यायालय बार काउंसिल ऑफ इंडिया को अपने नियमों में संशोधन करने का निर्देश दे ताकि वकीलों को गर्मी के महीनों में काले कोट और गाउन पहनने से छूट मिल सके। 

याचिकाकर्ता के अनुसार, जिला न्यायालयों, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के बीच जाना और जाना, भीषण गर्मी में कोट और गाउन पहनना असहनीय हो जाता है, और महत्वपूर्ण फाइलों और अन्य वस्तुओं के कारण उन्हें उतारना और साथ ले जाना हमेशा संभव नहीं होता है।

इसके अलावा, याचिकाकर्ता वकील ने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले सभी वकील पर्याप्त रूप से संपन्न नहीं हैं, जो एयर कंडिशन में रहें। गर्मियों के महीनों में काला कोट और गाउन पहनना उनके लिए मुश्किल होता है। 

याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया है कि असहज पोशाक से बेचैनी के कारण प्रोडक्टिविटी में कमी आती है और अदालतों के परिसर में घूमना, काला कोट और गाउन असहनीय गर्म मौसम में पहनने से निराशा और नाराजगी होती है।

याचिका में आगे तर्क दिया गया है कि अत्यधिक पसीने के कारण कोट और ब्लेज़र अनावश्यक आर्थिक बोझ डालते हैं।

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