भीमा कोरेगांव केस: एनआईए ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, ट्रायल शुरू करने में देरी हमारी वजह से नहीं

Mar 02, 2023
Source: https://hindi.livelaw.in

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि भीमा कोरेगांव मामले में आरोपियों के मुकदमे में देरी के लिए एजेंसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। एडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने अदालत से कहा, “मामले को आरोप तय करने के लिए पोस्ट किया गया है। हालांकि, अभियुक्तों की ओर से ‌डिस्चार्ज के लिए नौ आवेदन दायर किए गए हैं, जो लंबित हैं। इस वजह से अभी तक ट्रायल शुरू नहीं हो सका है। हाईकोर्ट ने इस मामले को दिन-प्रतिदिन के आधार पर उठाने का निर्देश भी दिया है। मैं स्पष्ट कर दूं कि एजेंसी की ओर से कोई चूक नहीं हुई है, जिसके कारण देरी हुई है।”जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस सुधांशु धूलिया की खंडपीठ वर्नन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। दोनों अगस्त 2018 से गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत आरोपों के लिए जेल में बंद हैं। उन्हें 2018 में पुणे स्थित भीमा कोरेगांव में हुई जाति-आधारित हिंसा और प्रतिबंधित वामपंथी संगठन, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के साथ कथित संबंध के कारण गिरफ्तार किया गया था।गोंसाल्वेस और फरेरा ने दिसंबर 2021 में बॉम्‍बे हाईकोर्ट द्वारा उन्हें ‌डिफॉल्ट जमानत नहीं दिए जाने पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने दलील दी थी कि एक अन्य सह-आरोपी सुधा भारद्वाज को ‌‌डिफॉल्ट जमानत का लाभ दिया गया था। हाईकोर्ट के आदेश के ‌खिलाफ पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गई ‌थीं, हालांकि पिछले साल मई में उन्हें भी रद्द कर दिया गया था। उल्लेखनीय है कि इस मामले में अभी ट्रायल शुरू नहीं हुआ है।सीनियर एडवोकेट रेबेका जॉन (गोंसाल्वेस के लिए) और सीनियर एडवोकेट आर बसंत (फरेरा के लिए) ने कहा कि लगभग पांच साल बीत जाने के बावजूद अभी तक आरोप तय नहीं किए गए हैं। जॉन ने कहा कि गोंजाल्विस की कैद को देखते हुए उन्हें जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा "एनआईए पूरक चार्जशीट दाखिल करती रहती है।" एएसजी ने आश्वासन दिया कि वर्तमान मामले में अपीलकर्ताओं के खिलाफ जांच पूरी हो चुकी है और अंतिम चार्जशीट दायर की जा चुकी है।उल्लेखनीय है कि भीमा कोरेगांव हिंसा के सिलसिले में कुल 16 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें से जेसुइट पादरी और आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी का चिकित्सा आधार पर जमानत मिलने का इंतजार करते हुए निधन हो गया था। चार अन्य को विभिन्न कारणों से जेल से रिहा कर दिया गया है। अन्य सभी आरोपी 2018 के अंत से जेल में बंद हैं।

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