CCU से बढ़ेगी थर्मल पावर प्लांट की आयु, एनटीपीसी निभाएगी अग्रणी भूमिका

Dec 31, 2021
Source: https://www.jagran.com

पिछले एक दशक में भारत ने 13382 मेगावाट क्षमता वाले 166 थर्मल प्लांट को बंद किया है। भारत ने रिन्युएबल ऊर्जा क्षमता को काफी बढ़ाना शुरू कर दिया है। लेकिन अगर सीसीयू जैसी तकनीक काम करती है तो भारत अपने विशाल कोयला भंडार का भी उपयोग कर सकेगा

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। सीसीयू यानी कार्बन कैप्च¨रग एंड यूटिलाइजेशन तकनीक देश के थर्मल पावर (कोयला से बिजली बनाने वाले) प्लांट्स के लंबे भविष्य की गारंटी हो सकती है। इस तकनीक को लेकर भारत सरकार मंे भी उत्साह है। हाल ही में बिजली मंत्री आरके ¨सह की अध्यक्षता में एनटीपीसी की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई है। एनटीपीसी देश की सबसे बड़ी बिजली कंपनी है और कोयला से बिजली बनाने की इसकी क्षमता 48,000 मेगावाट के करीब है। वर्ष 2070 तक नेट जीरो यानी देश में कार्बन उत्सर्जन को शून्य पर लाने के लक्ष्य ने एनटीपीसी समेत सभी थर्मल पावर प्लांट्स के भविष्य पर सवाल उठा दिया है। ऐसे में इन प्लांट्स के लिए सीसीयू को अपनाने का फैसला किया गया है।

सीसीयू तकनीक का अभी सिर्फ कनाडा में उपयोग हो रहा है। वहां 110 मेगावाट बिजली बनाने की क्षमता लगाई गई है। बिजली मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि इस तकनीक का बड़े पैमाने पर उपयोग करने वाला भारत पहला देश बनेगा। बिजली मंत्री व एनटीपीसी के अधिकारियों के बीच हुई बैठक में यह फैसला किया गया कि कंपनी 20 टन रोजाना क्षमता की पायलट परियोजना शुरू करेगी। यह तकनीक सही तरीके से काम कर गई तो थर्मल प्लांट्स की बड़ी समस्या का समाधान हो सकता है।बिजली मंत्रालय इस तकनीक पर इसिलए भी जोर दे रहा है कि इसके सफल होने की स्थिति में वर्ष 2070 के बाद भी थर्मल प्लांट से बिजली उत्पादन जारी रखा जा सकता है। जाती है तो वर्ष 2070 के बाद भी कोयला से बिजली बनाने का रास्ता साफ हो सकता है।

सीसीयू तकनीक का अभी सिर्फ कनाडा में उपयोग हो रहा है। वहां 110 मेगावाट बिजली बनाने की क्षमता लगाई गई है। बिजली मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि इस तकनीक का बड़े पैमाने पर उपयोग करने वाला भारत पहला देश बनेगा। बिजली मंत्री व एनटीपीसी के अधिकारियों के बीच हुई बैठक में यह फैसला किया गया कि कंपनी 20 टन रोजाना क्षमता की पायलट परियोजना शुरू करेगी। यह तकनीक सही तरीके से काम कर गई तो थर्मल प्लांट्स की बड़ी समस्या का समाधान हो सकता है।बिजली मंत्रालय इस तकनीक पर इसिलए भी जोर दे रहा है कि इसके सफल होने की स्थिति में वर्ष 2070 के बाद भी थर्मल प्लांट से बिजली उत्पादन जारी रखा जा सकता है। जाती है तो वर्ष 2070 के बाद भी कोयला से बिजली बनाने का रास्ता साफ हो सकता है।

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