इकोनॉमी की बुनियाद बुलंद, कोरोना का असर पहली तिमाही के बाद नहीं, टीकाकरण के साथ-साथ मजबूत होगी अर्थव्यवस्था

May 19, 2021
Source: https://www.jagran.com/

नई दिल्ली, पीटीआइ। आरबीआइ की मौद्रिक नीति समीति (एमपीसी) सदस्य आशिमा गोयल ने भरोसा जताया है कि कोरोना संकट की दूसरी लहर के चलते इकोनॉमी पर जो दबाव है, वह चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून, 2021) के बाद नहीं दिखेगा। उन्होंने मंगलवार को कहा कि देश की बड़ी आबादी को कोरोना से बचाव का टीका लग जाने के बाद इकोनॉमी बेहतर प्रदर्शन करने लगेगी। इसमें देश के हर क्षेत्र से बढ़ने वाली मांग, वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार और वित्तीय बाजार में आने वाली सहूलियतें बड़ी मदद करेंगी।

मशहूर अर्थशास्त्री गोयल का कहना था कि भारत में वैश्विक टीका उत्पादन का केंद्र बनने की क्षमता है। जल्द उत्पादन में तेज बढ़ोतरी दिखेगी। देशव्यापी लॉकडाउन की जगह इस बार क्षेत्रीय स्तर पर प्रतिबंधों को जिस तरह से प्राथमिकता दी गई है, उससे कोरोना के प्रसार को थामने में बड़ी मदद मिली है। स्थानीय लॉकडाउन की वजह से सप्लाई चेन में भी वैसी बाधा नहीं आई है जैसी पिछले वर्ष दिखी थी। इस नई व्यवस्था ने साबित किया है कि देश को पूर्ण लॉकडाउन की कोई जरूरत नहीं है

हाल ही में रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल ने चालू वित्त वर्ष के लिए देश का विकास दर अनुमान घटाकर 9.8 फीसद कर दिया। एजेंसी का कहना था कि कोरोना की दूसरी लहर से इकोनॉमी की विकास रफ्तार बेहद सुस्त हुई है। रेटिंग एजेंसी फिच ने भी चालू वित्त वर्ष के लिए विकास दर अनुमान को घटाकर 9.5 फीसद कर दिया।

रेटिंग एजेंसियों के इन अनुमानों के बीच सरकार राजकोषीय घाटे को किस तरह से देखती है, इस बारे में गोयल का कहना था कि विकसित अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले भारत की राजकोषीय स्थिति पिछले वर्ष कोरोना के बाद अच्छी रही है। गोयल ने कहा कि रेटिंग एजेंसियों को भी इस बात का भरोसा है कि लंबी अवधि में भारत की विकास यात्रा में कोई बाधा नहीं है और वे देश की मौजूदा राजकोषीय स्थिति को उसी नजरिये से देखना चाहेंगी।

जहां तक देश को पांच लाख करोड़ डॉलर की इकोनॉमी बनाने का सवाल है तो गोयल का कहा था कि मौजूदा कोरोना संकट की चुनौतियों को देखते हुए इसमें थोड़ा और वक्त लग सकता है। उल्लेखनीय है कि सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 तक देश को पांच लाख करोड़ डॉलर की इकोनॉमी बनाने का लक्ष्य रखा हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि बैंकों को ज्यादा कुशल बनाने के लिए उनके निजीकरण की जरूरत अपनी जगह है। लेकिन फिलहाल बैंकों को कर्ज वितरण बढ़ाने और बाजार में पर्याप्त तरलता मुहैया कराने पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि इकोनॉमी को इसी से गति मिलेगी।

दूसरी छमाही में अच्छा रहेगा रिटर्न

मॉर्गन स्टेनले ने एक रिपोर्ट में कहा है कि वर्तमान में भारतीय इक्विटी बाजार पर जो थोड़ा-बहुत दबाव दिखा है, उससे इस वर्ष दूसरी छमाही (जुलाई-दिसंबर, 2021) के दौरान अच्छी कमाई दिखेगी। अमेरिकी ब्रोकरेज एजेंसी का मानना है कि विकास, स्थायित्व, सरकार व भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) की नीतियों तथा कंपनियों की कमाई को देखते हुए कहा जा सकता है कि आने वाला समय इक्विटी बाजार के लिए अच्छा रहने वाला है। उल्लेखनीय है कि मंगलवार को ही बीएसई के 30-शेयरों वाले सेंसेक्स ने फिर से 50,000 का स्तर हासिल किया है।

 

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