क्या हाईकोर्ट रिट क्षेत्राधिकार के तहत 'वन टाइम सेटलमेंट' समय अवधि बढ़ा सकता है? सुप्रीम कोर्ट विचार करेगा

May 31, 2022
Source: https://hindi.livelaw.in

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हाल ही में इस बात पर विचार करने के लिए सहमति व्यक्त की कि क्या अनुच्छेद 226 के तहत हाईकोर्ट वन टाइम सेटलमेंट ("ओटीएस") में उल्लिखित समय अवधि को बढ़ा सकता है, भले ही ओटीएस के तहत एक विशेष समय सीमा तय की गई हो और रियायत दी गई हो।

जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के 10 मार्च, 2022 के आदेश का विरोध करने वाली एक विशेष अनुमति याचिका पर विचार करते हुए प्रश्न की जांच करने पर सहमति व्यक्त की।

पीठ ने अपने आदेश में कहा, "इस कोर्ट के विचार के लिए जो प्रश्न उठाया गया है वह यह है कि क्या भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए हाईकोर्ट वन टाइम सेटलमेंट (ओटीएस) में उल्लिखित समय अवधि को बढ़ा सकता है जब ओटीएस के तहत, एक विशेष समय-सीमा तय की गई है और रियायत दी गई है और देय राशि को काफी कम कर दिया गया है। 12.08.2022 को वापस करने योग्य नोटिस जारी किया जाता है।" पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के समक्ष मामला

अरविंद्रा इलेक्ट्रॉनिक्स ने 16 मई, 2018 को संचार को रद्द करने के लिए प्रमाण पत्र जारी करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसके द्वारा बैंक ने याचिकाकर्ता के अनुरोध को 21.05.2018 को10.54 करोड़ की कुल एकमुश्त निपटान राशि में से ₹2.52 करोड़ (बैंक दर पर ब्याज सहित) की शेष राशि के पुनर्भुगतान के लिए निर्धारित तिथि से आगे का समय देने के लिए अस्वीकार कर दिया था। अनु भल्ला और अन्य बनाम जिला मजिस्ट्रेट, पठानकोट में अनुपात का जिक्र करते हुए, जहां डिवीजन बेंच ने विशेष रूप से कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करते हुए, उच्च न्यायालयों के पास ओटीएस पत्र में मूल रूप से प्रदान की गई निपटान की अवधि बढ़ाने का अधिकार क्षेत्र होगा, लेकिन निर्धारित कुछ दिशानिर्देशों का पालन किया जाना है।

हाईकोर्ट ने सरदार एसोसिएट्स बनाम पंजाब एंड सिंध बैंक 2009 (8) SCC 257, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया बनाम रवींद्र 2002 (1) SCC 367 में कहा था, "इसलिए हम इस बात से सहमत नहीं हैं कि ओटीएस स्वीकृति पत्र में निर्धारित समय सीमा पवित्र है और किसी भी कारण से बैंक द्वारा इसे बढ़ाया नहीं जा सकता है। तदनुसार हम याचिकाकर्ता को ओटीएस की शर्तों का पालन करने के समय को लेकर प्रतिवादी द्वारा जारी अस्वीकृति पत्र अनुलग्नक पी 1 दिनांक 16.5.2018 को अस्वीकार करते हैं।"

केस टाइटल: स्टेट बैंक ऑफ इंडिया बनाम अरविंद्रा इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड| एसएलपी (सिविल) 9218/2022

 

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