परिवहन सेवाओं पर ब्रेक नहीं लगा पाएगा कोरोना

Apr 30, 2020

परिवहन सेवाओं पर ब्रेक नहीं लगा पाएगा कोरोना

गौर कीजिए कि चार महीने पहले चीन के वुहान से होते हुए कोरोना का साया कैसे धीरे धीरे पूरे विश्व पर गहराता चला गया। दरअसल उसने उस हवाई जहाज पर चढ़कर दुनिया में पैर जमाए जिसने विश्व को एक छोटे गांव में तब्दील कर दिया है। परिवहन क्षेत्र जिसने दुनिया को अभूतपूर्व स्वरूप दिया है, कोरोना काल में वही सबसे ज्यादा दागी हो गया। अभी विश्व के सभी देशों ने एक दूसरे से खुद को काट रखा है। अंतरराष्ट्रीय के साथ साथ अंतरदेशीय परिवहन व्यवस्था पर सबने ताला लगा रखा है। सवाल यह है कि कोरोना के बाद की स्थिति जब सभी क्षेत्रों पर असर छोड़ने वाली है तो क्या परिवहन का स्वरूप भी बदलेगा। शारीरिक दूरी जैसे नियम क्या हवाई और रेल सेवा में लंबे समय तक लागू रह पाएंगे? माना जा रहा है कि कोरोना के लिए सौ फीसद सफल वैक्सीन या दवा आने तक जरूर परिवहन व्यवस्था बदली बदली दिखे, लेकिन उसके बाद इसे पुराने स्वरूप में लाना ही होगा। जब लॉकडाउन के बाद सार्वजनिक गतिविधियां चालू होंगी और उद्योग-व्यापार का चक्र फिर से शुरू होगा तो परिवहन साधनों के पहिये भी घूमने लगेंगे। हां, फिलहाल हवाई सेवा, रेल या फिर बस सेवा में भी सुरक्षा मानक सख्त होंगे।

एयरलाइनों का धंधा पहले से ही मंदा चल रहा था। जेट एयरवेज की उड़ानें बंद होने के बावजूद दूसरी एयरलाइनों के धंधे में कोई खास बढ़ोतरी देखने को नहीं मिली। करीब डेढ़ महीने तक उड़ानें बंद रहने के बाद जब भी खुलेंगी, एयरलाइनों का नुकसान इतना अधिक हो चुका होगा कि अगले एक साल तक उससे उबरने की सूरत नजर नहीं आती। ऐसे में जब भारत के अंदर यह मांग उठ रही थी कि रेलवे में सीट उपलब्धता एयरलाइन की तरह होनी चाहिए कि आखिरी वक्त में भी आरक्षण मिले, फिलहाल यह कहना भी मुश्किल है कि एयरलाइन में वह स्थिति बनी रहेगी। हालात अभी चाहे जैसे हों यह मानकर चलना चाहिए कि कोरोना लंबे अरसे तक परिवहन की गाड़ी को नहीं रोक सकेगा।

इंडियन फाउंडेशन आफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च एंड ट्रेनिंग के संयोजक व परिवहन विशेषज्ञ एसपी सिंह के मुताबिक केवल वे ही ट्रांसपोर्टर कारोबार कर सकेंगे जो दीर्घकालिक कांट्रेक्ट के आधार पर माल की ढुलाई करते हैं। रोज बाजार से माल उठाने वाले लगभग आधे ट्रांसपोर्टर और ट्रकर को धंधा बंद करने अथवा स्वयं ट्रक चलाने पर विवश होना पड़ सकता है। वैसे भी ट्रांसपोर्ट व्यवसाय पिछले साल से ही मंदी की गिरफ्त में था और हजारों ट्रांसपोर्टरों ने बैंकों की किस्त न चुका पाने के कारण अपने नए खरीदे ट्रक बैंकों के दरवाजे पर खड़े कर दिए थे। यह स्थिति और बिगड़ सकती है।

ट्रेन में आरक्षण से पहले ही पूरी तरह स्वस्थ होने की स्व-घोषणा करनी पड़ सकती है। एयरपोर्ट की तरह ट्रेन पकड़ने के लिए समय से काफी पहले रेलवे स्टेशन पहुंचना पड़ सकता है ताकि जांच-पड़ताल के अलावा सैनिटाइजेशन की प्रक्रिया पूरी की जा सके। यात्री किराया और माल ढुलाई दोनों बढ़ सकती है। रेलवे बोर्ड के पूर्व सदस्य इंजीनियरिंग, सुबोध जैन के अनुसार कोरोना का असर लंबे अरसे तक रहने से रेलवे को सबसे बड़ा झटका लगने वाला है। लोग कड़े नियम-कायदों के झंझट में पड़ने के बजाय खुद की गाड़ियों से लंबी दूरी की यात्र करना शुरू कर देंगे। इसलिए यात्रियों पर ज्यादा कड़ाई के बजाय उनके स्वास्थ्य प्रमाणपत्र पर रेलवे को जोर देना चाहिए। माल ढुलाई में भी रेलवे का हिस्सा गिरेगा क्योंकि आगे चलकर ट्रकों की ओर रुझान बढ़ने वाला है।

हॉट स्पॉट में घूमे तो पकड़ लेगी कोरोना सेफ्टी डिवाइस http://uvindianews.com/news/corona-safety-device-will-catch-if-you-walk-into-the-hot-spot

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