COVID 19 मरीज़ों की पहचान ज़ाहिर करना सामाजिक कलंक की तरह मद्रास हाईकोर्ट

May 02, 2020

COVID 19 मरीज़ों की पहचान ज़ाहिर करना सामाजिक कलंक की तरह मद्रास हाईकोर्ट

मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में COVID 19 मरीज़ों की पहचान ज़ाहिर करने के बारे में दायर एक याचिका ख़ारिज कर दी। न्यायमूर्ति एम सत्यनारायणन और न्यायमूर्ति एम निर्मल कुमार की पीठ ने यह कहते हुए याचिका ख़ारिज कर दी कि COVID 19 के बहुत ही संक्रमणकारी होने की वजह से इससे संक्रमित मरीज़ों की पहचान ज़ाहिर करने से सामाजिक कलंक का मामला और गहरा जाएगा।

अदालत ने इस बारे में COVID 19 के साथ जुड़ा सामाजिक कलंक नामक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के निर्देशों का हवाला दिया जिसमें जनता को संक्रमित लोगों के बारे में किसी तरह का पूर्वाग्रह नहीं रखने को कहा गया है। याचिकाकर्ता ने कहा कि अगर COVID 19 मरीज़ों की पहचान ज़ाहिर की गई तो इससे अन्य लोग जो उसके संपर्क में आए हैं, उन्हें खुद को क्वारंटाइन करने में मदद मिलेगी और इस तरह से इस बीमारी को और ज़्यादा फैलने से रोका जा सकेगा।

याचिकाकर्ता ने कहा,

"जिस व्यक्ति को संक्रमण हुआ है उसकी पहचान को छिपाने से हो सकता है कि वह व्यक्ति अन्य व्यक्ति को भी संक्रमित करे, इसलिए याचिकाकर्ता का आग्रह है कि अदालत इस बारे में उचित निर्देश दे और सरकार को COVID 19 से संक्रमित लोगों के नाम वेबसाइट पर प्रकाशित करने को कहे ताकि यह अन्य लोगों कि लिए चेतावनी का काम करे और वे ऊस व्यक्ति से दूर रहे।" पर अदालत ने इन दलीलों पर ध्यान नहीं दिया और कहा कि इस मामले में याचिकाकर्ता को क़ानून और व्यवस्था की स्थिति का ख़याल करते हुए अदालत कोई राहत नहीं दे सकती है।

अदालत ने कहा,

"लोग धीरे-धीरे COVID 19 के बारे में सतर्क हो रहे हैं और अगर याचिकाकर्ता ने जो अनुमति मांगी है, वह दे दी जाती है, तो इससे सामाजिक कलंक के साथ-साथ क़ानून और व्यवस्था की स्थिति पैदा हो जाएगी, कई बार सामाजिक बहिष्कार तक की नौबत आ जाएगी।" हाल ही में COVID 19 से संक्रमित एक डॉक्टर की हृदयगति रुक जाने से मौत हो गई और उसको दफ़नाने को लेकर क़ानून और व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हो गई क्योंकि लोगों ने इसका भारी विरोध किया।

इस मुद्दे पर अपनी टिप्पणी में अदालत ने कहा, "कल COVID 19 संक्रमण से मरने वाले एक डॉक्टर के शव को दफ़नाने की जब बात हुई (भारी हंगामा होने से) क़ानून और व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हो गई और लोगों ने एम्बुलेंस कर ड्राइवर, स्वास्थ्यकर्मियों, सरकारी अधिकारियों और मृत व्यक्ति के शव पर भी हमला कर दिया और बाध्य होकर उन्हें कहीं और दफ़नाना पड़ा।" हाईकोर्ट ने इस घटना का स्वतः संज्ञान लिया और राज्य को नोटिस जारी कर कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दफ़नाए जाने के अधिकार की गारंटी मिली हुई है।

यह भी पढ़े-

वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने मोबाइल टेस्ट लैबोरेट्री और पीपीई किट के लिए भी फंड दिया कहा, जितना कर सकते हैं http://uvindianews.com/news/senior-advocate-mukul-rohatgi-also-gave-funds-for-mobile-test-laboratory-and-ppe-kit-as-much-as-he-can

आपकी राय !

क्या आप ram mandir से खुश है ?

मौसम