दिल्ली प्रदूषण: सुप्रीम कोर्ट ने वायु गुणवत्ता आयोग को स्थायी समाधान के लिए जनता और विशेषज्ञों के सुझाव आमंत्रित करने का निर्देश दिया

Dec 17, 2021
Source: https://hindi.livelaw.in

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्रों और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण की समस्या के स्थायी समाधान के लिए आम जनता और विशेषज्ञों से सुझाव मांगने का निर्देश दिया।

चीफ ज‌स्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमाना, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की खंडपीठ ने कहा, प्राप्त सुझावों पर आयोग द्वारा गठित विशेषज्ञ समूह द्वारा विचार किया जाना है।पीठ ने यह निर्देश राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए तत्काल निर्देश की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया गया।

बेंच ने केंद्र की इस दलील को भी दर्ज किया कि दिल्ली एनसीआर और आसपास के इलाकों में निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध के संबंध में फैसला कल लिया जाएगा। बेंच मामले की अगली सुनवाई पहली फरवरी को करेगी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यून‌ियन ऑफ इंडिया की ओर से आयोग द्वारा लिए गए महत्वपूर्ण निर्णयों से पीठ को अवगत कराया। उन्होंने अदालत को बताया, दूध, डेयरी प्रसंस्करण, दवाओं के निर्माण, जीवन रक्षक दवाओं और चिकित्सा उपकरणों से संबंधित औद्योगिक प्रक्रियाओं के संचालन की अनुमति दी गई है। एसजी ने बताया कि कुछ उद्योगों को, जिन्हें पहले 8 घंटे काम करने की अनुमति थी, उन्हें सप्ताह में 5 दिन लगातार काम करने की अनुमति दी गई है।



याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने प्रस्तुत किया, किए जा रहे उपाय अस्थायी हैं और अधिक स्थायी उपाय किए जाने की आवश्यकता है। सिंह ने कहा, "उदाहरण के लिए थर्मल प्लांट बंद करने से जेनरेटर सेट का इस्तेमाल होता है। अगर फ्लाईओवर के निर्माण में देरी होती है तो उस क्षेत्र में और कारें बढ़ती हैं। ये अल्पकालिक उपाय हैं।" पीठ ने हालांकि पाया कि आयोग उस दिशा में काम कर रहा है। पिछले सुनवाई पर (10 दिसंबर 2021) को सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को एक सप्ताह के भीतर निर्माण गतिविधियों और औद्योगिक गतिविधियों पर प्रतिबंध हटाने पर निर्णय लेने की स्वतंत्रता दी थी।

खंडपीठ ने दिल्ली की वायु गुणवत्ता में मामूली सुधार को ध्यान में रखते हुए बिल्डर्स फोरम, चीनी, चावल और पेपर मिलों आदि के संचालकों द्वारा दायर हस्तक्षेप आवेदनों का निपटारा किया था। इस आदेश के बाद, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने एक हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था कि, उसने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र-दिल्‍ली में दूध, डेयरी प्रसंस्करण, दवाओं के निर्माण, जीवन रक्षक दवाओं और चिकित्सा उपकरणों से संबंधित औद्योगिक प्रक्रियाओं के चौबीसों घंटे निर्बाध संचालन की अनुमति दी है। हालांकि, स्कूलों को फिर से खोलने और निर्माण प्रतिबंध हटाने के संबंध में निर्णय टाल दिया गया है। न्यायालय ने हालांकि निर्माण प्रतिबंध की अवधि के दौरान श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी के भुगतान से संबंधित एक आवेदन को बरकरार रखा था और राजस्थान और उत्तर प्रदेश राज्यों को निर्देश दिया था कि वे इस अवधि के दौरान मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी के भुगतान के आदेश के अनुपालन को दर्शाने वाले हलफनामे दाखिल करें। सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर के दूसरे सप्ताह में मामले को उठाया था, जब दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता गंभीर स्तर तक गिर गई थी। कोर्ट ने केंद्र सरकार और एनसीआर को आपातकालीन उपाय करने के लिए कहा था।

केस शीर्षक: आदित्य दुबे (नाबालिग) और अन्य बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य

 

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