DIN सिस्टम की हो चुकी है शुरुआत, टैक्सपेयर्स को मिलेगी राहत
DIN सिस्टम की हो चुकी है शुरुआत, टैक्सपेयर्स को मिलेगी राहत
अकसर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से टैक्सपेयर्स को नोटिस जारी किया जाता है. कई बार नोटिस के असली या फर्जी होने का पता लगाना मुश्किल होता है. लेकिन अब केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने एक खास सुविधा की शुरुआत की है.
दरअसल, सीबीडीटी का दस्तावेज पहचान संख्या यानी DIN नंबर शुरू हो चुका है. इसके बाद अब सीबीडीटी करदाताओं को ऊकठ के साथ ही नोटिस जारी करेगा. इसका मतलब यह है कि कंप्यूटर जनरेटेड DIN के बिना आयकर विभाग की ओर से नोटिस, लेटर, आदेश या समन या अन्य किसी भी तरह का कम्युनिकेशन अमान्य माना जाएगा. वहीं इसका कानूनी तौर पर भी कोई अस्तित्व नहीं होगा.
राजस्व सचिव अजय भूषण पांडेय ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि सिर्फ विशेष परिस्थितियों को छोड़कर हर तरह का कम्युनिकेशन डीआईएन की सहायता से ही होगा. पांडे ने आगे कहा कि अगर इसके बिना किसी तरह की बातचीत करने की जरूरत हुई तो इसके लिए आयकर विभाग के चीफ कमिश्नर या डायरेक्टर जनरल से लिखित में अनुमति लेनी पड़ेगी. इसके बिना किसी भी तरह के कम्युनिकेशन को अवैध करार दिया जाएगा. बता दें कि डीआईएन सिस्टम वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के निर्देशन में तैयार किया गया है. वहीं इस सिस्टम को 1 अक्टूबर को लॉन्च किया गया और पहले ही दिन 17,500 नंबर जनरेट किए गए.
टैक्सपेयर्स को क्या करना होगा?
सीबीडीटी की ओर से यह बताया गया है कि टैक्सपेयर्स और डिपार्टमेंट के बीच होने वाले ऑनलाइन कम्युनिकेशन को 15 दिन के भीतर आईटी डिपार्टमेंट के पोर्टल पर अपलोड करना होगा. दोनों के कम्युनिकेशन पर डीआईएन नंबर का इस्तेमाल होगा. वहीं इससे हर कम्युनिकेशन का एक रिकॉर्ड दर्ज होगा. इसके बिना किसी भी तरह का कम्युनिकेशन गलत माना जाएगा.
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