आग का मौसम: ये सावधानियां बरतें नहीं होगा जान माल का नुकसान

Mar 15, 2021
Source: www.gaonconnection.com

बढ़ते तापमान के साथ-साथ आगजनी की घटनाएं भी बढ़ने लगती हैं। कई बार ऐसी दुर्घटनाएं प्राकृतिक होती हैं तो कईं बार इंसानी चूक से। गर्मी में खेतों में बीड़ी-सिगरेट की चिंगारी और चूल्हे की आग से किसानों की मेहनत बर्बाद हो जाती है। कई बार छोटी सी लापरवाही और भूल से आशियाना जलकर खाक हो जाता है। इससे क्षति तो होती ही है कई बार लोगों को जान भी गंवानी पड़ती है। ऐसे में अगर हम कुछ सावधानियां बरत लें तो जान-माल का खतरा टल सकता है।

14 अप्रैल वर्ष 1944 को मुंबई बंदरगाह में अचानक आग लग जाने से 66 अग्निशमन अधिकारी वीरगति को प्राप्त हुए थे। इन शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने और अग्नि से बचाव के उपाय बताने के लिए देशभर में राष्ट्रीय अग्निशमन सेवा दिवस 14 अप्रैल को मनाया जाता है। यह दिवस अब एक दिन न मनाकर 14 से 20 अप्रैल तक 'अग्निशमन सेवा सप्ताह' मनाया जाता है। जिसमें हर जिले में पूरे एक सप्ताह अग्निशमन विभाग जगह-जगह बैठकें करते हैं, रैलियां निकालते हैं और पम्पलेट बांटकर लोगों को आग से सुरक्षा के लिए जागरूक करते हैं।

फायर सर्विस आबादी के अनुसार हर जिले में जगह-जगह पर दमकल गाड़ियां खड़ी करते हैं जिससे कम समय में गाड़ी पहुंचकर लोगों की मदद कर सके। हर जिले में आबादी के हिसाब से सीयूजी नम्बर दिए जाते हैं, काल आते ही गाड़ियों को गन्तव्य तक तुरंत रवाना किया जाता है।

अगर किसी को सीयूजी नम्बर याद नहीं है तो डायल 100 पर काल करने से भी तुरंत मदद मिलती है, क्योंकि ये नम्बर अग्निशमन विभाग से कनेक्ट होता है। उत्तर प्रदेश फायर सर्विसेज के निदेशक पीके राव का कहना है, "किचन की आग या शार्ट सर्किट से झुग्गी-झोपड़ी या गाँव में जब भी आग लगती है तो यह बहुत तेजी से फैलती है।

कोई भी अग्नि दुर्घटना हो उसे नियंत्रित करना बहुत मुश्किल होता है। इसलिए आप सभी से अनुरोध है आग न लगे इसके लिए पूरी सावधानी बरतें।" लखनऊ मुख्यालय में स्थित अग्निशमन विभाग के मुख्य अग्निशमन अधिकारी अभय भान पाण्डेय ने बताया, "हर मौसम में अग्निशमन विभाग तैयार रहता है, लखनऊ जिले में आठ फायर स्टेशन हैं। जिसमें 28 अग्निशमन गाड़ियां हैं, जो किसी प्रकार की आग पर काबू पाने के लिए सक्षम हैं। जिले में 186 फायर मैन, 64 ड्राइवर और 48 लीडिंग फायर मैन हैं।''

कानपुर देहात जिला के अग्निशमन अधिकारी शिवदरस प्रसाद का कहना है, "ज्यादातर आग घूर (गोबर का ढेर) से लगती है, इसलिए जबतक चूल्हे की राख पूरी तरह से बुझ न जाए तबतक उसे कूड़ा-करकट के ढेर में न फेकें। शौच के दौरान बीड़ी-सिगरेट बिलकुल न पिएं, अगर पीते भी हैं तो इसे पूरी तरह से बुझाकर ही फेकें।" वो आगे बताते हैं, "जब भी किसी के खेत में आग लगे, वीडियो बनाने की बजाए तुरंत उसे सभी लोग मिलकर बुझाने में लग जाएं जिससे आग पर तुरंत काबू पाया जा सके। जहां आग लगी है वहां से दो मीटर की दूरी छोड़कर आग बुझाना शुरू करें।"



 

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