हौसले से दी कैंसर को मात, अब दूसरों को दिखा रहीं जीने की राह

Feb 04, 2022
Source: https://www.jagran.com

शाहनवाज अली गाजियाबाद मन के हारे हार है मन के जीते जीत। जी हां इंसान जानलेवा बीमारी स

शाहनवाज अली, गाजियाबाद

मन के हारे हार है, मन के जीते जीत। जी हां, इंसान जानलेवा बीमारी से तय वक्त में मरता है, लेकिन बीमारी का खौफ उसे पल-पल मौत देता है। ऐसी ही जानलेवा बीमारी है कैंसर, जिसका खौफ इंसान को अंदर तक झिझोड़ देता है। अधिकांश मरीज कैंसर का पता चलने पर जिदगी को खत्म मान लेते हैं, लेकिन यह सच नहीं है। इस मिथक को धता बता रही हैं स्मिता सिंह। जिदादिल महिला होने के साथ उनके चेहरे पर आत्मविश्वास, स्वाभिमान और खुशहाली की दमक है। उन्होंने न केवल इस बीमारी को मात दी, बल्कि बहुत से कैंसर मरीजों के लिए वह प्रेरणास्त्रोत भी हैं।

 

गाजियाबाद में रहने वालीं स्मिता सिंह इन दिनों यमुना एक्सप्रेस-वे विकास प्राधिकरण की उप महाप्रबंधक स्मिता सिंह और मकरंद सिंह को शादी के पांच साल बाद घर में नए मेहमान की आने की खुशी मिली। लेकिन नियति ने इस खुशी के साथ एक दुख भी दिया। गर्भावस्था के दौरान नियमित जांच में उन्हें ब्रेस्ट कैंसर की जानकारी मिली। दो माह बाद मिलने वाली खुशी माथे पर चिता की लकीरों में बदल गई। उनके पति ने कैंसर विशेषज्ञ डा. हरित चतुर्वेदी से सलाह ली, लेकिन

डाक्टर ने नौ माह तक कोई भी रिस्क लेने से मना कर दिया। इसके बाद घर में नन्ही परी वरेण्या आई। इसके दो माह बाद ही दिल्ली के वसुंधरा स्थित धर्मशिला अस्पताल में चिकित्सक ने स्मिता सिंह का इलाज शुरू किया। इलाज के दौरान छह बार उनकी कीमोथेरेपी हुई। नौ माह तक इलाज के दौरान उन्होंने पेंटिग के अलावा किताबों में खुद को व्यसत रखा। मुश्किल वक्त में पति मकरंद और मां सुमन सिंह ने उनका पूरा ध्यान रखा। वर्ष 1998 में पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद उन्होंने जून में वापस नौकरी ज्वाइन कर ली। अब उनकी दो बेटियां हैं वरेण्या और वारालिका आज वह परिवार के साथ खुशहाल जीवन व्यतीत कर रही हैं। हिम्मत के साथ भगवान पर विश्वास हो तो दवा भी तेजी से काम करती है। वह आज पूरी तरह फिट हैं और पूरी ऊर्जा के साथ सामाजिक कार्यों में लगी हैं। पीड़ित से मिलकर बढ़ाती हैं हौसला बीमारी से उबरने के दो साल बाद उन्होंने फैसला किया कि कैंसर मरीजों का उत्साहवर्धन करेंगी। जहां भी उन्हें ऐसे मरीजों की जानकारी मिलती, वह उनके पास जाती और बीमारी से उबरने के लिए प्रेरित कर जीने की राह दिखाती। उन्हें पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी स्थित कैंसर पीड़ितों के लिए बनाए गए युवा भवन में बुलाया गया, जहां उन्होंने कैंसर पीड़ितों को अपनी कहानी सुनाने के साथ बीमारी से लड़ने का हौसला दिया। आशा फाउंडेशन की स्थापना कैंसर पीड़ितों के लिए स्मिता सिंह ने आशा फाउंडेशन की स्थापना की है, जो कैंसर पीड़ित गरीब रोगियों को आर्थिक मदद, पारिवारिक काउंसलिग और कैंसर रोग विशेषज्ञ की राय, फंड के लिए गत वर्ष दिल्ली स्थित इंडिया हैबीबेट सेंटर में फाउंडेशन के सदस्यों द्वारा बनाई गई पेंटिग की प्रदर्शनी में बिक्री से प्राप्त राशि का इस्तेमाल कैंसर जागरूकता और मरीजों के इलाज के लिए करते हैं। इसके अलावा वह कैंसर जागरूकता गोष्ठी और वर्कशाप आयोजित करती हैं। महिलाओं में ब्रेस्ट एवं ओवरी कैंसर के प्रति जागरूकता के लिए अभियान चला रही हैं।

 

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