आर्थिक संकट से गुजर रहे गोरखपुर विश्वविद्यालय के पास वेतन के लिए नहीं हैं रुपये, टूटने जा रही 52.98 करोड़ की एफडी
Source: https://www.jagran.com
Financial Crisis in Gorakhpur University गोरखपुर विश्वविद्यालय बीते कुछ समय से आर्थिक संकट से गुजर रहा है। यहां तक कि शिक्षकों और कर्मचारियों को तनख्वाह देने तक में विश्वविद्यालय को दिक्कत आने लगी थी। इसी कारण बीते दिनों विश्वविद्यालय को एफडी को गिरवी रखकर लोन लेना पड़ा था।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। Financial Crisis in Gorakhpur University: आर्थिक संकट से पार पाने के लिए दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय वर्षों से पड़ी अपनी 52.98 करोड़ की एफडी (फिक्स डिपाजिट) तोड़ेगा। कुलपति प्रो. राजेश सिंह की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई विश्वविद्यालय की वित्त समिति की बैठक में लंबे विचार-विमर्श के बाद यह महत्वपूर्ण निर्णय ले लिया गया। बहुत जल्द इसे लेकर कार्यवाही शुरू कर दी जाएगी।
वित्त समिति ने दी एफडी तोड़ने की मंजूरी
विश्वविद्यालय बीते कुछ समय से आर्थिक संकट से गुजर रहा है। यहां तक कि शिक्षकों और कर्मचारियों को तनख्वाह देने तक में विश्वविद्यालय को दिक्कत आने लगी थी। इसी कारण बीते दिनों विश्वविद्यालय को एफडी को गिरवी रखकर लोन लेना पड़ा था। एक बार सात करोड़ और दूसरी बार साढ़े चार करोड़ का लोन लिया गया था। लोन लेने में एफडी तोड़ने के मुकाबले विश्वविद्यालय को नुकसान हो रहा था, इसलिए इस विषय में निर्णय लेने के लिए वित्त समिति की बैठक बुलाई गई थी। बैठक के दौरान सर्वसम्मति से यह तय हुआ कि विश्वविद्यालय को नुकसान न हो, इसके लिए एफडी को तोड़ देना ही बेहतर रहेगा। धन फिर से इकट्ठा होगा तो एफडी एक बार फिर बना ली जाएगी।
शासन से भी मिली भी एफडी के इस्तेमाल की सलाह
विश्वविद्यालय प्रशासन ने पिछली 18 जून को शासन को पत्र लिखकर आर्थिक संकट का हवाला देते हुए वेतन और गैर वेतन मद में निर्धारित अवशेष धनराधि को निर्गत करने का अनुरोध किया था। जवाब में शासन की ओर से आए पत्र में कोरोना के चलते राजस्व प्राप्तियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की बात कही गई थी। साथ ही यह भी सलाह दी गई थी कि विश्वविद्यालय के पास बचत के रूप में करीब 80.19 करोड़ रुपये हैं, उसमें 52.98 करोड़ की एफडी भी शामिल है। बचत की धनराशि का इस्तेमाल विश्वविद्यालय अपनी आर्थिक दिक्कत को दूर करने में कर लें।
प्रो. राधे मोहन मिश्र के कार्यकाल में बनाई गई थी एफडी
विश्वविद्यालय में एफडी बनाने की शुरुआत दो दशक पूर्व तत्कालीन कुलपति प्रो. राधे मोहन मिश्र की पहल पर हुई थी। 2010 से 2014 तक कुलपति रहे प्रो. पीसी त्रिवेदी के कार्यकाल में यह एफडी की धनराशि 53 करोड़ के करीब पहुंच गई थी।
विश्वविद्यालय आर्थिक संकट से गुजर रहा था। फिलहाल एफडी तोड़कर इस संकट को दूर करने का निर्णय वित्त समिति ने लिया है। आगे जब फिर से विश्वविद्यालय के पास अतिरिक्त धन होगा, तो एफडी बनाकर बचत की धनराशि सुरक्षित कर ली जाएगी। - विश्वेश्वर प्रसाद, कुलसचिव, दीदउ गोरखपुर विवि।