जिले में प्रदूषण को रोकने के लिए नहीं हैं कोई उपाय

Nov 28, 2021
Source: https://www.amarujala.com/

आजमगढ़। प्रदूषण की वजह से पर्यावरण की सेहत को लेकर पूरे विश्व में हाहाकार मचा है। शहर में भी स्थिति अच्छी नहीं है। वाहनों से निकलने वाले जहरीला धुएं के साथ नदी में गिरता कूड़ा, खुले आम जा रही गंदगी हालात और खराब कर रही है। एक संस्था की ओर से पिछले दिनों की गई जांच में जनपद में कई स्थानों पर प्रदूषण मानक से 11 गुना ज्यादा मिला है। स्थिति गंभीर है। प्राइवेट संस्थाएं चिंतित है, लेकिन जिनके ऊपर प्रदूषण पर नियंत्रण की जिम्मेदारी है, वो हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।

वातावरण और मौसम हुए परिवर्तन के लिए वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण को जिम्मेदार प्रमुख रूप से माना जाता है। वायु प्रदूषण की जांच और इसकी रोकथाम का जिम्मा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास होता है। जनपद में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कार्यालय तो है, लेकिन इसके पास अपनी प्रयोगशाला ही नहीं है। नतीजा ये होता है कि विभाग का कार्य सिर्फ प्रमाण-पत्र देने तक सीमित होकर रह गया है। यदा-कदा शासन के निर्देशों पर अस्पतालों और भट्ठों आदि को भी नोटिस जारी कर दी जाती है। विभाग की कार्रवाई मात्र यहीं तक सीमित हैं। क्षेत्रीय अधिकारी का पदभार भी गोरखपुर के अधिकारी के पास है। क्षेत्रीय अधिकारी घनश्याम ने बताया कि विभाग के पास प्रयोगशाला नहीं है। शासन यदि मंजूर करता है तो निर्माण करा कार्य शुरू कर दिया जाए।

जल प्रदूषण की जांच का जिम्मा जल निगम के पास है। विभाग के पास अपनी प्रयोगशाला भी है। करोड़ों की लागत से उपकरण भी लगे हैं, लेकिन टीन-शेड में चलने वाले प्रयोगशाला में उपकरण अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहे हैं। कर्मचारियों की कमी के कारण पिछले एक साल में प्रयोगशाला में कोई जांच नहीं हुई है। नतीजतन ग्रामीण हैंडपंप का दूषित पानी पीकर अस्पताल पहुंच रहे हैं। चिकित्सकों की माने तो रोजाना अस्पताल में आने वाले मरीजों में लगभग 200 मरीज ऐसे होते हैं जो दूषित पानी का शिकार होते हैं। एक्सईएन जलनिगम एसके सिंह यादव ने कहा कि विभाग की प्रयोगशाला है वहां जांच भी होती है।
ध्वनि प्रदूषण रोकने की जिम्मेदारी परिवहन विभाग के पास है। शहर में प्राइवेट तो छोड़िए सरकारी रोडवेज बसों की ओर से भी प्रेशर हार्न का प्रयोग किया जाता है। रोडवेज पर सुबह-शाम तो छोड़िए रातभर हार्न की पो-पो होती रहती है, लेकिन इस पर कोई ध्यान देने वाला नहीं है। चुनिंदा दिनों में कभी कभार सड़क पर उतरने वाला विभाग कुछ वाहनों पर कार्रवाई कर कोरम पूरा कर लेता है। आरटीओ दरोगा सिंह ने बताया कि समय-समय पर विभाग की ओर से अभियान चलाकर वाहन चालकों पर कार्रवाई की जाती है।
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ये है प्रदूषण की स्थिति
आजमगढ़। क्लाइमेट एजेंडा नाम की एनजीओ की माने तो दिसंबर में हवा में मौजूद प्रदूषण के कणों पीएम 10 और पीएम 2.5 को मापा गया। नरौली क्षेत्र में पीएम 10 कण अधिकतम 537 रहा, जो की विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों की तुलना में 11 गुणा ज्यादा दूषित है। वहीं, पीएम 2.5 की मात्रा अधिकतम 324 रही जो 10 गुणा ज्यादा जहरीलीहै। जीयनपुर में पीएम 10 और पी एम 2.5 कीमात्रा क्रमश: 491 और 291 पाई गई, जो8 गुणा और 10 गुणा प्रदूषित है। पहाड़पुर में पीएम 10 और पीएम 2.5 की मात्रा अधिकतम 482 और 355 पाई गई, जो 10 गुणा और 12 गुणा हानिकारक है। पीएम 10कण धूल कणों से निर्मित होता है, जबकि पीएम 2.5 कण का निर्माण कोयला, डीजल, पेट्रोल और कूड़ा जलने से होता है। डाक्टरों और वैज्ञानिकों ने इसे हार्टअटैक,कैंसर, अस्थमा, एलर्जी जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बताया है।

 

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