जिले में पांच साल में ढाई मीटर गिरा भू-जल स्तर

Jun 21, 2021
Source: https://www.bhaskar.com/

जिलेमें भू-जल का स्तर लगातार गिरता जा रहा है। यदि जल्द इसकी रोकथाम के लिए कारगर कदम नहीं उठाए गए तो जिला वासियों को मीठे भू-जल के लाले पड़ सकते हैं। पिछले सालों के जिले के भू-जल स्तर को देखा जाए तो हर साल इसमें गिरावट आई है। पांच सालों में यह ढाई मीटर तक नीचे चला गया है।

जिले के जुलाना पिल्लूखेड़ा ऐसे दो ब्लॉक हैं जहां भू-जल की स्थिति काफी चिंताजनक हो गई है। यहां भू-जल का स्तर तो ऊपर आया, लेकिन यह पीने लायक ही नहीं रहा। भू-जल के क्षारीय होने के कारण इसके फसल में देने से भी नुकसान होने लगा है।

पांचब्लॉकों में हर साल गिर रहा भू-जल स्तर

जिलेके सात ब्लॉकों में से पांच ब्लॉक ऐसे हैं। जहां पर हर साल भू-जल में काफी गिरावट रही है। इनमें जींद, नरवाना, उचाना, अलेवा पिल्लूखेड़ा ब्लॉक शामिल हैं। जबकि जुलाना पिल्लूखेड़ा ब्लॉक ऐेसे हैं, जहां पर भू-जल स्तर गिरने की बजाय बढ़ रहा है। लेकिन इसका स्वाद लगातार बिगड़ रहा है और भू-जल में लवणीय मात्रा काफी बढ़ गई है। इसके कारण यह खारा हो गया है। इस भू-जल के कारण फायदा होने की बजाय अब नुकसान होने लगा है।

जिलेमें है 2.45 लाख हेक्टेयर भूमि कृषि योग्य

जिलेमें इस समय 2.45 लाख हेक्टेयर भूमि पर खेती हो रही है। जबकि सिंचाई के लिए इस समय आठ हजार से अधिक बिजली डीजल इंजन से चलने वाले ट्यूबवेल किसानों द्वारा लगाए गए हैं। हर साल जिले में धान की खेती का रकबा बढ़ता जा रहा है। इसके कारण ट्यूबवेलों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। जिले के वाटर वर्क्स को नहरी पानी की सप्लाई मिलने के कारण जलापूर्ति विभाग भी अब ट्यूबवेल लगाकर पेयजल सप्लाई कर रहा है और विभाग द्वारा जिले भर 160 से अधिक ट्यूबवेल लगाए गए हैं।

भू-जल कोष के जिला असिस्टेंट जूलॉजिस्ट दलबीर सिंह राणा का कहना है कि जींद जिले के भू-जल स्तर में लगातार गिरावट रही है। यह चिंतनीय है। भू-जल स्तर गिरने का सबसे बड़ा कारण भू-दोहन है। लगातार धान की रकबे में हो रही बढ़ोतरी के कारण यह बढ़ रहा है। इसके अलावा हर साल रही बारिश में गिरावट है।

भू-जल स्तर में सुधार को रेन वाटर रिचार्ज स्ट्रक्चर का निर्माण जरूरी

जिलेमें गिरते भू-जल स्तर को रोकने के लिए लोगों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक होने की जरूरत है। इसके लिए आमजन के साथ-साथ सामाजिक संस्थाओं, सरकार प्रशासन को भी कारगर कदम उठाने चाहिए। जल संरक्षण के लिए बारिश के पानी का संग्रहण जरूरी है और इसके साथ-साथ जगह-जगह रेन वाटर रिचार्ज स्ट्रक्चर का निर्माण होना जरूरी है। हालांकि हुडा प्रशासन ने इसमें पहल भी की है और 300 गज से अधिक भूमि पर बनने वाले मकान के दौरान रेन वाटर रिचार्ज स्ट्रक्चर का निर्माण करना जरूरी है। लेकिन इसका पालन नहीं हो पा रहा। भू-जल कोष विभाग ने जिले में 45 जगहों पर रेन वाटर रिचार्ज स्ट्रक्चर का निर्माण किया हुआ। इसी तरह से अन्य लोगों को भी इसके लिए आगे आना होगा।

13.54 मीटर तक पहुंचा भू-जल स्तर

वर्ष2010 के अक्टूबर में जींद जिले में भू-जल का औसतन स्तर 11.03 मीटर था। इसके बाद से लगातार इसमें गिरावट रही है। इसके कारण वर्ष 2014 अक्टूबर में भू-जल स्तर 13.54 मीटर तक पहुंच गया। यानि पांच साल में इसमें 2.51 मीटर की गिरावट आई।

विभिन्नब्लॉकों का अक्टूबर का भू-जल स्तर

ब्लॉक वर्ष 2010 2011 2012 2013 2014

जींद14.80 14.36 16.24 16.36 16.82

जुलाना 4.22 3.87 5.04 4.07 4.12

अलेवा 21.42 22.38 24.26 26.79 28.04

पिल्लूखेड़ा 5.90 3.48 4.86 4.40 4.49

नरवाना 10.82 10.72 13.03 13.31 13.81

उचाना 12.50 13.08 14.29 14.41 14.63

सफीदों 9.48 10.47 11.91 12.90 12.96

पांच सालों में अक्टूबर माह का भू-जल स्तर

वर्ष भू-जल स्तर

201011.03 मीटर

2011 11.11

2012 12.80

2013 13.18

2014 13.54

जल की महत्ता को समझना होगा

^गिरताभू-जल स्तर हर किसी के लिए चिंता का विषय है। हर व्यक्ति को जल की महता को समझना होगा। इसके साथ-साथ बारिश के पानी का संग्रहण जरूरी है।\\\' -सुनील वशिष्ठ, सदस्य सामाजिक संस्था अन्ना टीम।

जल संरक्षण के लिए सरकार बनाए कानून

^भू-जलदोहन रोकने इसके संरक्षण के लिए सरकार को कड़े कानून बनाने होंगे। तभी जाकर भू-जल स्तर में सुधार सकता है।\\\' -संजय वर्मा, सदस्य भारत विकास परिषद।

हमेटी में कृषि विभाग द्वारा बनाया रेन वाटर रिचार्ज स्ट्रक्चर।

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