विशेषज्ञ समिति ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- रेलवे ओवरब्रिज बनाने से ज्यादा लाभप्रद हैं धरोहर वृक्ष

Feb 09, 2021
Source: amarujala.com

पश्चिम बंगाल में पांच ओवरब्रिज रेलवे निर्माण के लिए काटे जाने वाले 300 धरोहर वृक्षों की कीमत ऑक्सीजन एवं अन्य उत्पादों के लिहाज से 2.2 अरब रुपये है जिसका मतलब है कि जिंदा वृक्ष परियोजना से ज्यादा लाभप्रद हैं। एक विशेषज्ञ समिति ने उच्चतम न्यायालय से यह बात कही है। धरोहर वृक्ष बड़ा पेड़ होता है जिसे परिपक्व होने में दशकों या सदियों लग जाते हैं। 

प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ से एक विशेषज्ञ समिति ने कहा कि धरोहर वृक्ष समाज और पर्यावरण की सेवा करते हैं और इनका आकलन ऑक्सीजन, मैक्रो न्यूट्रिशिएंट, कंपोस्ट एवं अन्य जैव उर्वरक सहित विभिन्न कारकों क आधार पर किया जा सकता है। इसने कहा कि अगर सभी कीमतें जोड़ी जाएं और पेड़ की शेष आयु से उसमें गुना किया जाए तो वर्तमान मामले में कुल कीमत प्रति पेड़ 74,500 रुपये प्रति वर्ष होता है।

समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 'इसका मतलब है कि अगर 300 पेड़ों को सौ वर्ष या अधिक समय तक जीने दिया जाता है तो ये 2.2 अरब रुपये के उत्पाद देंगे। 300 पेड़ों की भविष्य की यही कीमत है। अगर 59.2 किलोमीटर सड़क पर विचार किया जाए तो ये एक दशक या इससे कुछ अधिक समय में भीड़भाड़ वाले होंगे और अधिकारियों को इसका चौड़ीकरण करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा और इस तरह से 4056 पेड़ों को काटने की जरूरत होगी।'

समिति ने कहा, 'उस सूरत में 100 वर्षों में उत्पादों की कीमत 30.21 अरब रुपये होगी। इसलिए इस पर्यावरणीय आपदा से बचने के लिए नियमित ढांचे से बाहर के समाधान की जरूरत है।' पांच प्रस्तावित पुल 'सेतु भारतम मेगा परियोजना' का हिस्सा हैं जिसका वित्त पोषण केंद्र सरकार कर रही है और इसमें देश के 19 राज्यों में 208 रेल ओवर एवं अंडर ब्रिज बनना है। इसके लिए 20,800 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है।

पांच सदस्यीय समिति ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि राष्ट्रीय महत्व की किसी परियोजना को लागू करने से पहले पर्यावरणीय प्रभाव आकलन की जरूरत है और पश्चिम बंगाल में ऐसा नहीं किया गया है। पीठ ने मामले पर सुनवाई की अगली तारीख 18 फरवरी तय की गई है।

 

 

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