सीडीएस जनरल बिपिन रावत बोले- देश में साइबर सिक्युरिटी के लिए मजबूत कानून की दरकार
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तिरुअनंतपुरम, पीटीआइ। तीनों सेनाओं के प्रमुख (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने डाटा प्रोटेक्शन बिल के जल्द लागू होने की आवश्यकता जताई है। उन्होंने शुक्रवार को कहा कि सूचनाओं की चोरी और उनका दुरुपयोग साइबर वर्ल्ड में बड़ी समस्या बन गई हैं। उनसे निपटने के लिए मजबूत कानून बनना बहुत जरूरी है। विदित हो कि इस कानून का प्रस्ताव 2019 से संसद में लंबित है। जनरल रावत ने यह बात हैकिंग और साइबर सिक्युरिटी पर आयोजित वार्षिक कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए कही। इस कार्यशाला का आयोजन केरल पुलिस ने किया था।
तालमेल बनाकर काम करने की दरकार
जनरल रावत ने कहा कि अपने डिजिटल एसेट को बचाने के लिए सभी विभागों के विशेषज्ञों को तालमेल बनाकर कार्य करने की जरूरत है। देश में साइबर सिक्युरिटी का कोई कानून न होने से इस तालमेल की और ज्यादा जरूरत है। राष्ट्रीय स्तर पर वर्चुअल स्पेस के प्रबंधन वाले ढांचे की जरूरत है। इससे साइबर वर्ल्ड की सुरक्षा हो सकेगी।
मंत्रालयों और निजी क्षेत्र के बीच समन्व की जरूरत
सीडीएस ने कहा कि सुरक्षा बलों और पुलिस के पास अपने साइबर सेल हैं लेकिन साइबर सिक्युरिटी के लिए सरकारी मंत्रालयों, विभागों और निजी क्षेत्र के बीच समन्वय बनाए जाने की जरूरत है। इससे नए खतरों और हमलों का जल्द पता लग सकेगा और उनसे निपटने में आसानी हो जाएगी। वर्चुअल संबोधन में जनरल रावत ने कहा, देश में साइबर क्राइम एंड आइटी एक्ट 2000 बना था। इसके बाद 2008 में इसमें संशोधन हुआ। अब साइबर सिक्युरिटी के मद्देनजर इसमें और ज्यादा सुधार की जरूरत है।
जेपीसी आज मसौदा कर सकती है स्वीकार
समाचार एजेंसी एएनआइ की रिपोर्ट के मुताबिक पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल के सिलसिले में गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के शनिवार को बिल का मसौदा स्वीकार कर लेने की उम्मीद है। समिति की बैठक शनिवार को प्रस्तावित है। लोकसभा इस बिल को पारित कर चुकी है। 29 नवंबर से शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन अधिवेशन में यह बिल पारित हो सकता है।