देश ने हासिल नहीं किया समावेशी शिक्षा का लक्ष्य : जस्टिस यूयू ललित

Nov 02, 2021
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भुज, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यूयू ललित ने सोमवार को कहा कि सतत विकास मानकों के मुताबिक शिक्षा के मामले में भारत अभी भी पिछड़ा हुआ है और देश ने समावेशी शिक्षा के लक्ष्य को हासिल नहीं किया है। उन्होंने इस मोर्चे पर और प्रयास करने और प्रत्येक बच्चे को अच्छी एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की जरूरत पर बल दिया। जस्टिस ललित यहां नेशनल लीगल सर्विसेज अथारिटी (नालसा) के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए हुए थे। वह नालसा के एक्जीक्यूटिव चेयरमैन भी हैं।

किसी गांव और बड़े शहर में प्रदान की जा रही शिक्षा की गुणवत्ता में नहीं होना चाहिए कोई अंतर

उन्होंने कहा कि एम्स, आइआइटी, एनआइटी और नेशनल ला स्कूल जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों ने अपने-अपने क्षेत्रों में उत्कृष्टता हासिल कर ली है, लेकिन देश के सरकारी प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के बारे में ऐसा नहीं है। लोग सरकारी स्कूलों के बजाय निजी स्कूलों को वरीयता देते हैं। हमारी शिक्षा ऐसी नहीं है कि किसी गांव और बड़े शहरों में प्रदान की जा रही शिक्षा की गुणवत्ता में कोई अंतर न हो। हमें इस सब पर विचार करना चाहिए। जब तक हम इसे हासिल नहीं करेंगे, शिक्षा के मामले में पिछड़े रहेंगे।

समाज के वंचित तबके को कानूनी सुरक्षा सुनिश्चित करने पर दिया बल

वहीं, केरल लीगल सर्विसेज अथारिटी के तिरुअनंतपुरम में आयोजित कार्यक्रम में जस्टिस ललित ने समाज के वंचित तबके को कानूनी सुरक्षा सुनिश्चित करने पर बल दिया। उन्होंने कहा, 'हालांकि केंद्र और राज्य सरकारों ने समुदाय के वंचित तबके को कानूनी मदद उपलब्ध कराने के लिए कई कार्यक्रम चलाए हैं, लेकिन उसके लाभ लाभार्थियों तक नहीं पहुंच रहे हैं क्योंकि उन्हें योजनाओं की जानकारी ही नहीं है।' उन्होंने कहा कि लीगल सर्विसेज अथारिटी लीगल सर्विसेज इंस्टीट्यूशंस के जरिये योग्य लोगों तक कानूनी सहायता पहुंचाने के लिए सुविधाओं का प्रबंध करने के लिए प्रतिबद्ध है।

 

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