सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के दो शीर्ष अफसरों को बताया बहुत अहंकारी, वित्त सचिव समेत दो पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार

Nov 15, 2021
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नई दिल्ली, प्रेट्र। उत्तर प्रदेश के दो अधिकारियों को बहुत अहंकारी करार देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानती वारंट में कोई राहत देने से इन्कार कर दिया। साथ ही राहत के लिए दायर उत्तर प्रदेश की याचिका खारिज कर दी। एक संग्रह अमीन के नियमितीकरण और उसके बकाए के भुगतान से संबंधित आदेश का पालन न होने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व) और वित्त सचिव के खिलाफ जमानती वारंट जारी कर दिया है। इस वारंट को रद कराने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट आई थी। अब दोनों अधिकारियों पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है।

एक नवंबर की सुनवाई में हाईकोर्ट ने कहा था कि अधिकारी कोर्ट को प्लेग्राउंड मानकर आचरण कर रहे हैं। वे एक व्यक्ति के वेतन पाने के अधिकार का हनन कर रहे हैं। उसका बकाया भी नहीं चुकाया जा रहा है। उसकी सेवा को नियमित भी नहीं किया जा रहा। इस मसले में प्रतिवादी अधिकारी हाईकोर्ट को लगातार गुमराह कर रहे हैं। वे अतिरिक्त महाधिवक्ता द्वारा कोर्ट को दिए बकाए के भुगतान संबंधी वचन का भी पालन नहीं कर रहे। यह प्रतिवादी अधिकारियों का पीड़ा देने वाला निंदनीय आचरण है। इसलिए अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व) और वित्त सचिव के खिलाफ जमानती वारंट जारी करने का उचित कारण बनता है। हाईकोर्ट के भुगतान संबंधी पहले आदेश के समय संजय कुमार प्रयागराज के जिलाधिकारी थे, जो अब वित्त सचिव हैं। इसलिए कोर्ट ने दोनों उच्च अधिकारियों के खिलाफ वारंट जारी किए हैं। दोनों अधिकारियों को 15 नवंबर को कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश दिया गया है। इस आदेश के चलते ही दोनों अधिकारियों पर गिरफ्तारी की तलवार लटकी है। हाईकोर्ट ने यह वारंट संग्रह अमीन भुवनेश्वर प्रसाद तिवारी के मामले में जारी किया है।

गिरफ्तारी के खतरे को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। लेकिन वहां पर मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने और कठोर टिप्पणी कर दी। उन्होंने कहा, आप इसी लायक हो। आपके खिलाफ इससे भी ज्यादा कुछ होना चाहिए। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता से मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 'आप इस मामले में क्या बहस कर रहे हैं? हाईकोर्ट को मामले में गिरफ्तारी का आदेश देना ही चाहिए। हाईकोर्ट आपके साथ काफी सौम्य रहा। हमारे विचार से आपको और ज्यादा गंभीर सजा मिलनी चाहिए थी। आप अपना आचरण देखिए, आप एक कर्मचारी को उसके बकाया धन से वंचित कर रहे हैं। आपने हाईकोर्ट के आदेशों के पालन के लिए कुछ नहीं किया। बावजूद इसके हाईकोर्ट आपके प्रति बहुत दयालु रहा..आपके मन में न्यायालय के लिए कोई सम्मान नहीं है। यह अतिरिक्त मुख्य सचिव बहुत अहंकारी लगते हैं।' मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली भी शामिल थीं।

उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता ऐश्वर्या भाटी ने मामले में सफाई देनी चाही लेकिन पीठ ने उनकी बात को ज्यादा तवज्जो नहीं दी। कहा, आप यह सब हाईकोर्ट में कहना, जहां अधिकारी गिरफ्तार करके पेश किए जाएंगे। इस वाक्य के साथ शीर्ष न्यायालय की पीठ ने याचिका खारिज कर दी।

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