अमेरिका : निर्माणाधीन मंदिरों में कम भुगतान पर मजदूरी कराने का मुकदमा, अक्षरधाम मंदिर से जुड़ी संस्था पर गंभीर आरोप

Nov 12, 2021
Source: https://www.jagran.com/

न्यूयार्क, न्यूयार्क टाइम्स। अक्षरधाम मंदिर से जुड़ी एक प्रमुख हिंदू संस्था पर अमेरिका भर में मंदिर निर्माण के दौरान भारतीय मजदूरों को फुसला कर अमेरिका लाने और उन्हें कम भुगतान करने का आरोप लग रहा है। यह संस्था बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) न्यूजर्सी समेत करीब पांच स्थानों पर भव्य मंदिरों का निर्माण करा रही है। न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार न्यूजर्सी संघीय अदालत में दायर मुकदमे और पिछले महीने संशोधित किए गए मुकदमे में, बीएपीएस पर 'भारत के मजदूरों को अटलांटा, शिकागो, ह्यूस्टन और लास एंजिल्स के पास के मंदिरों में काम करने के लिए प्रलोभन देने का आरोप लगाया गया है।

साथ ही रोबिन्सविले और न्यूजर्सी में उन्हें केवल 450 अमेरिकी डालर (करीब 33,537.87 रुपये) प्रति माह का भुगतान किया जाता है। इससे पहले इस साल मई महीने में अमेरिका में भारतीय श्रमिकों के एक समूह ने बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) के खिलाफ एक जिला अदालत में मुकदमा दर्ज कराकर उस पर न्यूजर्सी में एक वृहद मंदिर के निर्माण के दौरान मानव तस्करी करने और न्यूनतम मजदूरी कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था।

बीएपीएस पर श्रमिकों ने मंदिरों में कम वेतन पर काम करने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया है। मई की रिपोर्ट में कहा गया था कि श्रमिकों ने आरोप लगाया कि उन्हें बंद करके रखा गया और न्यूजर्सी में स्वामीनारायण मंदिर बनाने के लिए प्रति घंटा करीब एक डालर पर काम करने के लिए मजबूर किया गया, जबकि अमेरिका में न्यूनतम मजदूरी 7.25 डालर प्रति घंटा तय है। इन्हें 2018 के आसपास धार्मिक वीजा 'आर-1' पर अमेरिका लाया गया था।

इसी मई में अमेरिका में भारतीय श्रमिकों के समूह ने बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) के खिलाफ एक जिला अदालत में मुकदमा दर्ज कराकर उस पर न्यूजर्सी में एक वृहद मंदिर के निर्माण के दौरान मानव तस्करी करने और न्यूनतम मजदूरी कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था। संशोधित मुकदमे ने अमेरिका के मंदिरों को शामिल करने के उन दावों का विस्तार किया है, जहां कुछ पुरुषों ने कहा कि उन्हें भी काम पर भेजा गया था। मुकदमे में दावा किया गया है कि सैकड़ों श्रमिकों का शोषण किया गया।

'इंडिया सिविल वाच इंटरनेशनल' (आइसीडब्ल्यूआइ) ने मई में कहा था कि 11 मई को एफबीआइ की छापेमारी में करीब 200 श्रमिकों को न्यूजर्सी के रोबिन्सविले में स्वामीनारायण मंदिर के परिसर में बचाया गया, जिनमें से 'अधिकतर दलित, बहुजन और आदिवासी थे। यह मंदिर अमेरिका का सबसे बड़ा मंदिर बताया जाता है।' संशोधित शिकायत में बीएपीएस अधिकारियों पर राज्य के श्रम कानूनों और रैकेटियर द्वारा प्रभावित और भ्रष्ठ संगठन अधिनियम, जिसे रिको के नाम से जाना जाता है, का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है।

शिकायत में जबरन मजदूरी, जबरन मजदूरी के संबंध में तस्करी, दस्तावेज दासता, साजिश, और विदेशी श्रम अनुबंध में धोखाधड़ी में शामिल होने के इरादे से आव्रजन दस्तावेजों को जब्त करने के साथ-साथ न्यूनतम मजदूरी का भुगतान करने में विफलता सहित कई आरोपों को सूचीबद्ध किया गया है।

आइसीडब्ल्यूआइ ने कहा था कि श्रमिकों को 1.2 अमेरिकी डालर प्रति घंटे का भुगतान किया जा रहा है, जो वर्तमान अमेरिकी संघीय न्यूनतम वेतन 7.25 अमेरिकी डालर प्रति घंटे से काफी कम है, और यहां तक कि 1963 के न्यूनतम वेतन से भी कम है जबकि श्रमिक साइट पर काफी शारीरिक मेहनत करते हैं। इन्हें लगभग 450 अमेरिकी डालर का मासिक भुगतान किया जाता है। उसमें 50 अमेरिकी डालर नकद का भुगतान किया जाता है जबकि शेष भारत में उनके बैंक खातों में जमा किया जाता है। हालांकि बीएपीएस के अधिकारियों ने किसी भी तरह की गड़बड़ी से इन्कार किया। 

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