प्रकृति पर भारी पड़ रहीं चीन की बिजली संयंत्रों समेत विभिन्न ऊर्जा परियोजनाएं

Sep 29, 2021
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वाशिंगटन, प्रेट्र। चीन अपनी महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआइ) के तहत कई परियोजनाओं पर काम कर रहा है। उसने 100 से ज्यादा देशों को सड़क, रेलवे, पावर प्लांट, पोर्ट और अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के लिए फंड दिया है। निश्चित तौर पर वैश्विक अर्थव्यवस्था को इस पहल से व्यापक लाभ का अनुमान है। वर्ल्ड बैंक का अनुमान है कि चीन से मदद पा रहे देशों की जीडीपी 3.4 फीसद तक बढ़ सकती है। हालांकि चीन की यह पहल केवल सकारात्मक नतीजे नहीं ला रही है। 

चीन को नहीं सताती दूसरों की चिंता : पिछले चार दशक में चीन का तेज विकास दुनिया में प्रदूषण का बड़ा कारण रहा है। अपने देश पर इससे पड़ रहे दुष्प्रभावों को देखते हुए चीन ने 2060 तक अपनी अर्थव्यवस्था को कार्बन न्यूट्रल (कार्बन उत्सर्जन नहीं करने वाला) बनाने का लक्ष्य तय किया है, लेकिन अन्य देशों में अपने निवेश को लेकर चीन ने ऐसी कोई रणनीति नहीं बनाई है। वर्ल्ड बैंक की तुलना में चीन की वित्तपोषित परियोजनाओं ने 2008 से 2019 के दौरान ज्यादा खतरा पैदा किया है।

परियोजनाओं की विविधता और खतरे : अध्ययन के दौरान चाइना डेवलपमेंट बैंक और एक्सपोर्ट-इंपोर्ट बैंक आफ चाइना द्वारा वित्तपोषित 594 परियोजनाओं का आकलन किया गया। इसमें 2008 से 2019 के बीच परियोजना क्षेत्रों में हुए बदलावों को केंद्र में रखा गया। इस अवधि में इन बैंकों ने 93 देशों में 462 अरब डालर से ज्यादा की फंडिंग के करार किए। यह इसी अवधि में वर्ल्ड बैंक द्वारा किए गए विभिन्न करार के लगभग बराबर है। चौंकाने वाली बात यह है कि चीन के इन दोनों बैंकों ने जिन परियोजनाओं में पैसा लगाया है, उनमें आधे से ज्यादा संभावित संरक्षित क्षेत्रों में हैं।

विशेष संरक्षण की जरूरत : वर्ल्ड बैंक की इकाई इंटरनेशनल फाइनेंस कारपोरेशन के मुताबिक, इन क्षेत्रों को विशेष सुरक्षा और संरक्षण की जरूरत है। तिहाई परियोजनाएं मौजूदा संरक्षित क्षेत्रों में हैं और चौथाई परियोजनाएं ऐसी हैं, जिनमें जमीन के मालिकाना हक पर स्थानीय लोगों से विवाद है। जीवों की संकटग्रस्त प्रजातियों पर सबसे ज्यादा खतरा दक्षिण अमेरिका, मध्य अफ्रीका और दक्षिणपूर्व एशिया में है। बेनिन, बोलीविया और मंगोलिया में चीन द्वारा वित्तपोषित सभी परियोजनाएं मौजूदा संरक्षित या संभावित संरक्षित क्षेत्रों में हैं।

फंडिंग के समय वर्ल्ड बैंक रखता है खतरों का ध्यान : अमीर देशों के सहयोग से चलने वाला वर्ल्ड बैंक भी दुनियाभर में विभिन्न परियोजनाओं के लिए फंडिंग करता है। इसका तरीका चीन से अलग रहता है। पिछली सदी में वर्ल्ड बैंक की कुछ परियोजनाओं के कारण पर्यावरण एवं समाज पर दुष्प्रभाव के आरोप लगे थे। पिछले 30 साल में वल्र्ड बैंक ने इस दिशा में कई अहम कदम उठाए हैं। परियोजनाओं को ज्यादा समावेशी और पर्यावरण के अनुकूल रखा जाता है। इस साल वर्ल्ड बैंक ने प्रतिबद्धता जताई है कि वह पेरिस समझौते को ध्यान में रखते हुए परियोजनाओं की फंडिंग करेगा।

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