शस्त्र लाइसेंस के लिए वास्तविक व वैध कारण जरूरी

Oct 13, 2021
Source: https://www.livehindustan.com

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि वकील के शस्त्र लाइसेंस का आवेदन देने पर कोई रोक नहीं है। उसकी अर्जी पर कानूनी प्रावधानों के तहत विचार किया जाएगा। सामान्य तौर पर व्यावसायिक सुरक्षा के लिए शस्त्र की जरूरत नहीं होती है। ठोस वजह के बगैर वकील के शस्त्र लाइसेंस रखने की सराहना नहीं की जा सकती। यह आदर्श व्यवसाय के हित में नहीं है।

यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने अधिवक्ता राम मिलन की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने कहा कि शस्त्र लाइसेंस के लिए वास्तविक व वैध कारण होना चाहिए। जीवन व संपत्ति को वास्तविक खतरा होना चाहिए। यदि वकील की शस्त्र लाइसेंस की अर्जी बिना ठोस कानूनी आधार के मंजूर की गई तो एक दिन ऐसा आएगा जब प्रत्येक वकील शस्त्र लेकर न्यायालय परिसर में आएगा। कोर्ट ने कहा कि यदि वकील को वास्तव में खतरा है तो गवाह संरक्षण योजना 2018 के तहत उसे पुलिस के पास जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि वकालत आदर्श व्यवसाय है। यदि वकील को व्यक्तिगत व व्यावसायिक सुरक्षा के लिए शस्त्र की जरूरत पड़े तो यह एक खतरनाक प्रैक्टिस होगी। क्योंकि वकील वादकारी के हितों की रक्षा के लिए कोर्ट में निर्भय होकर बहस करता है। यदि उसके मस्तिष्क में भय है तो आदर्श व्यवसाय का पतन हो जाएगा। कोर्ट ने कहा कि वकील हमेशा सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के फैसलों की बुलेट के साथ कानूनी बहस का हथियार लेकर चलता है। यही उसकी व्यक्तिगत व व्यावसायिक और वादकारी की सुरक्षा के लिए पर्याप्त है। कोर्ट ने कहा कि याची ने गवाह के रूप में सुरक्षा की मांग नहीं की है। पुलिस रिपोर्ट व तथ्यों के आधार पर लाइसेंसिंग प्राधिकारी ने अर्जी निरस्त की है। उसके निष्कर्ष पर ठोस वजह के बिना हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।

याची के परिवार की महिलाओं से छेड़छाड़, मारपीट व गाली गलौज की गई और इसे लेकर बारा थाने में दो एफआईआर दर्ज हुईं। याची का कहना है कि वकालत के लिए यात्रा पर जाने पर उसकी जान को खतरा है और उसे धमकी दी जा रही है। इसलिए उसे शस्त्र लाइसेंस की आवश्यकता है। उसकी शस्त्र लाइसेंस की अर्जी यह कहते हुए निरस्त कर दी गई कि याची अपराध का पीड़ित नहीं है। कानून के तहत उसे शस्त्र लाइसेंस नहीं दिया जा सकता।

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