फर्श से अर्श तक जवाहर लाल मोंगा

Apr 06, 2019

फर्श से अर्श तक

जवाहर लाल मोंगा

परिचयः जवाहर लाल मोंगा
हर सिक्के के दो पहलू होते है लेकिन अक्सर हम सिक्के के एक ही पहलू को देख पाते है. आज हम आपके साथ फैशन इंडस्ट्री के ऐसे ही शख्स के सफर के बारे में बताने जा रहे है जिन्होंने कड़ी मेहनत, लगन और संघर्ष के साथ अपनी जिन्दगी की शुरुआत की और सफलता की सीढ़ी पर पहला कदम रखा. वे लगातार कड़ी मेहनत करते रहे और (सफलता) के मुकाम तक पहुँच गए। आपने फिल्मों में तो सुना होगा कि हीरो कैसे फर्श से अर्श तक पहुँचता है और फिल्म का हीरो बनता है। अबकी बार हम आपको एक ऐसे ही शख्स से रूबरू करवा रहे हैं जिनका नाम जवाहर लाल मोंगा है वे ‘‘सॉल्टी’’ के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं और इनका ब्रांड ‘सुलक्षणा मोंगा’ फैशन की दुनिया का एक बहुत बड़ा नाम हैं। उनसे उद्योग विहार के मुख्य संपादक सतेंद्र सिहं के साथ बातचीत के कुछ अंश आपको प्रस्तुत हैं।

जवाहर लाल ने अपने जीवन में बहुत उतार चढ़ाव देखे हैं, लेकिन कभी इन्होंने हिम्मत नहीं हारी और साहस के साथ हर मुसीबत को हराते हुए निरन्तर आगे बढ़ते चले गए और इन्होंने फिर कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। इनका जन्म दिल्ली में एक साधारण परिवार में हुआ था। आर्थिक तंगी की वजह से इनको अपनी पढाई पत्राचार के माध्यम से पूरी करनी पड़ी। और अपनी पढाई का खर्चा भी इन्होंने स्वयं उठाया था। इनके दो बेटे हैं बड़ा बेटा पोरस एवं छोटा बेटा ध्रुव जो की माँ के साथ बिजनेस में हाथ बटाते हैं। ध्रुव एक नामचीन फैशन डिजाइनर में शुमार है।

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आपने अपने जीवन के शुरूआती दौर में कैसे संघर्ष किया? कृपया बताए?
मैंने अपनी पढाई इण्टर के बाद छोड़ने के बजाय पत्राचार के माध्यम से की क्योंकि हम आर्थिक तंगी में थे। जबकि मैंने 1979 में जब सी बी एस सी का बोर्ड शुरू हुआ था मै पहले बैच का छात्र था जिसने मेरिट में स्थान प्राप्त किया था। मैंने मेडिकल की प्रवेश परीक्षा भी पास कर ली लेकिन पैसों की वजह से मेडिकल नहीं कर सका फिर मैं साइकिल से सदर बाजार से पेन, पेंसिल और किताबें खरीद कर दुकानों में सप्लाई करने लगा और धीरे धीरे मैंने 1980 दिसंबर में एक मोटर
साइकिल खरीदी और उससे अपना व्यापार करता रहा। मैंने लाल किले में दशहरे के अवसर पर मौत के कुएँ में मोटर साइकिल भी चलाई जिसके एवज में मुझे 200 रूपये मिल जाते थे।

क्या आपको खेलों का भी शौक था, जो आपने मौत के कुएँ जैसा खतरनाक खेल चुना? फिर व्यापार को कैसे जमाया ?
पैसों के लिए हमने खतरों से खेला। मैंने 1979 में दिल्ली से अंडर 19 क्रिकेट भी खेला था। लेकिन व्यापार फिर जमने लगा था और किताबों का काम स्कूलों से भी मिलने लगा और हमने कई बड़े स्कूलों के अन्दर ही अपनी दुकानें खोल लीं। जैसे डी पी एस, ए पी जे, हमदर्द, और कई नामचीन स्कूलों के साथ मैंने काम किया है।

आप किताबों के व्यापार से फैशन जगत में कैसे आये ?
मेरा परिचय जब सुलक्षणा मोंगा से हुआ जब वे 16 साल की थी तब मैंने उनकी क्रिएटिविटी को देखा और उनसे प्रभावित हुआ वे मारवाड़ी खानदान से थीं और बहुत ही संकोची स्वभाव की थी लेकिन उनके अन्दर एक महान कलाकार था जिसको मै
पहचान चुका था। 1987 में हमारी उनसे शादी हुई फिर मैंने उनकी इस क्रिएटिविटी को उभार कर उसे फैशन की दुनिया से जोड़ा और हौज खास में मारवाड़ीज के नाम से बुटीक खोला हमारा सबसे पहला बुटीक हौजखास में था। उस समय भारत के प्रथम 5 बुटीक में एक हमारा भी था। उसके बाद सिग्नेचर (थॉमसन प्रेस), एवं OGAIN (शोभना भरतिया की बेटी का ) बुटीक हमें देख कर ही खुला था। इसक बाद वहाँ पर कई मार्केट डेवलप हुई। हर व्यक्ति के अन्दर अर्जुन छुपा हुआ है, उसे सिर्फ कृष्ण मिलना चाहिए। मैंने उनको रास्ता दिखाया और तीर उन्होंने चलाया।

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आप नोएडा कब आये और क्या आपके शो-रूम भी हैं ?
मै 2003 में नोएडा आया था उस समय यहाँ पर कोई भी डिजाइनर नहीं था मै यहाँ पर सबसे पहले आया था फिर और भी डिजाइनर को यहाँ पर लाया और आज नोएडा में सर्वाधिक डिजाइनर हैं और यह फैशन इंडस्ट्री का हब बन चुका है। आज हमारी कम्पनी में लगभग 550-600 आदमी काम करते हैं और हमारा एक शो-रूम दिल्ली में कुतुब मीनार के सामने मेहरौली में है। इसके अलावा मुंबई में गेट वे ऑफ इण्डिया के सामने, लुधियाना में सरभा नगर में, और यू के में बर्मिघम में हैं। हमारा शो-रूम ही एक ऐसा अकेला शो रूम है जिसके स्टोर की फ्रेंचाइजी लंदन में भी है।

आपके कपड़े क्या फिल्म इंडस्ट्री के लोग भी पहनते हैं? आपके फिल्म इंडस्ट्री में कैसे सम्बन्ध हैं?
हाँ, हमारे कपड़े फिल्म इंडस्ट्री के कई बड़े बड़े स्टार पहनते है। बॉलीवुड और फैशन का रिश्ता भाई बहन का अटूट रिश्ता है। हमारे कपड़ों को उर्वशी रौतेला, अदिति राव हैदरी, दिव्या खोसला कुमार, भूषण कुमार, सिद्दार्थ मल्होत्रा, उत्कर्ष शर्मा, इशिता चैहान, चित्रांगना सिंह, इलियाना डिक्रूज, आदि कई लोग बड़े शौक से पहनते हैं। हमने जीनियस फिल्म भी बनाई थी जिसके डायरेक्टर अनिल शर्मा थे जिन्होंने गदर, अपने, हीरो, श्रद्धांजलि, हुकूमत, इत्यादि मशहूर फिल्मों को डायरेक्ट किया है। जीनियस में अनिल शर्मा के बेटे उत्कर्ष शर्मा हीरो थे उनको इस फिल्म से लॉन्च किया गया है। प्रियंका चोपड़ा को आगे बढ़ाने में अनिल शर्मा का बहुत बड़ा योगदान है और इनके साथ हमारे पारिवारिक सम्बन्ध हैं।

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आप सामाजिक कार्य भी बहुत करते रहते हैं कुछ कार्यों के विषय में प्रकाश डालिये ?
मैं अनाथालय एवं अंध विद्यालय के बच्चों की पढाई लिखाई का खर्चा उठाता हूँ और अभाव ग्रस्त बच्चों की बचपन की पढाई से लेकर उनको अपने पैरों पर खड़ा होने तक आत्मनिर्भर बनाता हूँ और उनके लिए रोजगार भी पैदा करता हूँ। हमने अपनी जिन्दगी बहुत अभाव में देखी है और हमें मालूम है की किसी बच्चे को अपने पैरों पर तभी खड़ा किया जा सकता है जब वह पढ़ा लिखा हो इसलिए पढाई का जीवन में बहुत महत्व है। इसके साथ ही सफाई अभियान से भी मै जुड़ा हुआ हूँ।

  1.  आर्थिक तंगी की वजह से इनको अपनी पढाई पत्राचार के माध्यम से पूरी करनी पड़ी।
  2.  मैंने लाल किले में दशहरे के अवसर पर मौत के कुएँ में मोटर साइकिल भी चलाई जिसके एवज में मुझे 200 रुपए मिल जाते थे।
  3.  हौज खास में मारवाड़ीज के नाम से बुटीक खोला हमारा सबसे पहला बुटीक हौजखास में था।
  4.  ब्रांड सुलक्षणा मोंगा फैशन की दुनिया का एक बहुत बड़ा नाम हैं।
  5.  हर व्यक्ति के अन्दर अर्जुन छुपा हुआ है, उसे सिर्फ कृष्ण मिलना चाहिए।
  6.  हमारा शो-रूम ही एक ऐसा अकेला शो रूम है जिसके स्टोर की फ्रेंचाइजी लंदन में भी है।
  7. हमारे कपड़ों को उर्वशी रौतेला, अदिति राव हैदरी, दिव्या खोसला कुमार, भूषण कुमार, सिद्दार्थ मल्होत्रा, उत्कर्ष शर्मा, इशिता चौहान, चित्रांगना सिंह, इलियाना डिक्रूज आदि कई लोग बड़े शौक से पहनते हैं।
  8. ?? हमने जीनियस फिल्म भी बनाई थी जिसके डायरेक्टर अनिल शर्मा थे जिन्होंने गदर, अपने, हीरो, श्रद्धांजलि, हुकूमत, इत्यादि मशहूर फिल्मों को डायरेक्ट किया है।

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