Kite Flying : पूर्ण प्रतिबंध से इनकार, हाईकोर्ट ने कहा- धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधि है पतंगबाजी

Aug 08, 2022
Source: https://www.amarujala.com/

स्वतंत्रता दिवस पर राजधानी में लोग पतंगबाजी कर सकेंगे पर चीनी मांझे के बिना। न्यायालय ने शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी में पतंगबाजी पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने से इनकार करते हुए कहा कि यह एक धार्मिक-सांस्कृतिक गतिविधि है और इस पर रोक नहीं लगाई जा सकती। साथ ही अदालत ने सरकार और पुलिस को एनजीटी के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमणयम प्रसाद की पीठ ने कहा कि एनजीटी ने पहले ही चीनी सिंथेटिक मांझा पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। यहां तक कि दिल्ली पुलिस भी इस संबंध में अधिसूचना जारी कर रही है और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी कर रही है। पीठ जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रहा थी। इसमें मांझे की बिक्री, खरीद, भंडारण और परिवहन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी। 

सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस और  दिल्ली सरकार के स्थायी वकील (अपराधी) संजय लाउ ने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा पहले से ही एक अधिसूचना जारी की है कि चीनी मांझे पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और 2017 के बाद से 255 लोगों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। उन्होंने कहा कि आज भी पुलिस उपायुक्त एक और आदेश जारी करने जा रहे हैं कि दिल्ली में चीनी मांझे के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। 

 

उमर ने प्रदर्शन के दौरान लोगों को उकसाया था

उमर खालिद की जमानत याचिका पर आपत्ति जताते हुए पुलिस ने तर्क दिया कि सीएए-एनआरसी के विरोध के दौरान मास्टरमाइंड उमर खालिद ने प्रदर्शनकारियों को उकसाया था। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष दिल्ली पुलिस ने कहा कि हालांकि, व्हाट्सएप चैट से चीजों को ढूंढना आसान नहीं है लेकिन आखिरकार खाते से विवरण प्राप्त कर लिया है।

पुलिस ने कहा कि उनके पास इस बात के सुबूत हैं कि प्रदर्शन को जेसीसी ने समर्थन दिया था। पुलिस ने कहा कि कलाकारों, संगीतकारों और वक्ताओं को प्रदर्शन स्थल पर लाया गया ताकि लोगों को व्यस्त रखा जा सके। साथ ही उन्हें कार्यक्रम स्थल से जोड़ा जा सके। पुलिस ने कहा कि हम विस्तार से बताएंगे कि अलग-अलग प्रदर्शन स्थलों को कौन संभाल रहा था और कहां से। 

दिल्ली सरकार और अधिकारियों से जवाब-तलब
उच्च न्यायालय ने 17वीं सदी की धरोहर इमारत फतेहपुरी मस्जिद में दुकानों के अवैध निर्माण के आरोप पर केंद्र, दिल्ली सरकार और अन्य अधिकारियों से जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने एक संगठन की याचिका पर नोटिस जारी किया और अधिकारियों से छह सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है।

अदालत ने मामले की सुनवाई 14 नवंबर तय की है। याचिका में कई दुकानों को हटाने की मांग की गई है, जो कथित तौर पर अधिकारियों की मिलीभगत से दीवार वाले शहर में मस्जिद में अवैध रूप से बनाई गई हैं। 

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