उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के आने बाद चीनी उद्योग की हालत में काफी सुधार

Dec 20, 2021
Source: https://www.jagran.com

चीनी उत्पादन में उत्तर प्रदेश भारत में पहले स्थान पर आ चुका है। वर्ष 2017-18 से 31 जनवरी 2021 तक 54 डिस्टिलरीज के माध्यम से प्रदेश में 261.72 करोड़ लीटर एथनाल का उत्पादन हुआ है जो कि एक रिकार्ड है।

लखनऊ, राजू मिश्र। उत्तर प्रदेश सरकार जल्द ही आठ नई चीनी मिलें स्थापित करने जा रही है। सरकार इसके लिए पांच हजार करोड़ रुपये निवेश भी करेगी। मुजफ्फरनगर में मोरना मिल के विस्तारीकरण का काम शुरू हो चुका है। योगी सरकार आने से पहले यहां चीनी उद्योग की हालत बहुत ही खराब हो चुकी थी। कोई नई मिल लगाने के बजाय पूर्ववर्ती सरकारों ने पुरानी मिलों को अनुपयोगी बताकर औने-पौने दाम में बेच दिया। तमाम मिलें बंद कर दी गईं। गन्ना किसानों की हालत बद से बदतर हो गई, लेकिन योगी सरकार आने बाद चीनी उद्योग की हालत में काफी सुधार आया।

सरकार ने तमाम बंद चीनी मिलों को न केवल शुरू कराया, बल्कि उनकी पेराई क्षमता में विस्तार, उनका उन्नयन, किसानों के बकाया गन्ना भुगतान पर ध्यान दिया, यही कारण है कि चीनी उद्योग एक बार फिर से सांसें लेने लगा है। अब सरकार आठ और चीनी मिलें लगाने जा रही है। लेकिन, सवाल यह भी है कि आखिर पहले से बंद पड़ीं कई चीनी मिलों को शुरू कराने के बजाय सरकार नई मिलें क्यों लगवाना चाहती है।

बंद पड़ी पडरौना चीनी मिल। संतोष शंकर मिश्र

दरअसल निजी, सरकारी, सहकारी आदि मिलाकर लगभग 157 चीनी मिलें हैं, जिनमें से लगभग 120 चालू हालत में हैं, बाकी बंद हैं। जिन क्षेत्रों की मिलें बंद हैं, वहां के गन्ना किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, उन्हें गन्ना क्षेत्र से बाहर जाकर मिलों को देना पड़ रहा है, इससे न केवल उनकी लागत बढ़ रही है, बल्कि उनका समय भी नष्ट हो रहा है। समय से गन्ना न तुल पाने पर उन्हें औने-पौने दाम पर गन्ना गुड़ खांडसारी बनाने वाले कोल्हुओं पर बेचना पड़ता है, ताकि खेत समय से खाली हो जाए और वे अगली फसल की बोआई कर सकें।

उत्तर प्रदेश में 1935 में गन्ना विकास विभाग विभाग स्थापित हुआ। तब से अब तक इसे लेकर तमाम कानून, अधिनियम बन चुके हैं, समय समय पर मिलें भी स्थापित होती रही हैं, लेकिन इसे व्यवस्थित रूप देने का प्रयास कभी नहीं हुआ। योगी सरकार ने इस तरफ ध्यान देना शुरू किया है। पुरानी चीनी मिलें खोली जा रही हैं, उनका उन्नयन किया जा रहा है, किसानों के जल्द गन्ना भुगतान का मिलों पर दबाव बनाया जा रहा है। भुगतान के लिए मिलों को बैंकों से ऋण की सुविधा दिलाई जा रही है। पूर्वाचल में गोरखपुर और बस्ती मंडल की तमाम चीनी मिलें बंद होने के बाद अब खंडहर हो चुकी हैं तो निश्चित रूप से वहां के गन्ना किसानों की दयनीय हालत का अंदाजा लगाया जा सकता है। हालांकि योगी सरकार ने गोरखपुर की पिपराइच चीनी मिल को चालू कराकर जिस इच्छाशक्ति का परिचय दिया है, वह वास्तव में सराहनीय है। बाकी बंद मिलों को खोलने के लिए निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन देने की जरूरत है।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश की नजीबाबाद चीनी मिल में आसवनी प्लांट स्थापित किया गया है। मोहिउद्दीनपुर, बागपत एवं रमाला चीनी मिलों का क्षमता विस्तार हुआ। इसके अलावा 11 निजी चीनी मिलों में गन्न की उपलब्धता को देखते हुए इनकी पेराई क्षमता बढ़ाई गई। सहकारी क्षेत्र की सरसावा और अनूपशहर मिलों की कार्यक्षमता में सुधार के लिए तकनीकी अपग्रेडेशन किए गए, सहकारी क्षेत्र की ननौता, अनूपशहर में पर्यावरण संरक्षण के लिए बायो-कंपोस्ट आधारित जेडएलडी संयंत्र स्थापित किए गए, शामली, बिलारी, अगवानपुर और टिकौला मिलों की पेराई क्षमता बढ़ाई गई है। बुढ़वल (बाराबंकी), अलीगढ़, अमरोहा, मुजफ्फरनगर और छाता चीनी मिलों की क्षमता बढ़ाई जाएगी, जबकि देवीपाटन और गोरखपुर मंडल में नई चीनी मिलों की स्थापना की जाएगी, ताकि किसानों के गन्ने की पेराई हो सके। चीनी मिलों के बंद होने की नौबत न आए, इसका भी रास्ता निकाला गया है। जहां पर गन्ने की उपलब्धता कम होगी वहां मिलों में एथेनाल प्लांट लगाए जाएंगे।

प्रदेश में सरकार चीनी उद्योग और गन्ना किसानों की बेहतरी के लिए नियमित रूप से कार्य कर रही है। सरकार का दावा है कि प्रदेश के गन्ना किसानों को एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया। बसपा सरकार के समय 2007 से 2012 तक उत्तर प्रदेश में 19 चीनी मिलें बंद हुई थीं और अखिलेश यादव ने 2012 से 2017 तक 10 मिले बंद कर दी थीं। लेकिन, 2017 में योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश की बागडोर संभालते ही गन्ना किसानों की समस्याओं का प्राथमिकता के आधार पर निस्तारण शुरू किया। इससे दम तोड़ रहे चीनी उद्योग को नई ऊर्जा मिली है। साथ ही मायूस गन्ना किसानों को आर्थिक मजबूती मिली है। चार साल में 45.44 लाख से अधिक गन्ना किसानों को एक लाख 40 हजार करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। यह बसपा सरकार से दोगुना और सपा सरकार के मुकाबले डेढ़ गुना अधिक है। अखिलेश सरकार के कार्यकाल में गन्ना किसानों के 10659.42 करोड़ रुपये के बकाये का भुगतान भी योगी सरकार ने किसानों को किया है।

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