Inequality situation in India: शहरी श्रमिकों के लिए भी मनरेगा जैसी रोजगार गारंटी योजना का सुझाव, असमानता को कम करने में हो सकती है मददगार

May 15, 2022
Source: https://www.jagran.com

शहरी श्रमिकों के लिए भी मनरेगा जैसी रोजगार गारंटी योजना होनी चाहिए। साथ ही यूनिवर्सल बेसिक इनकम भी असमानता को कम करने में मददगार हो सकती है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) ने भारत में असमानता की स्थिति शीर्षक से जारी रिपोर्ट में यह बात कही है।

नई दिल्ली, प्रेट्र। शहरी श्रमिकों के लिए भी मनरेगा जैसी रोजगार गारंटी योजना होनी चाहिए। साथ ही यूनिवर्सल बेसिक इनकम भी असमानता को कम करने में मददगार हो सकती है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) ने 'भारत में असमानता की स्थिति' शीर्षक से जारी रिपोर्ट में यह बात कही है। इंस्टीट्यूट फार कंपटीटिवनेस द्वारा तैयार रिपोर्ट को ईएसी के चेयरमैन बिबेक देबराय ने जारी किया।

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ने असमानता की स्थिति पर जारी की रिपोर्ट

रिपोर्ट में सुझाया गया है कि शहरों में सरप्लस लेबर के पुनर्वास में मदद के लिए मांग आधारित रोजगार गारंटी योजना की आवश्यकता है। साथ ही न्यूनतम आय बढ़ाने और यूनिवर्सल बेसिक इनकम जैसे कदमों से भी आय के बीच अंतर कम हो सकता है और श्रम बाजार में आय का समान बंटवारा सुनिश्चित हो सकता है। रिपोर्ट में सामाजिक सेवाओं एवं अन्य सोशल सेक्टर पर सरकारी खर्च बढ़ाने की सिफारिश भी की गई है।

देश में श्रम संहिता जल्द लागू होने की उम्मीद

उधर, केंद्रीय श्रम व रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव इस साल चार श्रम संहिता के लागू होने को लेकर आशान्वित है। उन्होंने बताया कि 90 फीसद राज्य श्रम संहिता को लागू करने के लिए अपना मसौदा नियम तैयार कर लिया है। पूर्वोत्तर के चार राज्यों में इस सिलसिले में काम बचा हुआ है। श्रम संहिता के लागू होने से उद्योग जगत में बड़े परिवर्तन की उम्मीद की जा रही है, जिससे नए निवेश में बढ़ोतरी के साथ श्रमिकों के स्तर में सुधार होगा। इससे रोजगार के मौके बढ़ेंगे।

श्रम मंत्रालय असंगठित सेक्टर के श्रमिकों को विभिन्न प्रकार की सामाजिक सुरक्षा देने पर भी काम कर रहा है। हाल ही में ई-श्रम पोर्टल को रोजगार से जुड़े पोर्टल एनसीएस से जोड़ने का काम पूरा कर लिया गया है और ई-श्रम पोर्टल को कौशल विकास मंत्रालय के असीम तो एमएसएमई मंत्रालय के उद्यम पोर्टल से जोड़ने का काम किया जा रहा है।

इस साल बजट में ई-श्रम पोर्टल को इन सभी पोर्टल से जोड़ने की घोषणा की गई थी। इससे संवेदनशील तबके को गरीबी के दुष्चक्र में फंसने से बचाया जा सकता है। इसमें वर्ग निर्धारण के लिए स्पष्ट मानक तय करने का भी सुझाव है, जिससे मिडिल और लोवर क्लास का अंतर किया जा सके। साथ ही यह भी ध्यान रखा जाए कि कितनी आबादी अक्सर इस रेखा से नीचे या ऊपर आती रहती है। इससे सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लाभार्थियों का निर्धारण आसान होगा। रिपोर्ट में आय के मामले में लैंगिक भेदभाव पर भी चिंता जताई गई है।

 

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