Abortion Law: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, गर्भपात में विवाहित व अविवाहित महिलाओं का अंतर खत्म करेंगे

Aug 24, 2022
Source: https://www.jagran.com/

नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि वह चिकित्सकीय गर्भपात (एमटीपी) कानून और इससे संबंधित नियमों की इस तरह व्याख्या करेगा जिससे विवाहित और अविवाहित महिलाओं के बीच के भेदभाव को दूर किया जा सके ताकि 24 सप्ताह तक की गर्भवती को गर्भपात की अनुमति दी जा सके। साथ ही कहा कि एमटीपी नियमों के प्रविधानों को दुरुस्त करने की आवश्यकता है और वह त्यागी गई महिलाओं की एक अन्य श्रेणी को भी इसमें शामिल करना चाहेगा।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि वह एमटीपी कानून की व्याख्या के मुद्दे पर अपना फैसला सुरक्षित रख रही है और इसमें वह अविवाहित महिला या एकल महिला को 24 सप्ताह तक के गर्भ को गिराने की अनुमति में शामिल करेगी। केंद्र सरकार ने कहा कि संसद द्वारा पारित कानून में कोई भेदभाव नहीं है और अगर अदालत हस्तक्षेप करना चाहती है तो उसे एमटीपी नियम, 2003 में ऐसा करना चाहिए।

केंद्र की ओर से पेश और इस मुद्दे पर अदालत की सहायता कर रहीं एडिशनल सालिसिटर जनरल ऐश्वर्य भाटी ने कहा कि एमटीपी (संशोधन) अधिनियम, 2021 के तहत कोई भेदभाव नहीं किया गया है वर्गीकरण, अधिनियम के तहत संबंधित नियमों में किया गया है।
 

उन्होंने कहा कि इन मुद्दों पर विशेषज्ञों के अपने विचार हैं और उनके अनुसार भ्रूण के लिंग निर्धारण के कारण गर्भधारण-पूर्व और प्रसव-पूर्व निदान तकनीक (पीसी-पीएनडीटी) कानून सहित विभिन्न कानूनों के दुरुपयोग से बचने के लिए वर्गीकरण किया गया है। इस पर अदालत ने कहा, 'एक बात हमें स्पष्ट कर देनी चाहिए कि हम अपने फैसले का मसौदा इस तरह से तैयार करने जा रहे हैं कि हम पीसी-पीएनडीटी कानून के प्रविधानों को कमजोर नहीं करेंगे।'

एमटीपी कानून पर अपना फैसला रखा सुरक्षित

इससे पहले पांच अगस्त को अदालत ने कहा था कि वह एमटीपी कानून और संबंधित नियमों की व्याख्या करेगा ताकि यह तय किया जा सके कि क्या चिकित्सकीय सलाह पर अविवाहित महिलाओं को भी 24 सप्ताह के गर्भ को गिराने की अनुमति दी जा सकती है या नहीं। अदालत ने कहा था, 'यदि कानून के तहत अपवाद मौजूद हैं तो चिकित्सकीय सलाह पर 24 सप्ताह के गर्भ को गिराने की अनुमति वाली महिलाओं में अविवाहित महिलाओं को क्यों शामिल नहीं किया जा सकता?

(कानून में) 'पति' के स्थान पर 'पार्टनर' शब्द रखने से ही संसद का इरादा स्पष्ट समझ में आता है। यह दर्शाता है कि उसने अविवाहित महिलाओं को उसी श्रेणी में रखा है जिस श्रेणी की महिलाओं को 24 हफ्ते के गर्भ को गिराने की अनुमति है।'

 

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