नाइट्रोजन संयंत्रों से होगा मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन, ऐसे संयंत्र वाले 30 उद्योगों की हुई पहचान

May 03, 2021
Source: https://www.jagran.com/

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। देशभर में मेडिकल ऑक्सीजन की किल्लत दूर करने के लिए अब नाइट्रोजन संयंत्रों से भी ऑक्सीजन का उत्पादन किया जाएगा। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के निर्देश पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने देशभर में ऐसे संयंत्र वाले 30 उद्योगों की पहचान की है। जल्द ही इनमें थोड़ा बहुत तकनीकी संशोधन कर ऑक्सीजन का उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा। कुछ संयंत्र नजदीकी अस्पतालों में स्थानांतरित किए जाएंगे, जबकि कुछ जहां हैं, वहीं से ऑक्सीजन का उत्पादन कर इसकी आपूर्ति करेंगे। आइआइटी मुंबई ने भी इस तकनीक को प्रमाणित किया है।

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक मौजूदा नाइट्रोजन संयंत्रों में कार्बन आण्विक छलनी (सीएमएस) की जगह जियोलाइट आण्विक छलनी (जेडएमएस) के इस्तेमाल और ऑक्सीजन एनालाइजर की स्थापना के बाद कंट्रोल पैनल सिस्टम व फ्लो वाल्व आदि में कुछ बदलाव कर चिकित्सीय उपयोग के लिए ऑक्सीजन का उत्पादन किया जा सकता है। खास बात यह कि जेडएमएस की उपलब्धता के साथ इस तरह के संशोधित संयंत्र महज चार पांच दिनों में स्थापित किए जा सकेंगे,

जबकि एक नए ऑक्सीजन संयंत्र की स्थापना में तीन चार सप्ताह लग सकते हैं। आन-साइट संयंत्रों में उत्पादित आक्सीजन को अस्पतालों तक ले जाने के लिए कंप्रेस कर भरना होता है, इसके लिए इन उद्योगों को जल्द से जल्द अपना काम पूरा करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से आवश्यक सुविधाएं भी प्रदान की जा रही हैं।

गुजरात में हुआ सफल प्रयोगयूपीएल लिमिटेड ने जियोलाइट आण्विक छलनी का उपयोग करके प्रतिघंटा 50 क्यूबिक मीटर (एनएम3) की क्षमता वाले एक नाइट्रोजन संयंत्र को आक्सीजन के उत्पादन के लिए संशोधित किया और इसे एलजी रोटरी अस्पताल, वापी (गुजरात) में स्थापित किया। यह संयंत्र प्रतिदिन 0.5 टन आक्सीजन का उत्पादन कर रहा है और 27 अप्रैल से चालू हुआ है। यूपीएल लिमिटेड तीन और संयंत्रों को भी संशोधित करने की प्रक्रिया में है। आक्सीजन संयंत्र के तौर पर रूपांतरित होने के बाद इन संयंत्रों को सूरत और अंकलेश्वर के अस्पतालों में लगाया जाएगा

प्रो. मिलिंद अत्रे (डीन (आर एंड डी), आइआइटी मुंबई) ने बताया कि मौजूदा नाइट्रोजन संयंत्र में कुछ बदलाव कर ऑक्सीजन का उत्पादन किया जा सकता है। ऐसे नाइट्रोजन संयंत्र जो वायुमण्डल से कच्चे माल के रूप में वायु ग्रहण करते हैं, देश भर के विभिन्न औद्योगिक संयंत्रों में उपलब्ध हैं। इसलिए उनमें से प्रत्येक को आक्सीजन जनरेटर में परिवर्तित किया जा सकता है। इस प्रकार हमें वर्तमान सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल से निपटने में मदद मिल सकती है।

 

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