Weather ALERT: दिल्ली समेत कई शहरों पर दिखेगा ग्लोबल वार्मिंग का असर, नामी मौसम विज्ञानी ने भी चेताया

Mar 07, 2022
Source: https://www.jagran.com

Weather ALERT इंडियन इंस्टीटयूट आफ ट्रापिकल मीट्रियोलाजी (आइआइटीएम) पुणे के वरिष्ठ जलवायु वैज्ञानिक डा. रॉक्सी मैथ्यू कौल के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग के चलते अब रात में भी दिल्ली एनसीआर की सतह का तापमान उतना कम नहीं हो रहा जितना होना चाहिए।

नई दिल्ली। ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन अब देश दुनिया का ही मुद्दा नहीं रहा बल्कि स्थानीय स्तर पर भी खासा प्रभावी हो रहा है। दिल्ली एनसीआर की ही बात करें तो यहां सर्दी, गर्मी और बारिश. सभी कुछ तेजी से बदल रहा है। गर्मी लगातार लंबी हो रही है तो सर्दी एवं बारिश भी हर साल रिकार्ड तोड़ रही हैं। आखिर किस तरह बदल रही है यहां की फिजा और निकट भविष्य में और क्या- कुछ नजर आ सकता है इसका प्रभाव.. इसी सबको लेकर संजीव गुप्ता ने इंडियन इंस्टीटयूट आफ ट्रापिकल मीट्रियोलाजी (आइआइटीएम) पुणे के वरिष्ठ जलवायु वैज्ञानिक डा. रॉक्सी मैथ्यू कौल से लंबी बातचीत की। प्रस्तुत हैं मुख्य अंश :

क्या वजह है कि दिल्ली एनसीआर में गर्मी का तेजी से विस्तार हो रहा है। हर साल जल्द आ जाती है और देर तक बनी रहती है?

 ऐसा ग्लोबल वार्मिंग की वजह से हो रहा है। अभी तो दिन में ही अधिक गर्मी रहती है, आने वाले सालों में रात को भी बढ़ेगी। इसकी वजह यह कि दिल्ली एनसीआर में शहरीकरण जिस तेजी से हो रहा है, उससे सूर्य की गर्मी रात को भी ऊपर की तरफ नहीं जा पा रही है। वह कंकरीट एवं निर्माण की वजह से धरती में ही ट्रैप होकर रह जाती है। इसीलिए रात में भी दिल्ली एनसीआर की सतह का तापमान उतना कम नहीं हो रहा जितना होना चाहिए। जबकि खुले व ग्रामीण क्षेत्र में गर्मी पेड़ों के जरिए ऊपर की तरफ बढ़ती है और धरती की सतह रात में ठंडी होने लगती है।

यह स्थिति केवल दिल्ली एनसीआर की है या अन्य शहरों में भी यही हाल है?

कहने को तो ग्लोबल वार्मिंग का असर सभी शहरों में देखने को मिल रहा है, लेकिन दिल्ली- एनसीआर की भौगोलिक स्थिति से स्पष्ट है कि यह हीट वेव बेल्ट में स्थित है। यह हीट बेल्ट पाकिस्तान, राजस्थान से होते हुए गुजरात और आंध्र प्रदेश तक जा रही है। इसी कारण यहां इसका असर भी अपेक्षाकृत ज्यादा दिखाई देता है। वैसे देश के अन्य महानगरों में भी रात को बढ़ता तापमान चिंता का विषय है। हीट वेव के साथ एक समस्या यह भी है कि इनमें नमी को सोखने की क्षमता बहुत अधिक और बहुत लंबे समय तक रहती है। ऐसे में जब नमी भरी गर्म हवाएं चलती हैं तो व्यक्ति के लिए उसको सहन करना मुश्किल हो जाता है। 31 डिग्री तक का तापमान इंसान सहन नहीं कर पाता।

2021 में यहां मानसून की बारिश न केवल अक्टूबर तक चली बल्कि उसने दशकों का रिकार्ड भी बनाया। सर्दी में ठिठुरन वाले दिनों और वर्षा ने नया रिकार्ड बनाया। क्यों?

जलवायु परिवर्तन की वजह से साइक्लोन का खतरा 2021 में बढ़ता हुआ साफ दिखाई दिया। मई 2021 में गुजरात तट से टकराया टाक्टे तूफान इसका बड़ा उदाहरण रहा। टाक्टे का असर साफ तौर पर दिल्ली और नेपाल तक दिखा। 19 मई को टाक्टे के कारण ही दिल्ली में 16 घंटे से भी अधिक समय के लिए बारिश हुई। हालांकि यह बारिश बहुत तेज नहीं थी लेकिन लंबे समय तक जारी रही। इसी बारिश की वजह से मई में सर्दी का नया रिकार्ड कायम हुआ। पिछले 70 सालों में मई का तापमान कभी इतना कम नहीं रहा। 19 मई को अधिकतम तापमान महज 23.8 डिग्री था जो सामान्य से 16 डिग्री कम था। इससे पहले 13 मई 1982 को अधिकतम तापमान 24.8 डिग्री रहा था। उक्त दिन 36 घंटे में 33.1 मिमी. बारिश दर्ज की गई थी।

क्या यह सही है कि वर्ष 2021 चरम मौसमी घटनाओं का साल रहा है?

बिल्कुल, 2021 अत्यधिक मौसमी घटनाओं का साल साबित हुआ है। दिल्ली के सभी जिलों में अत्यधिक मौसमी घटनाएं दिखी हैं। जबकि 2021 में तीव्र मौसमी घटनाओं की वजह से सबसे अधिक मौते महाराष्ट्र, उडीसा और मध्य प्रदेश में हुई हैं।

जलवायु परिवर्तन का सीधा संबंध बढ़ती समुद्री हीट वेव से है। क्या इसका असर मानसून पर भी पड़ेगा?

निश्चित तौर पर बढ़ती समुद्री हीट वेव भारतीय मानसून को कमजोर कर सकती हैं। अरब सागर इन हीटवेव का हाट स्पाट है। इस तरह की हीट वेव पहली बार 2010-11 में देखी गई थी। इसका मतलब यह है कि समुद्र के एक हिस्से में पानी काफी अधिक गर्म हो जाता है। पश्चिमी हिंद महासागर में यह चार गुना तक और उत्तरी बंगाल की खाड़ी में दो से तीन गुना तक बढ़ी हैं। अंफन तूफान को इसी तरह के समुद्री हीटवेव ने ताकत दी और तबाही मचाई। अफंन से पूर्व बंगाल की खाड़ी का सतही तापमान भी बढ़कर 32 से 34 डिग्री तक हो गया था। पहले कभी इतना अधिक तापमान नहीं गया। जब यह समुद्री हीट वेव बनती हैं तो मानसूनी हवाओं को अपनी तरफ खिंचती हैं और मानसूनी हवाएं भारत से दूर चली जाती हैं। जून से सितंबर के दौरान हम समुद्री हीटवेव का आंकलन करते हैं। इस दौरान महज 18 घंटे में हवाओं की गति 100 से बढ़कर 250 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच जाती है।

 

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