Noida News: जानिए देश में अब किस मॉडल के जरिए आपदाओं का मिल सकेगा पूर्वानुमान

Feb 15, 2021
Source: jagran.com

नोएडा, मोहम्मद बिलाल। प्राकृतिक आपदाओं का दंश देश बहुत बार झेल चुका है। हाल ही में उत्तराखंड के चमोली में हिमस्खलन की घटना हुई, 100 से ज्यादा अब भी लापता हैं। पूर्वानुमान के अभाव में लोग तबाही के शिकार होते रहते हैं, लेकिन अब जल्द ही पृथ्वी सिस्टम माडल के जरिये इन आपदाओं का पूर्वानुमान मिल सकेगा। देश के वैज्ञानिक इस दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं। इस सिस्टम के चालू हो जाने के बाद हिमस्खलन, हिमपात, चक्रवात और बादल फटने व बाढ़ जैसी तमाम प्राकृतिक आपदाओं का पूर्वानुमान एक सप्ताह पहले मिल जाएगा। 

नोएडा के राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (एनसीएमआरडब्ल्यूएफ) में विज्ञानियों ने पृथ्वी सिस्टम माडल (ईएसएम) तैयार किया है। इसके लिए पृथ्वी माडल विगत वर्षों का डाटा और वर्तमान प्राकृतिक स्थिति व सेटेलाइट से मिली ताजा तस्वीरों को आधार बनाकर सुपर कंप्यूटर पर डाटा एनालिसिस करेगा। इसके आधार पर एक सप्ताह बाद बनने वाली स्थिति सामने आ सकेगी। एनसीएमआरडब्ल्यूएफ के विज्ञानियों का दावा है कि अब तक अल्पकालीन पूर्वानुमान उपलब्ध कराने वाला कोई माडल किसी देश के पास नहीं है।

भारत विश्व का पहला ऐसा देश होगा, जो प्राकृतिक आपदाओं के बारे में पूर्वानुमान जारी कर सकेगा। विज्ञानियों की टीम इस प्रोजेक्ट पर 2017 से काम कर रही थी, अब उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने की घटना के बाद इस प्रोजेक्ट को अंतिम रूप दिया जा रहा है। एक माह के भीतर ही संस्थान की ओर से पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय को प्रस्ताव बनाकर भेजा जाएगा। अनुमति मिलने के बाद माडल को स्थापित किया जाएगा। नए सुपर कंप्यूटर

के साथ माडल स्थापित करने में करीब 500 करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान है। 

 

अल्पकालीन अवधि में मिल सकेगी जानकारी

संस्थान के प्रमुख डा. आशीष के मुताबिक उष्ण कटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आइआइटीएम) पुणे द्वारा भारत सहित कई देशों में दीर्घकालीन अवधि (10 वर्ष या इससे अधिक समय) में होने वाले जलवायु परिवर्तन से आने वाली प्राकृतिक आपदाओं के बारे में तो जानकारी दी जाती है, लेकिन अल्पकालीन अवधि के पूर्वानुमान पर कभी कोई काम नहीं हुआ है। अब यह भी संभव हो सकेगा। 

चमोली में खराब मौसम का था पूर्वानुमान

अभी एनसीएमआरडब्ल्यूएफ यूनिफाइड माडल के जरिये मौसम का सटीक पूर्वानुमान जारी करता है। सुपर कंप्यूटर से भारत सहित पूरे विश्व के लिए अल्प एवं मध्यम अवधि में मौसम का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। एनसीएमआरडब्ल्यूएफ ने चमोली में ग्लेशियर टूटने से पांच दिन पूर्व ही खराब मौसम का पूर्वानुमान जारी किया था। पश्चिमी विक्षोभ के चलते बारिश, हिमपात की भविष्यवाणी की गई थी। 

सुपर कंप्यूटर की खासियत

सुपर कंप्यूटर में सामान्य कंप्यूटरों की तुलना में काफी उच्च स्तरीय गणना की क्षमता होती है। सामान्य कंप्यूटर प्रति सेकंड 10 लाख निर्देशों की प्रोसेसिंग कर सकता है, लेकिन सुपर कंप्यूटर की कार्य क्षमता रलोटिंग 

प्वाइंट आपरेशन प्रति सेकंड से मापी जाती है। लोटिंग प्वाइंट काफी लंबी संख्या का संकेतीकरण है ताकि उन्हेंं आसानी से संचारित किया जा सके। सुपर कंप्यूटर सिर्फ तेज रफ्तार से काम करने वाला कंप्यूटर नहीं है बल्कि यह एक समय में कई कार्य संपादित करता है।

क्वांटम यांत्रिकी, मौसम का पूर्वानुमान, जलवायु पर अनुसंधान, तेल तथा प्राकृतिक गैस अन्वेषण, विमान तथा अंतरिक्षयान के लिए वायु गति विज्ञान, परमाणु हथियारों के विस्फोट एवं परमाणु विलय जैसे कार्यों में सुपर कंप्यूटर का प्रयोग होता है। 

 

इस तकनीक से पश्चिमी विक्षोभ, मौसम, आद्रता, हवा की रफ्तार, बारिश, जल प्रवाह, चक्रवात व हिमस्खलन, हिमपात के प्रभाव को आधार बनाकर माडल के जरिये प्रारंभिक चेतावनी उपलब्ध कराना आसान होगा। जलवायु परिवर्तन व जैविक प्रणालियों में संभावित परिवर्तनों की गणना भी आसानी से की जा सकेगी।

(-डा. आशीष, प्रमुख विज्ञानी, राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र)

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