काम की बात: नए श्रम कानूनों को लागू करने के लिए सरकार ने कसी कमर, घट जाएगी हाथ में आने वाली सैलरी, बढ़ेगा पीएफ

Jun 07, 2021
Source: www.amarujala.com

आगामी कुछ माह में चारों श्रम संहिताएं लागू हो जाएंगी। ये कानून लागू होने के बाद कर्मचारियों के हाथ में आने वाला वेतन घट जाएगा और कंपनियों की भविष्य निधि (पीएफ) की देनदारी बढ़ जाएगी। वेतन संहिता लागू होने के बाद कर्मचारियों के मूल वेतन और भविष्य निधि की गणना के तरीके में उल्लेखनीय बदलाव आएगा।

44 कानूनों की जगह सिर्फ 4 कानून होंगे प्रभावी
श्रम मंत्रालय इन चारों श्रम संहिताओं (औद्योगिक संबंध, वेतन और सामाजिक सुरक्षा, व्यावसायिक और स्वास्थ्य सुरक्षा तथा कार्य स्थिति) को एक अप्रैल, 2021 से लागू करना चाहता था। इन चार श्रम संहिताओं से पहले से चले आ रहे 44 केंद्रीय श्रम कानूनों से बदला जाएगा। अब सिर्फ यही 4 श्रम कानून प्रभावी रहेंगे। मंत्रालय ने इन चार संहिताओं के तहत आने वाले नियमों को अंतिम रूप भी दे दिया था, लेकिन इन्हें व्यावहारिक रूप से लागू नहीं किया जा सका, क्योंकि कई राज्य अपने यहां इन संहिताओं के तहत आने वाले नियमों को अधिसूचित करने की स्थिति में नहीं थे।

राज्यों ने भी दिखाई कानूनों को लागू करने में तेजी
भारत के संविधान के तहत श्रम समवर्ती विषय है। ऐसे में इन चार संहिताओं के तहत केंद्र और राज्यों दोनों को इन नियमों को अधिसूचित करना होगा, तभी किसी राज्य में ये कानून अस्तित्व में आएंगे। एक सूत्र ने बताया है कि कई प्रमुख राज्यों ने इन चार संहिताओं के तहत नियमों को अंतिम रूप नहीं दिया है। कुछ राज्य इन कानूनों के क्रियान्वयन के लिए नियमों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में हैं। कुछ ने मसौदा पहले ही जारी कर दिया है। इन राज्यों में उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, हरियाणा, ओडिशा, पंजाब, गुजरात, कर्नाटक और उत्तराखंड शामिल हैं।

कई कारणों से केंद्र सरकार नहीं कर सकती इंतजार 
केंद्र सरकार हमेशा इस बात का इंतजार नहीं कर सकती कि राज्य इन नियमों को अंतिम रूप दें। ऐसे में सरकार की योजना एक-दो माह में इन कानूनों के क्रियान्वयन की है क्योंकि कंपनियों और प्रतिष्ठानों को नए कानूनों से तालमेल बैठाने के लिए कुछ समय देना होगा। नई वेतन संहिता के तहत भत्तों को 50 प्रतिशत पर सीमित रखा जाएगा। इसका मतलब है कि कर्मचारियों के कुल वेतन का 50 प्रतिशत मूल वेतन होगा। भविष्य निधि की गणना मूल वेतन के प्रतिशत के आधार पर की जाती है। इसमें मूल वेतन और महंगाई भत्ता शामिल रहता है। अभी नियोक्ता वेतन को कई तरह के भत्तों में बांट देते हैं। इससे मूल वेतन कम रहता है, जिससे भविष्य निधि तथा आयकर में योगदान भी नीचे रहता है। नई वेतन संहिता में भविष्य निधि का योगदान कुल वेतन के 50 प्रतिशत के हिसाब से तय किया जाएगा।

 

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