Budget 2022: इस बजट से रियल एस्टेट को क्या है उम्मीदें, GDP में 8 फीसदी का है योगदान

Jan 17, 2022
Source: https://www.tv9hindi.com

Real Estate सेक्टर बजट 2022 में खुद को इंडस्ट्री का दर्जा देने की मांग कर रहा है. इसके अलावा सिंगल विंडो क्लियरेंस से भी इस सेक्टर को काफी मदद मिलेगी.

कोरोना महामारी के कारण रियल एस्टेट (Real Estate) की हालत पतली है. रियल एस्टेट डेवलपर्स को Budget 2022 से काफी उम्मीदें हैं. वैसे पिछले कुछ महीनों में रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी की बिक्री में तेजी देखी जा रही है, लेकिन कमर्शियल प्रॉपर्टी की रफ्तार पर मानो ब्रेक लगा हुआ है. रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी की बिक्री में तेजी के कई कारण बताए जा रहे हैं. इस समय होम लोन पर इंट्रेस्ट रेट एक दशक के निचले स्तर पर है, साथ ही स्टेट गवर्नमेंट की तरफ से स्टाम्प ड्यूटी में भी कटौती की गई है. रियल एस्टेट प्लेयर्स को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से काफी उम्मीदें हैं. इनका कहना है कि सरकार की सीधी दखल के बिना इस सेक्टर में मजबूती संभव नहीं है. आइए जानते हैं कि रियल एस्टेट सेक्टर को इस बजट से क्या-क्या उम्मीदें हैं.

रियल एस्टेट को इंडस्ट्री का दर्जा देने की मांग: इस बजट में रियल एस्टेट को इंडस्ट्री का दर्जा देने की मांग की गई है. इससे इन्वेस्टमेंट में तेजी आएगी साथ ही टैक्सेशन की प्रक्रिया भी आसान होगी. इंडस्ट्री का स्टेटस मिलने के बाद बैंकों और फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन की तरफ से लोन मिलने में भी आसानी होगी. इसके अलावा सिंगल विंडो क्लियरेंस की मांग भी लंबे समय से की जा रही है. इससे कंस्ट्रक्शन का काम जल्द पूरा होगा और पोजेशन में भी तेजी आएगी.

टैक्स डिडक्शन 5 लाख करने की मांग

रियल एस्टेट को बूस्ट देने के मकसद से टैक्स में राहत की मांग की जा रही है. वर्तमान में होम लोन पर एक वित्त वर्ष में इंट्रेस्ट रीपेमेंट पर 2 लाख के डिडक्शन का लाभ मिलता है. इस बजट में इस लिमिट को 5 लाख करने की मांग की जा रही है. इंट्रेस्ट रीपेमेंट पर डिडक्शन का लाभ सेक्शन 24 के तहत मिलता है. इसके अलावा प्रिंसिपल अमाउंट रीपेमेंट पर सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शन का लाभ मिलता है जिसकी लिमिट 1.5 लाख रुपए है. टैक्स लिमिट बढ़ाने से होमबायर्स का सेंटिमेंट मजबूत होने की पूरी संभावना है.

अफोर्डेबल हाउसिंग की लिमिट बढ़ाने की मांग

बजट में अफोर्डेबल हाउसिंग की लिमिट बढ़ाए जाने की मांग की जा रही है. वर्तमान में यह लिमिट 45 लाख रुपए है. CREDIA ने कहा कि मेट्रो सिटीज के लिए अफोर्डेबल हाउसिंग की वैल्यु 1.5 करोड़ रुपए और नॉन-मेट्रो सिटीज के लिए यह वैल्यु 75 लाख रुपए रखी जाए. अफोर्डेबल हाउसिंग पर सेक्शन 80 IBA के तहत अलग-अलग तरीके से लाभ मिलता है. CREDAI 13 हजार होम डेवलपर्स का संगठन है.

PPP मॉडल को प्रमोट करने की जरूरत

बिग साइज रियल एस्टेट डेवलपमेंट के लिए PPP मॉडल यानी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप बढ़ाने की मांग की गई है. रियल एस्टेट के जानकारों का कहना है कि पीपीपी मॉडल से अर्बन डेवलपमेंट में तेजी आएगी और इकोनॉमी को काफी फायदा पहुंचेगा. सरकार को इन्फ्रास्टक्चर डेवलपमेंट में प्राइवेट प्लेयर्स की भागीदारी बढ़ाने के लिए इंसेंटिव की घोषणा करनी चाहिए.

रियल एस्टेट का GDP में योगदान 8 फीसदी

फाइनेंशियल एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट में Motia Group के मुकुल बंसल ने कहा कि कोरोना के बाद इकोनॉमी में ‘V’ आकार की रिकवरी देखी जा रही है. ऐसे में बजट 2022 की घोषणा से इकोनॉमी को रफ्तार देने में मदद मिलेगी. भारत की जीडीपी में रियल एस्टेट का योगदान करीब 8 फीसदी है. ऐसे में इस सेक्टर में तेजी काफी मायने रखती है.

कमर्शियल प्रॉपर्टी के लिए GST घटाने की मांग

कमर्शियल प्रॉपर्टी की बात करें तो GST की दरें घटाने की मांग की जा रही है. इसके अलावा TDS घटाने की भी अपील की जा रही है. कोरोना काल में कमर्शियल प्रॉपर्टी के बाजार में काफी बदलाव आया है. सरकार 5 ट्रिलियन डॉलर के इकोनॉमी के अपने लक्ष्य पर अडिग है. अगर इस लक्ष्य को हासिल करना है तो हाई क्वॉलिटी ऑफिस की बड़े पैमाने पर जरूरत होगी. रियल एस्टेट लंबे समय से सिंगल विंडो क्लियरेंस की मांग कर रहा है. अगर इस दिशा में कदम बढ़ाया जाता है तो काफी फायदा होगा.

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