न्यायालय ने 1988 के बेनामी लेनदेन कानून के एक प्रावधान को निरस्त किया

Aug 24, 2022
Source: https://navbharattimes.indiatimes.com/

नयी दिल्ली, 23 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मगलवार को 1988 के बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम के एक प्रावधान को रद्द कर दिया, जिसमें ‘बेनामी’ लेनदेन में संलिप्त लोगों के लिए अधिकतम तीन साल तक के कारावास या जुर्माना या दोनों सजा की बात है। शीर्ष अदालत ने इस प्रावधान को ‘स्पष्ट रूप से मनमाना’ होने के आधार पर ‘असंवैधानिक’ करार दिया। प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार तथा न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा, ‘‘हम बेनामी लेनदेन (प्रतिषेध) अधिनियम, 1988 की धारा 3(2) को असंवैधानिक ठहराते हैं।’’ कानून की धारा 3 ‘बेनामी लेनदेन के जिसमें ‘बेनामी’ लेनदेन में संलिप्त लोगों के लिए अधिकतम तीन साल तक के कारावास या जुर्माना या दोनों सजा की बात है। शीर्ष अदालत ने इस प्रावधान को ‘स्पष्ट रूप से मनमाना’ होने के आधार पर ‘असंवैधानिक’ करार दिया। 

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार तथा न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा, ‘‘हम बेनामी लेनदेन (प्रतिषेध) अधिनियम, 1988 की धारा 3(2) को असंवैधानिक ठहराते हैं।’’

कानून की धारा 3 ‘बेनामी लेनदेन के प्रतिषेध’ विषय से संबंधित है और इसकी अब रद्द की जा चुकी उपधारा (2) के अनुसार, ‘‘जो भी बेनामी लेनदेन करता है, उसे तीन साल तक के कारावास या जुर्माना या दोनों सजा दी जाएगी।’’ 

केंद्र सरकार ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के एक फैसले को चुनौती देते हुए इस बाबत अपील की थी, जिस पर शीर्ष अदालत का निर्णय आया। उच्च न्यायालय के फैसले में कहा गया था कि 1988 के अधिनियम में वर्ष 2016 में किये गये संशोधन भावी प्रभाव से लागू होंगे

 

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