दिल्ली हाई कोर्ट ने सांकेतिक भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की PIL खारिज की

Jul 10, 2019

दिल्ली हाई कोर्ट ने सांकेतिक भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की PIL खारिज की

दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा ​​है कि भारतीय सांकेतिक भाषा (ISL) को मान्यता, संरक्षण और बढ़ावा देने के लिए दिव्यांग अधिकार अधिनियम (पर्सन्स विद डिसेबिलिटीज़ एक्ट) 2016 के तहत पर्याप्त प्रावधान मौजूद हैं। हालांकि अदालत ने सरकार को ISL को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने का निर्देश देने के याचिकाकर्ता के दावे को खारिज कर दिया। दरअसल याचिकाकर्ता ने यह तर्क दिया था कि भारतीय सांकेतिक भाषा के बारे में अपर्याप्त जागरूकता के कारण, श्रवण दिव्यांग व्यक्तियों को भारी असुविधा होती है और इससे उनके साथ भेदभाव होता है। स्पष्ट सरकारी मान्यता की कमी भाषा के प्रचार और संरक्षण को प्रभावित करती है। इसलिए सरकार को भारतीय सांकेतिक भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए निर्देश दिया जाना चाहिए।

यह भी देखे -

यूजीसी शिक्षण संस्थानों में यौन उत्पीड़न के मामलों पर सख्त, जानने के लिए लिंक पे क्लिक करे http://uvindianews.com/news/ugc-education-institutions-strictly-on-sexual-harassment-cases

न्यायमूर्ति पटेल और न्यायमूर्ति शंकर की पीठ ने केंद्र सरकार द्वारा दायर हलफनामे का उल्लेख करते हुए कहा कि दिव्यांग व्यक्तियों के लिए वर्ष 2016 के अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत पर्याप्त प्रावधान हैं। उदाहरण के लिए, धारा 16 शिक्षा के उद्देश्य के लिए भारतीय सांकेतिक भाषा को संरक्षित और बढ़ावा देती है जबकि धारा 42 में सांकेतिक भाषा में इलेक्ट्रॉनिक जानकारी तक पहुंच सुनिश्चित की गई है। अदालत ने यह भी कहा कि भाषा को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा भारतीय सांकेतिक भाषा प्रशिक्षण और अनुसंधान केंद्र की स्थापना की गई है। इसलिए अदालत ने सरकार को उक्त भाषा को बढ़ावा देने के लिए कोई अन्य कदम उठाने के निर्देश देने में कोई कारण नहीं देखा। भारतीय सांकेतिक भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने के सवाल पर अदालत ने कहा कि यह एक ऐसा फैसला है जिसे सरकार द्वारा लिया जाना है न कि इस न्यायालय द्वारा।

यह भी देखे -

सरकार की मंशा अच्छी है लेकिन मंशा अच्छी होने से क्या काम चलेगा? क्योंकि उस मंशा पर अमल तो इन्हीं सरकारी बाबुओं को करना है-विपिन मल्हन, जानने के लिए लिंक पे क्लिक करे http://uvindianews.com/news/governments-intention-is-good-but-what-will-be-the-purpose-of-good-intention-because-that-motive-is-to-be-executed-by-these-government-officials-vipin-malhan

आपकी राय !

uniform civil code से कैसे होगा बीजेपी का फायदा ?

मौसम