पिता के निधन पर भी नहीं टूटी योगी की तपस्या

Apr 21, 2020

पिता के निधन पर भी नहीं टूटी योगी की तपस्या

एक योगी के तप की परीक्षा लेने आई अनहोनी सोमवार को लखनऊ के 5-कालिदास मार्ग से विरक्ति और प्रेम के गूढ़ अर्थ समझकर लौटी होगी। क्या यह अकल्पनीय नहीं कि कोई मुख्यमंत्री सिर्फ इसलिए अपने पिता के निधन पर उनके अंतिम दर्शन के लिए नहीं जाता, क्योंकि उसके पैरों में राज-धर्म की बेड़ियां हैं। उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भगवा वस्त्र निजी रिश्तों से विरक्तिका आत्मबल देते हैं, लेकिन बतौर ह्यपालकह्ण वह इतना बड़ा दिल दिखाते हैं कि 23 करोड़ प्रदेशवासियों को कुछ घंटों के लिए भी कोरोना की आपदा में छोड़कर नहीं जाते। सोमवार की सुबह योगी के लिए शोक संदेश लेकर आई। लिवर की बीमारी से जूझ रहे उनके 90 वर्षीय पिता आनंद सिंह बिष्ट का नई दिल्ली स्थित एम्स में निधन हो गया। बीमारी से वह वाकिफ थे, लेकिन कोरोना के खिलाफ चल रहे संघर्ष का नेतृत्व कर रहे योगी हालचाल लेने तक नहीं जा सके। सोमवार को भी अपने आवास पर सुबह 10.30 बजे अधिकारियों को बैठक के लिए बुला रखा था। बैठक के दौरान सहयोगी बल्लू राय आए और उन्हें एक पर्ची दी। मास्क भला भाव भी कहां तक छिपाता। उन्होंने फोन मिलवाकर एक मिनट किसी से बात की। नम आंखों और योगी की खामोशी ने संदेश दे दिया कि उनके पिता नहीं रहे। मुख्यमंत्री ने खुद को संभाला और अधिकारियों से कोरोना से संबंधित जानकारी लेने लगे। उधर, बिष्ट का पार्थिव शरीर शाम सात बजे पैतृक गांव पंचुर पहुंचा। मंगलवार सुबह पौड़ी के फूलचट्टी घाट पर अंतिम संस्कार किया जाएगा। पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि योगी आदित्यनाथ के पिता के निधन पर पीएम नरेंद्र मोदी ने शोक जताया है। उन्होंने योगी को संबोधित पत्र में लिखा कि स्व. आनंद सिंह बिष्ट के जीवन की सार्थकता का अनुभव हमें सार्वजनिक जीवन में आप जैसे विलक्षण तत्वज्ञानी के सान्निध्य से होता है। आप जैसे यशस्वी और कर्मठ पुत्र के पिता के रूप में वह एक गौरव पुरुष थे। यद्यपि संन्यास जीवन में प्रवृत्त होने के नाते आप सांसारिक मोह-बंधनों से मुक्त हो चुके हैं लेकिन आपके पूर्वाश्रम में हुई इस क्षति के बारे में जानकर गहरी पीड़ा हुई है। हमारी संवेदनाएं मुख्यमंत्री के लौकिक धर्म परिवार के साथ हैं। रविवार रात आनंद सिंह की स्थिति की जानकारी होने पर पीएम ने फोन कर योगी को सांत्वना दी थी। लॉकडाउन का पालन करते हुए कम लोग जाएं अंतिम संस्कार में योगी ने कहा कि अपने पूज्य पिताजी के कैलासवासी होने पर मुङो दुख है। वह मेरे पूर्वाश्रम के जन्मदाता हैं। ईमानदारी से कार्य करने का उन्होंने संस्कार दिया। अंतिम क्षणों में दर्शन की इच्छा थी, परंतु कोरोना से देश की लड़ाई में कर्तव्यबोध के कारण मैं न कर सका। कोरोना को परास्त करने की रणनीति के कारण 21 अप्रैल को अंतिम संस्कार में भाग नहीं ले पा रहा हूं। पूजनीया मां, पूर्वाश्रम से जुड़े सदस्यों से भी अपील है कि लॉकडाउन का पालन करते हुए कम से कम लोग संस्कार में रहें। पूज्य पिताजी को विनम्र श्रद्धांजलि। लॉकडाउन के बाद दर्शनार्थ आऊंगा।

 

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