केंद्र कर्मियों को महंगा पड़ गया लॉकडाउन के दौरान 'घर बैठना', अभी तक नहीं निकल पा रहा कोई हल

Mar 08, 2021
Source: www.amarujala.com

कोविड-19 के दौरान सामने आई एक परेशानी केंद्र सरकार के कर्मियों को महंगी पड़ रही है। अब स्थितियां सामान्य हो रही हैं, लेकिन वह परेशानी अभी तक कर्मियों का पीछा नहीं छोड़ रही। केंद्र सरकार के अनेक मंत्रालयों और विभागों में बहुत से कर्मी ऐसे हैं, जो लॉकडाउन के दौरान कार्यालय में नहीं आ सके थे। अब उनकी उपस्थिति को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। किसी के हाजिरी रजिस्टर में अनुपस्थिति लगी है, तो किसी का वेतन कट गया है। इसे लेकर पहले भी डीओपीटी से दिशा-निर्देश जारी हुए हैं, लेकिन मामला नहीं सुलझ सका।

एक मार्च को डीओपीटी ने दोबारा से निर्देश जारी किए हैं। इनमें ये बात मान ली गई है कि डीओपीटी द्वारा पहले से जारी गाइडलाइंस में उन सभी दिक्कतों को नहीं छुआ जा सका है, जो कोविड-19 के दौरान सरकारी कर्मियों ने झेली थी। अब कहा गया है कि उस समय की उपस्थिति से जुड़े केसों का निपटारा तत्कालीन परिस्थितियों के अनुसार कर दिया जाए। हालांकि इस मामले में पहले से जारी निर्देशों को ध्यान में रखना होगा।

गत वर्ष जब कोविड-19 महामारी का प्रकोप शुरू हुआ था, तो केंद्र सरकार ने पूरे देश में लॉकडाउन लगा दिया था। अधिकांश कार्यालयों में 'वर्क फ्रॉम होम' की इजाजत दी गई थी। लॉकडाउन खत्म होने के बाद जब कर्मचारी अपने कार्यालय में लौटे तो उनकी उपस्थिति का झंझट शुरू हो गया। उस वक्त केंद्रीय गृह मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय ने ऐसे मामलों का निपटारा करने के लिए गाइडलाइंस जारी की थी।

वे कर्मचारी जो अपनी ड्यूटी के चलते मुख्यालय से बाहर गए हुए थे और बाद में ट्रांसपोर्ट सुविधा बंद होने के कारण वापस नहीं लौट सके, उनके केस हल करने के लिए एक सामान्य नियम बनाया गया। ऐसे कर्मियों के लिए कहा गया था कि यदि उन्होंने ऐसे मामले की सूचना अपने मुख्यालय को किसी भी माध्यम से दी है तो उस समय को 'वर्क फ्रॉम होम' के तहत काउंट किया जाएगा।

ऐसे सरकारी कर्मी जो लॉकडाउन लागू होने से पहले ही छुट्टी पर चल रहे थे और उन्हें लॉकडाउन में वापसी करनी थी तो वे भी ट्रांसपोर्ट बंद होने के कारण अपने मुख्यालय नहीं पहुंच सके। इसमें भी यही कहा गया था कि उन्होंने इसकी सूचना दी है तो उनका केस भी वर्क फ्रॉम केस में शामिल कर लिया जाए। अगर उनका कोई मेडिकल केस रहा है तो उन्हें नियमानुसार दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे।

अनेक ऐसे कर्मी भी थे जो शुक्रवार को अपने घर चले गए थे और 23 मार्च को सोमवार के दिन वे अपने कार्यालय में नहीं पहुंच सके। वजह, परिवहन के साधन बंद थे। ऐसे केसों में भी उन्हें छूट दी गई थी। कुछ मंत्रालयों में ऐसे केस भी सामने आए हैं कि कोई कर्मचारी लॉकडाउन से पहले छुट्टी पर गया था और उसे लॉकडाउन पीरियड में ज्वाइन करना था, लेकिन वह ट्रांसपोर्ट सुविधा न होने के कारण कार्यालय नहीं पहुंच सका। उसकी बाकी छुट्टियां भी लॉकडाउन में खत्म हो गई। ऐसे में वह कर्मी अपनी छुट्टियों को समायोजित कराना चाहता है।

इसके लिए डीओपीटी ने कहा था, इस स्थिति को नहीं माना जाएगा, लेकिन किसी दुर्लभ केस में अथॉरिटी को इस बाबत फैसला लेने का अधिकार है। इन सबके बावजूद अनेक कर्मियों का मामला अभी तक नहीं सुलझ सका है। अब डीओपीटी ने नए सिरे से दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं। इनमें कहा गया है कि सभी मंत्रालय और विभाग 28 जुलाई 2020 के पत्र को ध्यान में रखकर ऐसे मामलों का निपटारा करें।

लॉकडाउन में जैसी परिस्थितियां रही थीं, उनके मद्देनजर केसों को देखा जाए। अगर कोई कर्मी उक्त पत्र के तहत जारी निर्देशों के अंतर्गत मामला सुलझाने की योग्यता पूरी नहीं करता तो उस केस में लॉकडाउन और उसके चलते पैदा हुई दिक्कतों को ध्यान में रखकर सकारात्मक फैसला लिया जाए।

 

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