उत्तर प्रदेश कोर्ट ने पत्रकार सिद्दीकी कप्पन, तीन अन्य के खिलाफ शांति भंग के आरोप को रद्द किया

Jun 17, 2021
Source: https://hindi.livelaw.in/

मथुरा की एक अदालत ने मंगलवार को केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन और तीन अन्य व्यक्तियों के खिलाफ शांति भंग के आरोपों के तहत दर्ज मामले के संबंध में कार्यवाही को रद्द कर दिया है। पत्रकार कप्पन को हाथरस की घटना के मद्देनज़र सामाजिक रूप से अशांति पैदा करने के लिए कथित आपराधिक साजिश रचने के आरोप में 5 अक्टूबर को यूपी पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया था। मंट के सब डिविजनल मजिस्ट्रेट राम दत्त राम ने सीआरपीसी की धारा 116 (6) के तहत निर्धारित छह महीने की निर्धारित अवधि के भीतर पुलिस द्वारा कप्पन के खिलाफ जांच पूरी करने में विफल रहने के कारण शांति भंग के आरोप को रद्द किया है।

दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 116(6) के अनुसार, "इस धारा के तहत जांच शुरू होने की तारीख से छह महीने की अवधि के भीतर जांच पूरी की जाएगी और अगर इस तरह की जांच पूरी नहीं हुई है तो इसके तहत कार्यवाही उक्त अवधि की समाप्ति पर समाप्त हो जाएगी, जब तक कि विशेष रूप से देरी के कारणों को लिखित रूप में दर्ज न किया जाए। अन्यथा मजिस्ट्रेट निर्देश दे कि जहां किसी व्यक्ति को ऐसी जांच के लिए हिरासत में रखा गया है, उस व्यक्ति के खिलाफ कार्यवाही जब तक कि समाप्त न हो जब तक कि वह हिरासत में ऱखा जाए है। यानी छह महीने की अवधि की समाप्ति पर कार्यवाही समाप्त न की जाए।"

सिद्दीकी कप्पन को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 151 (संज्ञेय अपराधों को रोकने के लिए गिरफ्तारी), 107 (अन्य मामलों में शांति बनाए रखने के लिए सुरक्षा) और 116 (सूचना की सच्चाई की जांच) के तहत आरोपों से मुक्त कर दिया गया है। पृष्ठभूमि आरोपी [अतीकुर रहमान, मसूद अहमद और आलम और सिद्दीकी कप्पन] को हाथरस जाते समय उपरोक्त आरोपों के तहत मान पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। आरोपियों को प्रारंभ में शांति भंग करने की आशंका के तहत गिरफ्तार किया गया और उन्हें सब डिविजल मजिस्ट्रेट की एक अदालत के समक्ष पेश किया गया, जिसने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

इसके बाद, उन पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया, जिसमें आरोप लगाया गया कि कप्पन और उनके सह-यात्री हाथरस सामूहिक बलात्कार-हत्या मामले के मद्देनजर सांप्रदायिक दंगे भड़काने और सामाजिक सद्भाव को बाधित करने की कोशिश कर रहे थे। कप्पन न्यायिक हिरासत में है। अप्रैल 2021 में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया से जुड़े आठ लोगों को कथित रूप से पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया से जोड़ा गया था, जिसमें इसके छात्रों के विंग लीडर केए रऊफ शेरिफ और केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन को शामिल किया गया था और उनके खिलाफ उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने एक अदालत में देशद्रोह, अपराधी साजिश, आतंकी गतिविधियों की फंडिंग और अन्य अपराध पर चार्जशीट दाखिल की।

अदालत, जो शांति भंग से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी, ने उन्हें सीआरपीसी की धारा 111 के तहत एक नोटिस जारी किया, जो किसी भी व्यक्ति के खिलाफ मजिस्ट्रेट के आदेश से संबंधित है, जिससे शांति भंग होने की संभावना है। आरोपियों को इसके बाद जेल में एक नोटिस दिया गया, जिसमें उनसे पूछा गया था कि उन्हें एक-एक लाख रुपये के निजी बॉन्ड भरने और इतनी ही समान राशि के दो जमानतदार पेश करने की शर्त पर जमानत क्यों न दी जाए।

आरोपियों उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों से इनकार किया और इसके बाद, चूंकि पुलिस छह महीने की निर्धारित अवधि में उनके मामले के समर्थन में सबूत पेश नहीं कर सकी, अदालत ने मंगलवार को आरोपियों को तकनीकी आधार पर आरोपमुक्त कर दिया।

सम्बंधित खबर केरल स्थित पत्रकार सिद्दीकी कप्पन ने मथुरा जिला न्यायालय के समक्ष एक नियमित जमानत याचिका दायर की है जिसमें जोर देकर कहा गया है कि आरोप पत्र में आवेदक के खिलाफ लगे आरोपों में बिना दस्तावेजों के समर्थन के अन्य कथित अपराधों से जोड़ने के लिए कुछ भी नहीं है।

जमानत आवेदन में कहा गया है कि विशेष रूप से जब आरोप पत्र में भी आरोपी के खिलाफ कोई सबूत नहीं है तो उसे यूएपीए के प्रावधान के बल पर जेल में रखना इसके दुरुपयोग के अलावा और कुछ नहीं है। हाल ही में सिद्दीक कप्पन की पत्नी, रिहाथ कप्पन ने एक पत्र लिखा है, जिसे एडवोकेट विल्स मैथ्यूज के माध्यम से भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना को संबोधित किया गया है और कप्पन की अस्पताल से रिहाई की मांग की है। पत्र में कहा गया है कि कप्पन (जो हाल ही में कोविड पाज़िटिव पाए गए हैं), बिना किसी गतिशीलता के मेडिकल कॉलेज अस्पताल, मथुरा की एक खाट में एक जानवर की तरह जंजीर में बंधे हुए हैं, और वह भोजन लेने, शौचालय जाने में पिछले 4 दिनों से अधिक से सक्षम नहीं है।

पत्र में लिखा गया है कि हेबियस कॉर्पस (कप्पन की रिहाई की मांग) की याचिका 06 अक्टूबर 2020 को दायर की गई थी, जिसे 09 मार्च 2021 को निपटाया जाना था, हालांकि, इसे 7 बार से अधिक सूचीबद्ध होने के बावजूद निपटाया नहीं गया था। पत्र में यह प्रार्थना की गई है कि 22 अप्रैल 2021 को दायर उल्लेखित आवेदन के निस्तारण तक मेडिकल कॉलेज अस्पताल से कप्पन को वापस मथुरा जेल में छोड़ने के लिए तत्काल कदम / आवश्यक आदेश पारित किए जाएं। केरल यूनियन ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट्स ( केयूडब्लूजे) ने हाल ही में चिकित्सा आपातकाल का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख करते हुए केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ( एम्स) या सफदरजंग अस्पताल, दिल्ली में स्थानांतरित करने की मांग की है।

केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (KUWJ) ने याचिका में कहा है कि 20 अप्रैल 2021 को कप्पन बाथरूम में गिर गया जिससे गंभीर चोटें आईं और बाद में उसका COVID -19 टेस्ट भी पॉजिटिव निकला। वर्तमान में वो मथुरा के एक अस्पताल में भर्ती है। यूपी सरकार ने आरोप लगाया है कि कप्पन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया से जुड़ा है और एक पत्रकार की आड़ में सांप्रदायिक दंगे भड़काने की कोशिश किया है। केयूडब्लूजे ने इसके बाद कप्पन की गिरफ्तारी और हिरासत को अवैध और असंवैधानिक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की।

इसके बाद, केयूडब्लूजे ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के साथ कप्पन के संबंधों को नकारते हुए एक अतिरिक्त हलफनामा दायर किया। केयूडब्लूजे ने कहा कि एक पत्रकार के रूप में कप्पन की समाज में मजबूत जड़ें हैं, और शायद वे पीएफआई सहित सभी क्षेत्रों के लोगों के संपर्क में आए हैं, और इसका मतलब यह नहीं है कि वह एक अपराधी है। किसी भी मामले में, पीएफआई एक प्रतिबंधित संगठन नहीं है, जैसा कि कहा गया है। केयूडब्ल्यूजे ने इस बात से इनकार किया है कि कप्पन का पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के साथ कोई संबंध है।

इस संबंध में, केयूडब्लूजे ने कहा कि यूपी सरकार ने दो हलफनामों में असंगत रुख अपनाया है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 28 अप्रैल को केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को उत्तर प्रदेश की मथुरा जेल से इलाज के लिए दिल्ली के एक सरकारी अस्पताल में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था। इस आदेश के अनुसार कप्पन को मथुरा जेल से एम्स, नई दिल्ली में स्थानांतरित कर दिया गया और 30 अप्रैल से इसका इलाज चल रहा है। हालांकि, नोटिस में आरोप लगाया गया है कि परिवार के किसी भी सदस्य या कप्पन के वकील को चिकित्सा स्थिति/उपचार की प्रगति के बारे में 7 मई, 2021 तक सूचित नहीं किया गया था ।
 

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