जलकुंभी की परेशानी झेल रहे वेटलैंड के लिए यूपी में चलेगा अभियान, जानें- क्या है सरकार की योजना
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लखनऊ [शोभित श्रीवास्तव]। उत्तर प्रदेश सरकार जलकुंभी की परेशानी झेल रहे वेटलैंड में न सिर्फ इन्हें हटाने के लिए बड़े स्तर पर अभियान चलाएगी, बल्कि कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए शैवाल को और बढ़ावा भी देगी। वेटलैंड में शैवाल की ऐसी प्रजातियां लगाई जाएंगी, जो कार्बन अधिक मात्रा में अवशोषित करती हैं। वन विभाग इसके लिए विस्तृत कार्ययोजना तैयार करने में जुट गया है।
उत्तर प्रदेश में दो हेक्टेयर से बड़े करीब सवा लाख वेटलैंड हैं। पेड़ पौधों की तुलना में शैवाल कई गुना अधिक कार्बन सोखने की क्षमता रखते हैं। यूं तो वेटलैंड में प्राकृतिक रूप से ही शैवाल होते हैं, लेकिन अब वन विभाग इनमें ऐसी प्रजातियां लगाने जा रहा है, जो पर्यावरण की दृष्टि से अधिक फायदेमंद हैं। शैवाल अपने आसपास के कार्बन उत्सर्जन और ग्रीनहाउस गैसों को सोखकर उन्हें पर्यावरण में जाने से रोकेंगे।
वन विभाग वेटलैंड में जलकुंभी की समस्या से निपटने के लिए और व्यापक अभियान चलाएगा। जलकुंभी से पानी में आक्सीजन की कमी हो जाती है। इससे अन्य जलीय वनस्पतियों व जीवों का दम घुटने लगता है। वेटलैंड में इसे मजदूर लगाकर निकाला जाता है। बड़े क्षेत्र में मशीनों के जरिये भी जलकुंभी निकाली जाती है। वन विभाग जलकुंभी निकालने के लिए बड़ा अभियान चलाकर वहां शैवाल के बीज डालेगी।
दरअसल, वेटलैंड में मौजूद शैवाल संतुलन को बनाए रखने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह पौधों से अलग करीब 60 फीसद आक्सीजन की आपूर्ति करते हैं और कार्बन को अपने अंदर सोखते हैं। इससे जलीय जीवों को जल के अंदर रहने का अनुकूल माहौल मिलता है। किसी तालाब से बदबू आने का आशय है कि वहां शैवाल नहीं हैं। शैवाल की उपयोगिता को देखते हुए वन विभाग इसे वेटलैंड में अधिक से अधिक लगाने के लिए कार्ययोजना बना रहा है। इसके अलावा सरकार प्रदूषण नियंत्रण के लिए हर साल बड़ी संख्या में पौधारोपण भी कर रही है। योगी सरकार ने इस साल 30 करोड़ पौधे लगाए हैैं। पेड़ कार्बन डाई आक्साइड को अवशोषित कर पर्यावरण को शुद्ध रखते हैं। 30 करोड़ पौधे भी आगे चलकर 8.83 लाख मीट्रिक टन कार्बन अवशोषित करेंगे।
पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज सिंह ने बताया कि प्रदूषण घटाने के लिए हर साल बड़ी संख्या में पौधारोपण किया जा रहा है। वेटलैंड का भी उपयोग अब कार्बन अवशोषित करने में किया जाएगा। पेड़-पौधों की तुलना में शैवाल कई गुना अधिक कार्बन अवशोषित करते हैं, इसलिए वेटलैंड में शैवाल को और बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही है।