Tesla: टेस्ला ऑटोपायलट के डायरेक्टर कैसे बने भारत के अशोक एल्लुस्वामी, एलन मस्क ने किया खुलासा

Jan 04, 2022
Source: https://www.amarujala.com

सार
दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक कार कंपनी Tesla (टेस्ला) के संस्थापक एवं सीईओ और दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क ने भारतीय मूल के इंजीनियर को अपनी 'ऑटोपायलट' टीम का मुखिया बनाया था।

विस्तार
दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक कार कंपनी Tesla (टेस्ला) के संस्थापक एवं सीईओ और दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क ने भारतीय मूल के इंजीनियर को अपनी 'ऑटोपायलट' टीम का मुखिया बनाया था। मस्क ने खुद ट्वीट कर यह जानकारी दी। बिना ड्राइवर के चलने वाली कार यानी ऑटोपायलट मस्क का ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है। मस्क के इस सपने को पूरा करने में भारतीय मूल के इसी इंजीनियर की बड़ी भूमिका रही है। मस्क ने बताया कि 'ऑटोपायलट' टीम के सबसे पहले कर्मचारी भारत के अशोक एल्लुस्वामी थे। और वे इस टीम के डायरेक्टर भी हैं।  


दरअसल, मस्क ने साल 2015 में ऑटोपायलट टीम तैयार करने के लिए इंजीनियों की भर्ती करने का ट्वीट किया था। इस ट्वीट में मस्क ने कहा था, "हमें हार्डकोर सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की जरूरत है। कार से जुड़ा अनुभव नहीं भी हो तो चलेगा। कृपया कोड सैंपल या अपने काम का लिंक मेल करें।" 


मस्क ने यह भी एलान किया था कि ऑटोपायलट प्रोजेक्ट के लिए इंटरव्यू वे खुद लेंगे और यह टीम सीधे उन्हें रिपोर्ट करेगी। अब उन्होंने बताया है कि इस ट्वीट के बाद उनकी टीम में चुने जाने वाले पहले शख्स अशोक एल्लुस्वामी थे। 

 

कौन है अशोक एल्लुस्वामी
टेस्ला में शामिल होने से पहले अशोक एल्लुस्वामी फॉक्सवैगन इलेक्ट्रॉनिक रिसर्च लैब और WABCO व्हीकल कंट्रोल सिस्टम से जुड़े थे। उन्होंने चेन्नई के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में इंजीनियरिंग की डिग्री ली है। वह कार्नेगी मेलन यूनिवर्सिटी से रोबोटिक्स सिस्टम डेवलपमेंट में मास्टर्स डिग्री भी ले चुके हैं।

ऑटोपायलट फीचर की खासियत
ऑटोपायलट का अर्थ है बिना ड्राइवर के कार चलना। ऑटोपायलट टेक्नोलॉजी कई अलग-अलग इनपुट के आधार पर काम करती है। मैप के लिए यह सीधे उपग्रह से जुड़ जाती है। कार सवार को कहां जाना है, इसे सिलेक्ट किया जाता है। इसके बाद रूट को चुना जाता है। 

जब कार ऑटोपायलट मोड पर चलती है तब सैटेलाइट के साथ उसे कार के चारों तरफ दिए गए कैमरा से भी इनपुट मिलता है। यानी कार के सामने या पीछे, दाएं या बाएं कोई चीज तो नहीं है। किसी चीज के मौजूद होने पर कार खुद ही दाएं या बाएं मुड़ जाती है या फिर रुक जाती है।

कार में कई सेंसर भी लगे होते हैं, जो सिग्नल को पढ़ते हैं और कार को सड़क में चलने में मदद करते हैं। ऑटोपायलट मोड में कार 112 किमी प्रति घंटा तक की रफ्तार तक पहुंच जाती है। हालांकि, इस टेक्नोलॉजी में कई बार सेंसर काम करना बंद कर देते हैं जिससे कार दुर्घटना का शिकार हो जाती है।

'दुनिया की सबसे कुशल टीम'
मस्क ने इंटरव्यू में यह भी कहा कि टेस्ला की ऑटोपायलट टीम बेहद कुशल है और इसमें दुनिया के कुछ सबसे कुशल लोग शामिल हैं। मस्क ने कहा, 'अंद्रेज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के निदेशक हैं। लोग अकसर मुझे बहुत श्रेय देते हैं। अंद्रेज को ज्यादा श्रेय दीजिए। टेस्ला आटो पायलट की एआइ टीम अत्यंत मेधावी है।


 

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