Delhi: कैसे घटेगा गाजीपुर में कूड़े का पहाड़, जब रोजाना बढ़ रहा कचरे का बोझ

Aug 08, 2022
Source: https://www.amarujala.com/

गाजीपुर लैंडफिल साइट पर ताजे कचरे का बोझ प्रतिदिन बढ़ रहा है। ताजे कचरे के निपटान के लिए यहां छह महीने से बंद पड़े वेस्ट टू एनर्जी प्लांट को जून में दोबारा शुरू किया गया। लेकिन यह अपनी पूरी छमता से काम नहीं कर रहा। प्रतिदिन इसकी 1300 मीट्रिक टन कचरा खपत करने में सक्षम है, लेकिन यह प्रतिदिन 700-1000 मीट्रिक टन से ज्यादा कचरा निपटान नहीं कर पाया है। इस तरह दिल्ली नगर निगम के सामने नवम्बर 2023 तक गाजीपुर लैंडफिल साइट को खत्म करने की बड़ी चुनौती है।

उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के पदभार संभालने के बाद दिल्लीवासियों में लैंडफिल साइटों के खत्म होने की उम्मीद बढ़ी है। उपराज्यपाल ने मई से अब तक दो बार गाजीपुर लैंडफिल साइट का दौरा किया, तीनों साइटों को 18 महीने में (नवम्बर 2023 तक) समाप्त करने के लिए एमसीडी को निर्देश दिया है। इसके लिए दिल्ली की सभी सरकारी एजेंसियों को साथ आकर सहयोग देने के लिए कहा है।

गाजीपुर लैंडफिल साइट पर जमा पुराने कचरे को मिट्टी में तब्दील करने के लिए ट्रॉमेल ट्रॉमेल मशीनें लगाई गई हैं। ताजा कचरे के निपटान के लिए 1300 मीट्रिक टन छमता का वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाया गया है, लेकिन यह अभी करीब 76 फीसदी छमता से काम रहा है।

नया कचरा बढ़ा रहा लैंडफिल साइट का बोझ

गाजीपुर लैंडफिल साइट पर मौजूदा समय प्रतिदिन करीब 2200-2400 मीट्रिक टन ताजा कचरा आ रहा है। इस अनुपात में छह महीने में करीब 432,000 मीट्रिक टन कचरा यहां आया है। एमसीडी ने पिछले छह महीने में (1 फरवरी से 31 जुलाई) करीब 284,880 मीट्रिक टन कचरे का निपटान किया है। इस तरह यहां छह महीने में करीब आधा कचरे का निपटान ही हुआ है। बाकी कचरा साइट का बोझ घटना के बजाय बढ़ा रहा है।

पूर्वी दिल्ली से नोएड़ा तक, कूड़े का पहाड़ कर रहा बीमार

गाजीपुर लैंडफिल साइट सालों से पूर्वी दिल्ली के साथ-साथ नोएडा को बीमार कर रहा है। लैंडफिल साइट के पास के इलाकों के रहने वाले लोग सांस संबंधित, त्वचा संबंधित बीमारियों से जूझ रहे हैं। हवा, पानी दोनों इसके कारण दूषित हैं।

आए दिन लगती है कूड़े में आग

लैंडफिल साइट पर आए दिन कूड़े में आग लगती है। धुंआ न पूरी पूर्वी दिल्ली और नोएडा के सेक्टर-1, सेक्टर 12-22 और रात को यमुना एक्सप्रेस-वे तक लोगों को दमघोंटू वातावरण का एहसास कराता है। पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर, घड़ौली, दल्लूपुर, खिचड़ीपुर जैसे गांव, इसके आस पास की कॉलोनियां धुएं से प्रभावित रहती हैं।

कूड़े का पहाड़ दरकने के मामले

भलस्वा, गाजीपुर लैंडफिल साइट पर कूड़ा दरकने का मामला आए दिन सामने आता रहता है। हाल ही में भलस्वा में हादसा हुआ था। पहले गाजीपुर में बड़ा हादसा हुआ था, जिसके कारण लोगों की जान भी गई थी।

दमकल व पानी छिड़काव की मशीनें बढ़ाने की मांग

गाजीपुर लैंडफिल साइट पर मिट्टी को दरकने से बचाने के लिए यहां निरंतर पौधरोपण हो रहा है। यहां पानी का छिड़काव भी होता है। लेकिन उपराज्यपाल ने एमसीडी को यहां पर पर्याप्त पानी छिड़काव करने के लिए मशीनों की संख्या बढ़ाने के लिए कहा है। इसके अलावा आग बुझाने के लिए स्थायी दमकल लगाने के लिए भी कहा है। लैंडफिल साइट के चारों तरफ बाउंड्री बननी चाहिए। फिलहाल एमसीडी के लिए यह सबकुछ किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं।

 

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