चार साल बीते, आइसीयू का अब भी इंतजार

Jun 01, 2021
Source: https://m.jagran.com/

धनंजय वर्मा, साहिबाबाद :

राजेंद्र नगर सेक्टर-दो में वर्ष 2017 में 56 करोड़ रुपये के खर्च से राज्य कर्मचारी बीमा निगम (ईएसआइसी) की ओर से 100 बेड का अस्पताल शुरू किया गया। अस्पताल में चार साल बाद भी 10 बेड का आइसीयू तक नहीं बनाया जा सका। आइसीयू बना होता तो कोरोना काल में लोगों की जान बचाई जा सकती थी।

जनवरी 2017 में साहिबाबाद के राजेंद्र नगर सेक्टर दो में ईएसआइसी अस्पताल शुरू किया गया। 100 बेड के लिए स्टाफ व अन्य सुविधाएं मिलीं। अस्पताल में 200 बेड की व्यवस्था होनी थी जो अभी तक नहीं हो सकी। अस्पताल में कुल बेडों की संख्या का 10 फीसद बेड आइसीयू का होना चाहिए। अस्पताल में अभी तक आइसीयू बेड शुरू नहीं हो सका है, जबकि अस्पताल में 10 वेंटिलेटर, दो एनेस्थीसिया, एक चेस्ट स्पेशलिस्ट समेत सौ से अधिक अन्य स्टाफ है। जिले में चार लाख से अधिक ईएसआइसी कार्ड धारक हैं। इन कार्ड धारकों पर 15 लाख से अधिक आश्रित भी हैं। आइसीयू न होने से इन लोगों को परेशानी भी होती है। इंटरनेट मीडिया पर लोग जता रहे विरोध : इएसआइसी अस्पताल में बीती 19 अप्रैल से कोरोना संक्रमित मरीज भर्ती होना शुरू हुए। अस्पताल में 10 वेंटिलेटर थे। आइसीयू न होने से इन बेड का सदुपयोग नहीं हो सका। इएसआइसी में ही 20 अप्रैल से पांच मई के बीच 28 कोरोना संक्रमितों की मौत हो गई। यदि आइसीयू बन गया होता और वेंटिलेटर का सदुपयोग होता तो शायद मरीजों की जान बचाई सकती थी। इस पर सोमवार को दैनिक जागरण में प्रकाशित 'मरीज मरते रहे पर 10 वेंटिलेटर का नहीं किया गया उपयोग' खबर को लोग फेसबुक, ट्वीटर पर डालकर अव्यवस्थाओं पर सवाल खड़े कर रहे हैं। 

फेडरेशन आफ एओए के संरक्षक आलोक कुमार ने ट्वीट किया है। उनका कहना है कि कोविड के खतरे के बावजूद तैयारी नहीं की गई, जिससे मौतें हुई। बीते वर्ष आइसीयू बनाने के काम शुरू किया गया था, लेकिन कोरोना संकट के चलते काम बंद हो गया। कोरोना संकट खत्म होते ही दोबारा आइसीयू बनाने का काम शुरू होगा। बीते वर्ष लेवल-1 कोविड अस्पताल बनाया गया था। इस बार लेवल-2 कोविड अस्पताल प्रशासन की ओर से बना दिया गया था। अस्पताल में आइसीयू की व्यवस्था न होने की जानकारी प्रशासन को दी गई थी।