Monkeypox Virus: आखिर मंकीपाक्‍स किस चरण में है जानलेवा, जानें- इस खतरनाक बीमारी के चार स्‍टेज

Jul 27, 2022
Source: https://www.jagran.com/

नई दिल्‍ली, जेएनएन। Monkeypox Alert: देश में दिल्ली व केरल में मंकीपाक्‍स (Monkeypox Virus) के मरीजों के मिलने के बाद देश के कई राज्‍यों में हड़कम्‍प मच गया है। इसके बाद स्‍वास्‍थ्‍य विभाग अलर्ट (Monkypox Alert in Bihar) मोड में है। कई राज्‍यों में स्वास्थ्य विभाग ने इस संक्रमण को लेकर गाइडलाइन जारी की है। इसके पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया है। मंकीपाक्स एक वायरस है, जो संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है। संक्रमित व्यक्ति में चेहरे, हथेलियों, पैरों, पीठ व पैर के तलवे में चकत्ते बन जाते हैं। बीमारी को लेकर सावधानी बेहद जरूरी है। इसके लक्षण दिखें तो तुरंत डाक्‍टर की सलाह लें। 1- संक्रामक रोग विशेषज्ञ और यशोदा हास्पिटल में डायरेक्‍टर डाक्‍टर आरके मणि के मुताबिक यह बीमारी मंकी पाक्स नाम के वायरस से होती है। मंकी पाक्‍स आर्थोपॉक्स वायरस परिवार का हिस्सा है। इसमें भी चेचक की तरह शरीर पर दाने हो जाते हैं। दरअसल, चेचक को फैलाने वाला वैरियोला वायरस भी आर्थोपाक्स फैमिली का ही हिस्सा है। हालांकि, इसका चेचक से कोई लेना-देना नहीं है। उन्‍होंने कहा कि इसके लक्षण चेचक की तरह गंभीर नहीं, बल्कि ये हल्के होते हैं। यह बहुत कम मामलों में ही घातक होता है। इसके अलावा चिकन पाक्स की तरह शरीर में रैशेज, दाने बन जाते हैं जो पूरे शरीर पर दिखने लगते हैं। स्माल पाक्स और चिकन पाक्स में रैशेज शरीर के हर हिस्से में बनते हैं, तलवे और हथेली में नहीं बनते। मंकी पाक्स में हथेली और तलवे में भी बनते हैं। उन्‍होंने कहा कि यह वायरस इंफेक्‍शन है। इंसान को संक्रमित होने पर फीवर, गले में खराश, सांस में दिक्कत होती है। 

2- डाक्‍टर मणि ने कहा इसको चार स्‍टेज के जरिएआसानी से समझा जा सकता है। पहली स्टेज पर कोई व्यक्ति अगर संक्रमित होता है तो वह लक्षण महसूस करना शुरू कर देता है। लक्षण अपर रेस्पिरेटरी सिस्टम से जुड़े होते हैं और काफी हद तक बुखार जैसे लगते हैं। इस स्‍टेज में शरीर में दर्द और थकान महसूस हो सकती है। दूसरे स्‍टेज में बुखार के साथ ही त्‍वचा पर थोड़ी संख्या में कुछ गांठ दिखनी शुरू हो जाती हैं। तीसरे स्‍टेज में पैरों, चेहरे, मुंह या प्राइवेट पार्ट्स पर होने वाले दानों या चकत्ते में बदल सकती है। चौथी स्‍टेज पर ये दाने या चकत्ते उभर कर बडे़ दाने हो जाते हैं या कुछ ऐसे पस्ट्यूल में बदल जाते हैं जिनमें मवाद भरी होती है।

 

3- उन्‍होंने कहा कि मंकीपाक्स एक कान्टैक्ट डिजीज है। यह मुख्यतौर पर तीन तरह से फैलता है। पहला, किसी संक्रमति व्‍यक्ति के त्‍वचा के संपर्क में आने से संक्रमण का खतरा रहता है। मतलब जब कोई एक व्यक्ति संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आता है। दूसरा, संक्रमित व्यक्ति के शरीर से निकलने वाले थूक, छींक, पसीने आदि से ये बीमारी फैलती है। तीसरा रैशेज के संपर्क में आने से भी मंकीपाक्स बीमारी के फैलने की आशंका होती है। उन्‍होंने कहा कि खून से मंकीपाक्‍स बीमारी फैलने के सबूत नहीं मिले हैं। बाकी शरीर से निकलने वाले हर तरह के फ्लूइड से यह बीमारी फैलती है। तीसरा, यह एक जूनोटिक बीमारी है। मतलब जानवरों से इंसान में फैलने वाली बीमारी।  

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने किया अलर्ट

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन WHO के मुताबिक मंकी पाक्स एक दुर्लभ बीमारी है। इसका संक्रमण कुछ मामलों में गंभीर हो सकता है। इस वायरस के दो स्‍ट्रेन्‍स हैं- पहला कांगो स्ट्रेन और दूसरा पश्चिम अफ्रीकी स्ट्रेन। दोनों ही पांच साल से छोटे बच्चों को अपना शिकार बनाते हैं। कांगो स्ट्रेन की मृत्यु दर 10 फीसद और पश्चिम अफ्रीकी स्ट्रेन की मृत्यु दर एक फीसद है। ब्रिटेन में पश्चिम अफ्रीकी स्ट्रेन की पुष्टि हुई है। WHO के मुताबिक मंकीपाक्स के लक्षण संक्रमण के 5वें दिन से 21वें दिन तक आ सकते हैं। इसके शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे होते हैं। इनमें बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, कमर दर्द, कंपकंपी छूटना, थकान और सूजी हुई लिम्फ नोड्स शामिल हैं। इसके बाद चेहरे पर दाने उभरने लगते हैं, जो शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैल जाते हैं। संक्रमण के दौरान यह दाने कई बदलावों से गुजरते हैं और आखिर में चेचक की तरह ही पपड़ी बनकर गिर जाते हैं। 

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