यमुना में प्रदूषण की गंभीर स्थिति से NGT नाराज, नुकसान के लिए तय होगी अधिकारियों की जवाबदेही

Sep 01, 2022
Source: https://www.jagran.com/

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। यमुना की सफाई की संबंध में तमाम निर्देश और स्पष्ट रोडमैप के बाद भी यमुना की हालत से व्यथित एनजीटी अब पर्यावरण को हुए नुकसान के लिए अधिकारियों की जवाबदेही तय करेगा।

यमुना सफाई से जुड़ी एक याचिका पर चेयरपर्सन आदर्श कुमार गोयल, न्यायिक सदस्य सुधीर अग्रवाल की पीठ ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि यह चिंता का विषय बना हुआ है कि स्पष्ट रोडमैप और निर्देशों के बावजूद भारत की राजधानी में बहने वाली नदी साफ रखने में अधिकारी सक्षम नहीं हैं।

आदेश के बाद भी यमुना में गिर रहा है नालों का पानी

पीठ ने कहा कि पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य को लगातार हो रहे नुकसान को कैसे नजरअंदाज किया जाए यह किसी की समझ से परे है। यमुना नदी के पानी की गुणवत्ता और डीपीसीसी की वेबसाइट पर पोस्ट किए गए आंकड़े चौंकाने वाले है। इसमें दर्शाया गया है कि पिछले आदेश के एक साल बाद भी यमुना में नालों का पानी गिर रहा है।

यमुना की सफाई को लेकर मांगी प्रगति रिपोर्ट

यह उच्च स्तर पर दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के अधिकारियों की पर्याप्त कार्रवाई और निगरानी की कमी को दर्शाता है। तीनों राज्यों को उच्च स्तर पर स्थिति की समीक्षा करनी होगी और सुधारात्मक कार्रवाई करनी होगी। पीठ ने कहा कि वे पिछले एक वर्ष में यमुना की सफाई को लेकर की गई प्रगति पर तथ्यात्मक स्थिति पेश करें।

इन रिपोर्टों के आधार पर संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही और साथ ही पर्यावरण को हुए नुकसान के मुआवजे के लिए वित्तीय दायित्व भी तय किया जा सकता है। पीठ ने दिल्ली के मुख्य सचिव को नवीनतम तथ्यात्मक स्थिति का पता लगाने और दो महीने के भीतर रिपोर्ट ईमेल करने का निर्देश दिया।

NGT ने कहा- प्रशासन की विफलता पर क्यों न दंडात्मक कार्रवाई की जाए?

पीठ ने कहा कि इसमें स्पष्टीकरण दें कि अधिकारियों की स्पष्ट विफलता के लिए जवाबदेही तय करने के दंडात्मक उपाय क्यों नहीं किए गए। साथ ही हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों को रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।

जल शक्ति मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में इस ट्रिब्यूनल की ओर से गठित समिति मामले में नवीनतम स्थिति रिपोर्ट भी दाखिल कर सकती है। मामले में आगे की सुनवाई चार नवंबर को होगी।

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