आयु निर्धारण को लेकर हाईकोर्ट का अहम फैसला, स्कूल में दर्ज आयु ही मानी जाएगी प्रथम प्रमाण

Aug 13, 2021
Source: https://zeenews.india.com/

मो. गुफरान/प्रयागराज: आयु निर्धारण को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अहम फैसला दिया है. हाईकोर्ट ने कहा स्कूल में दर्ज आयु ही प्रथम प्रमाण मानी जायेगी. स्कूल प्रमाण पत्र न होने पर निकाय का जन्म प्रमाणपत्र मान्य होगा. अगर दोनों ही नहीं हैं तो मेडिकल जांच से तय उम्र मान्य होगी. कोर्ट ने बाल संरक्षण गृह में निरुद्धि के खिलाफ बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज कर दिया. 

क्या है पूरा मामला
दरअसल, अवैध निरुद्धि से मुक्त कराने की मांग को लेकर वंदना उर्फ वंदना सैनी व विवेक उर्फ विवेक कुमार बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की गई थी.  याची के परिवार वालों ने 23 दिसंबर 20 को अपहरण ,षडयंत्र व पाक्सो एक्ट के तहत फतेहपुर के मलवा थाने में एफआईआर दर्ज कराई. जिसमें कहा गया लडकी 16 साल दो माह की है. लड़की बरामद की गई तो उसने बयान में कहा कि वह 17 साल की है. वहीं, स्कूल प्रमाणपत्र में जन्म तिथि 2 अप्रैल 2004 दर्ज है. जिससे यह सिद्ध है कि वह नाबालिग है.

याची का कहना था कि दोनों ने गुजरात के एक मंदिर मे शादी कर ली है. मेडिकल जांच रिपोर्ट के अनुसार याची की आयु 19 साल है. जस्टिस बच्चू लाल और जस्टिस शमीम अहमद की खंडपीठ ने किशोर न्याय कानून व सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि घटना के समय वह नाबालिग थी. इसलिए संरक्षण गृह में रखने का आदेश विधि सम्मत व कमेटी को संरक्षण दिया जाना जरूरी है.

कोर्ट ने प्रयागराज के खुल्दाबाद बाल संरक्षण गृह में पीड़िता को रखने के बाल कल्याण समिति के आदेश को वैध करार दिया. साथ ही मेडिकल जांच रिपोर्ट के आधार पर बालिग होने के नाते बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका खारिज कर दी. 

 

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