नोएडा में अपैरल पार्क बनने के बाद कम से कम 5 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। जिसमे से 70 प्रतिशत महिलाओं को इसका लाभ मिलेगा।
नोएडा में अपैरल पार्क बनने के बाद कम से कम 5 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। जिसमे से 70 प्रतिशत महिलाओं को इसका लाभ मिलेगा।
परिचयः ललित ठुकराल ‘इ ए सी चेयरमैन’
ललित ठुकराल ‘इ ए सी चेयरमैन’ अपैरल एक्सपोर्ट प्रमोशन कॉउन्सिल, रेडीमेड गारमेंट्स के संयोजक - यू पी एक्सपोर्ट प्रमोशन कॉउंसिल, बोर्ड ऑफ गवर्नर - अपैरल ट्रेनिंग डिजाइन सेण्टर, अध्यक्ष- नोएडा अपैरल एक्सपोर्ट क्लस्टर, डायरेक्टर - ट्वेन्टी सेकण्ड माइल्स। ललित ठुकराल दिल्ली के ही रहने वाले हैं इनका जन्म सन् 1957 में हुआ था। इनके परिवार में इनकी पत्नी के अलावा एक बेटी एवं एक बेटा है। बेटी की शादी हो चुकी है तथा बेटे निखिल ठुकराल अपने पिता के साथ ही कम्पनी सँभालते हैं। निखिल ठुकराल देश के प्रतिष्ठित संस्थान निफ्ट से फैशन डिजाइनर हैं। ललित ठुकराल अपैरल एक्सपोर्ट प्रमोशन कॉउन्सिल के इ ए सी चेयरमैन हैं, यूपी एक्सपोर्ट प्रमोशन कॉउंसिल के रेडीमेड गारमेंट्स केसंयोजक है तथा अपैरल ट्रेनिंग डिजाइन सेण्टर के बोर्ड ऑफ गवर्नर हैं तथा नोएडा अपैरल एक्सपोर्ट क्लस्टर के अध्यक्ष हैं। उनके इतने सारे महत्वपूर्ण पदों से उनकी काबलियत का अन्दाजा सहज ही लगाया जा सकता है।
ललित ठुकराल 'इ ए सी चेयरमैन'
नोएडा को ‘‘सिटी ऑफ अपैरल’’ का दर्जा दिलवाने में ललित ठुकराल का महत्वपूर्ण योगदान है। ललित ठुकराल ट्वेन्टी सेकण्ड माइल्स के डायरेक्टर है। जो की महिलाओं के आधुनिक फैशन के कपड़ों एवं एक्सेसरीज को बनाती है तथा उनका निर्यात करती है। उनसे उद्योग विहार के मुख्य संपादक सत्येन्द्र सिंह के साथ बातचीत के प्रमुख अंश आपके सम्मुख प्रस्तुत हैं। ललित जी आप इतने अधिक महत्वपूर्ण पदों पर हैं कैसे आप इसके लिए समय निकाल पाते हैं? जबकि आपको अपना बिजनेस भी देखना होता है।ये लोगों का प्यार है जिन्होंने हमें इन महत्वपूर्ण पदों पर बैठाया है। मेरी पूरी कोशिश रहती है की मैं सभी पदों की जिम्मेवारी को निभा पाऊँ तथा उस पर खरा उतर सकूं। मेरे बेटे निखिल ने मेरा बिजनेस संभाल लिया है जिसकी वजह से मैं सभी जिम्मेवारियों को बखूबी निभा पा रहा हूँ।
बिजनेस में आपको सर्वप्रथम किन किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है? क्या सरकारी विभागों का सहयोग मिलता है?
हमें सबसे अधिक सरकारी विभागों में ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है जिसमे से सबसे अधिक भ्रष्ट विभाग श्रम विभाग है जहाँ के अधिकारी व्यापारियों एवं उद्योगपतियों के साथ सिर्फ शोषण करते हैं। तथा अपने निजी स्वार्थ के लिए उनका उत्पीड़न करते हैं। बाकी सभी विभागों में हालाँकि पहले की अपेक्षा काफी सुधार हुआ है लेकिन अभी थोड़ा है, थोड़े की और जरुरत है।
श्रम विभाग से आप काफी खफा दिख रहे हैं ऐसा क्या परेशान करते है वे लोग? क्या उनके शासन में बैठे अधिकारी भी नहीं सुनते हैं?
श्रम विभाग के अधिकारी फर्जी यूनियन के नेताओं एवं कुछ तथाकथित दलालों के साथ मिलकर कारखानों के ऊपर फर्जी मुकदमे लगवाते हैं और कारखाना मालिकों का शोषण करते हैं। अभी हाल ही में हमारे एक सदस्य की कम्पनी के खिलाफ इन लोगों ने इसी तरह साजिश करके पहले उसकी कम्पनी के खिलाफ एक पक्षीय आदेश पारित किया फिर तहसील से एक करोड़ सत्तर लाख रुपये की आर सी जारी की फिर जब उसने पुनः सुनवाई का प्रार्थना पत्र दिया तो इन्होने सुनवाई नहीं की तथा उसके मालिक को सलाखों के पीछे भिजवा दिया। इस सम्बन्ध में जब शासन से बात की गयी तब शासन के हस्तक्षेप से जिलाधिकारी के बीच में पड़ने के बाद उसका पुनः सुनवाई का प्रार्थना पत्र स्वीकार किया गया तथा उसे छोड़ा गया। इस मामले में जिलाधिकारी बी एन सिंह का मै बहुत आभारी हूँ जिन्होंने मामले का तुरन्त संज्ञान लेते हुए एक आदेश जारी किया की अब किसी भी मामले में यदि एक पक्षीय आदेश किया जाता है तो उस मामले में आर सी नहीं जारी की जायगी तथा उन्होंने अपने यहाँ लम्बित सभी आर सी को वापस कर दिया तथा तहसील से भी सभी आर सी वापस मंगवा ली हैं।
इस समस्या के सम्बन्ध में आपका क्या सुझाव है जो की आप शासन तक पहुँचाना चाहते हैं?
इस सम्बन्ध में मुझे सिर्फ यही कहना है की ऐसे अधिकारीयों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही होनी चाहिए तथा अवैध यूनियन एवं अवैध लोगों के ऊपर रोक लगाई जानी चाहिए ताकि व्यापारियों का शोषण रुक सके। जब तक अधिकारीयों, अवैध यूनियन के नेताओं का गठजोड़ नहीं टूटेगा तब तक श्रम विभाग में शोषण होता रहेगा। मैं अब जल्द ही मुख्यमंत्री से मिलकर उनको पूरे तथ्यों की जानकारी दूँगा और हमें पूरी उम्मीद है की मुख्यमंत्री जरूर कड़ी कार्यवाही करेंगे।
इसके अलावा और किन विभागों में आप सुधार की जरूरत समझते हैं ?
कर्मचारी राज्य बीमा निगम, भविष्य निधि, अग्निशमन विभाग तथा प्रदूषण नियंत्रण विभाग में पहले की अपेक्षा काफी सुधार हुआ है काफी कार्य ऑनलाइन होने से व्यापारियों को काफी सहूलियत हो गयी है लेकिन अभी भी पूरी तरह से पेपर लेस करने के लिए काफी कुछ करने की जरुरत है। हालाँकि सरकार इस दिशा में प्रयासरत है बस उसे सही दिशा देने की जरुरत है ताकि व्यापारियों के साथ-साथ श्रमिकों को भी इसका लाभ मिल सके।
नोएडा को ‘‘सिटी ऑफ अपैरल’’ का दर्जा दिलवाने में आपका महत्वपूर्ण योगदान है आप इस सम्बन्ध में क्या कहना चाहते हैं ?
हमने इन्वेस्टर सम्मिट में मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण के सी इ ओ अरुण वीर सिंह के द्वारा ओ डी ओ पी के तहत एम ओ यू पर हस्ताक्षर करवाए। इसमें यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण के सी इ ओ अरुण वीर सिंह का भी बहुत बड़ा योगदान है।
नोएडा को ‘‘सिटी ऑफ अपैरल’’ का दर्जा क्यों मिला है जबकि यहाँ तो और भी बहुत इंडस्ट्रीज हैं? जैसे आई टी कम्पनियाँ भी बहुत हैं?
नोएडा में आई टी कम्पनियों में एक लाख से भी कम कर्मचारी कार्य करते है जबकि अकेले रेडीमेड गारमेंट इंडस्ट्रीज में लगभग 10 लाख कर्मचारी सीधे सीधे कार्य करते है जबकि लाखों लोग इनसे जुड़े कुटीर उद्योगों के
माध्यम से जुड़े हुए हैं। नोएडा से 18 हजार करोड़ का निर्यात हर महिने रेडीमेड गारमेंट्स उद्योग से ही होता है। इसी को ध्यान में रखते हुए एक विशाल ‘एपैरल पार्क’ को सरकार ने यमुना एक्सप्रेस वे के किनारे बनाने की मंजूरी दे दी है।
यह‘‘अपैरल पार्क’’ कितना बड़ा होगा, तथा इस ‘‘अपैरल पार्क’’ के आने से क्या क्या फायदे होंगे तथा रोजगार के बढ़ने की क्या संभावनाएं हैं?
यह अपैरल पार्क 280 एकड़ में विकसित किया जा रहा है तथा इसके आने से आसपास के एरिया में, जेवर में बहार आ जाएगी तथा आसपास के लोगों को रोजगार मिलेंगे। इस पार्क की वजह से लगभग 5 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा तथा अप्रत्यक्ष रूप से लाखों लोगों को इसका लाभ मिलेगा। 70 प्रतिशत रोजगार तो सिर्फ महिलाओं को ही मिलेगा क्योंकि इस इंडस्ट्री में महिलाओं की संख्या अधिक है।
वर्तमान में ‘‘अपैरल पार्क’’ की क्या स्थिति है?
ओ डी ओ पी के तहत शासन ने 250 करोड़ रुपये निर्धारित किये हैं। इस प्रोजेक्ट की डी पी आर जमा कर दी गयी है तथा हमने मुख्यमंत्री से इस प्रोजेक्ट के लिए 4000 करोड़ की माँग रखी है। यह प्रोजेक्ट बहुत ही सफल
प्रोजेक्ट होगा।
अभी हाल ही में एक श्रमिक यूनियन हिन्द मजदूर सभा जब नोएडा में हड़ताल करने जा रही थी तब उसे खत्म करवाने में आपने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस सम्बन्ध में आप क्या कहना चाहते हैं ?
हाँ, हमने उस हड़ताल को रुकवाने के लिए पूरी ताकत लगा दी थी क्योंकि हमें मालूम है की एक दिन की हड़ताल से व्यापारियों का तो नुक्सान होता ही है साथ में श्रमिक भाइयों का भी बहुत नुकसान होता है खासतौर पर दिहाड़ी श्रमिकों का। साथ ही सरकार को भी करोड़ों रुपये के राजस्व की हानि उठानी पड़ती, इसलिए हमने प्रशासन एवं यूनियन के बीच मध्यस्थता करते हुए इस हड़ताल को रुकवाया था ताकि शहर में अमन एवं शान्ति बनी रहे तथा शहर का माहौल खराब न हो। कारखाने चलने चाहिए तभी रोजगार मिलेगा। तभी लोगों के घरों में चूल्हे जलेंगे।
नोएडा में उद्योगों के लिए क्या सुविधायें जरूरी हैं जो की वर्तमान में सबसे अधिक जरूरी हैं?
नोएडा का ट्रैफिक सिस्टम बहुत खराब है हर गली, हर सड़क पर सुबह ड्यूटी जाते समय या शाम को ड्यूटी से वापस आते समय जाम की समस्या विकराल हो गयी है जिसे अविलम्ब दूर करना चाहिए ताकि लोगों के समय की बचत हो और लोग समय पर अपने गन्तव्य स्थान पर पहुँच सकें।
क्या शासन से आपको सहयोग मिलता है?
हमें शासन एवं प्रशासन का पूरा सहयोग मिलता है। महेश शर्मा जो की यहाँ से सांसद हैं उद्योगों का सहयोग करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। वे इस बार फिर यहाँ से लोकसभा का चुनाव लड़ने जा रहे हैं और हम उनका पूरा सहयोग करेंगे। सबसे अधिक भ्रष्ट विभाग श्रम विभाग है जहाँ के अधिकारी व्यापारियों एवं उद्योगपतियों के साथ सिर्फ शोषण करते हैं। पहले की अपेक्षा काफी सुधार हुआ है लेकिन अभी थोड़ा है, थोड़े की और जरुरत है। श्रम विभाग के अधिकारी फर्जी यूनियन के नेताओं एवं कुछ तथाकथित दलालों के साथ मिलकर कारखानों के ऊपर फर्जी मुकदमे लगवाते हैं और कारखाना मालिकों का शोषण करते हैं। जिलाधिकारी बी एन सिंह का मै बहुत आभारी हूँ।
अब किसी भी मामले में यदि एक पक्षीय आदेश किया जाता है तो उस मामले में आर सी नहीं जारी की जायेगी। ऐसे अधिकारीयों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही होनी चाहिए। नोएडा का ट्रैफिक सिस्टम बहुत खराब है।